गुरुवार, 29 अप्रैल 2010

सभी ब्लोगर ध्यान दें ! शाबाश "अदा"---


                        
आज मैं एक पोस्ट के रूप में उस टिप्पणी को आप लोगों के सामने पेश कर रहा हूँ ,जिसे एक समझदार ब्लोगर ने देश हित में 100 शब्द कहने के आग्रह पर व्यक्त किया है / मेरे ख्याल में यह सोच उम्दा है / आप भी पढ़िए और अपनी प्रतिक्रिया रखिये /
'अदा' said...
मुझे इस बात की बहुत ज्यादा कोफ़्त होती है, जब बिना प्रयास किये हुए यह मान लिया जाता है कि यह काम तो हो ही नहीं सकता है.... आपका यह प्रश्न " क्या आप समझते हैं कि जनता को सरकार को संयुक्त हस्ताक्षर अभियान के जरिए,आदेश देने का अधिकार है?" बिलकुल हो सकता है और होना भी चाहिए....लोकतंत्र का अर्थ ही है जनता का, जनता के लिए और जनता द्वारा.....लेकिन जब जनता को ही अपनी शक्ति का भान नहीं है तो कोई क्या करे...मुट्ठी भर भ्रष्ट नेताओं की दुहाई देने वाले या तो डरपोक है या निकम्मे, जब समाज को बदलना है तो भिड़ जाना ही होगा, अगर हम सोच लें तो क्या यह संभव नहीं है....गाँधी जी सत्याग्रह के बल पर अंग्रेजी हुकूमत को घुटने पर ले आये थे और हम गाँधी के देश में अपने ही लोगों की गुंडागर्दी से डर कर बैठे हुए हैं...आज पोलिटिक्स मात्र गुंडों का खेल होकर रह गया है...और इसके लिए जिम्मेवार हमारा तथाकथित माध्यम वर्गीय समाज है.... हमने हमेशा समस्याओं से बचके निकलना सीखा है...और बाद में वही समस्याएं विकराल रूप ले लेतीं है...फिर हम आराम से कहते हैं कि अब कुछ नहीं हो सकता है....वही हाल राजनीति का रहा है....राजनीति में जाना बुरी बात है....राजनीति बुरे लोगों का काम है, भले लोग राजनीति में नहीं जाते हैं ....यही तो सुनते रहे हैं बचपन से, और हमेशा हैरानी होती रही है मुझे कि , देश के किये काम करना कैसे बुरा हो सकता है ? हमारे बड़े बुजुर्गों ने सिर्फ मुसीबतों से बचने के लिए गलत छवि बना दी और हमने यकीन कर लिया....और यही सबसे बड़ा कारण है कि आज पोलिटिक्स में गुंडों का आधिपत्य है, हमलोग ये क्यूँ नहीं सोचते राजनीति भी एक करियर है...बच्चों को उसमें भी जाना चाहिए....हर नौकरी कि तरह यह भी एक नौकरी है...इसके लिए भी पाठ्क्रम होने चाहिए....नयी पीढ़ी को ट्रेनिंग मिलनी चाहिए....कितनी अजीब बात है एक पार्क तो खूबसूरत बनाने की ट्रेनिंग है,, बिल्डिंग को सजाने की ट्रेनिंग है ....और अपने देश को व्यवस्थित करने की कोई ट्रेंनिग नहीं ....लानत है जी... हमारे अपने लोग कितनी बड़ी-बड़ी अन्तराष्ट्रीय कंपनियों में अपने बुद्धि-विवेक से अपना आधिपत्य साबित कर चुके हैं....क्या वो लोग अपने देश में इस काबिल नहीं थे....?? जब हम अपने देश के विदेश मंत्रालयों के प्रवक्ताओं के देखते हैं और सुनते हैं तो आत्महत्या कर लेने का दिल करता है...लगभग २ अरब आबादी वाले देश में एक ढंग का प्रवक्ता नहीं मिलता इनको जो अपने देश की गिरती साख को सम्हाल सके....जो ढंग से बात कर सके....जो भी आता है शिफारिशी जोकर होता है..... अब समय आ गया है कि जनता जागे और अपनी ताकत को पहचाने...उसका उपयोग करें, अगर इस तरह के हस्ताक्षर अभियान की शुरुआत हो जाए तो फिर देश को सुधरने से कोई नहीं रोक सकता है....संसद में बैठे हुए जो लोग हैं उन्हें हमने चुना है....उन्हें वही करना होगा जो, हम चाहेंगे.....और जनता हमेशा सही ही चाहेगी....लोग कहेंगे 'अदा' सपने देखती है....ये नहीं हो सकता....तो उनसे मैं कहूँगी कि जब उस दिशा में कोई काम किया ही नहीं तो उसकी सफलता पर पहले से संदेह क्यूँ करना....?? अरे दिल्ली जाना है तो दिल्ली की गाड़ी में बैठो.....घर में बैठ कर भगवान् से मानना कि हमें दिल्ली पहुंचा दो...बेवकूफी है...या फिर बिना गाड़ी में बैठने का प्रयास किये हुए मान लेना कि हम तो दिल्ली जा ही नहीं सकते गलत होगा..... संयुक्त हस्ताक्षर करके कोशिश तो कीजिये ....आपके आदेश का पालन होगा अवश्य ये मेरा विश्वास है.....
 
 
हमने देश हित में विचारों और सुझावों के लिए एक मुहीम चलाया हुआ है ,जिसमे उम्दा विचारों और सुझावों को सम्मानित करने क़ी भी व्यवस्था है /

आप सबसे आग्रह है क़ी आप अपना बहुमूल्य विचार पोस्ट में उठाये गए मुद्दे के पक्ष,बिपक्ष या उस उद्देश से जुड़े अन्य बिकल्पों पर सार्थक विवेचना के रूप में अपना 100 शब्द जरूर लिखें / नीचे लिखे लिंक पर क्लिक करने से,वह पोस्ट खुल जायेगा जिसके टिप्पणी बॉक्स में आपको टिप्पणी करनी है /पिछले हफ्ते अजित गुप्ता जी को उम्दा विचारों के लिए सम्मानित किया गया है /

मंगलवार, 27 अप्रैल 2010

नितीश जी ये आपके सुशासन पर बदनुमा दाग है ,इसे साफ करने क़ी कोशिस कीजिये ?

                                                              
बिहार में निश्चय ही बदलाव आया है / लेकिन आज भी आम लोगों के साथ जो व्यवहार वहाँ होता है और वह भी सरकारी बैंकों व संस्थाओं में ,वह नितीश जी के सुशासन पर बदनुमा दाग क़ी तरह है और नितीश जी जैसे मुख्यमंत्री के लिए इसे साफ करना जरूरी भी है /
 पिछले दिनों मैंने बिहार क़ी यात्रा क़ी और मैं जहाँ भी जाता हूँ,वहाँ क़ी व्यवस्था का निरिक्षण एक जागरूक नागरिक के अधिकार के तहत जरूर करता हूँ / मैं क्या इस प्रकार का काम ह़र नागरिक को करना चाहिए /  मैंने कई जिले के अपने निरिक्षण और लोगों क़ी शिकायत का उनके साथ जाकर जमीनी हकीकत का मुआयना किया तो पाया क़ी वहाँ के ज्यादातर सरकारी बैंकों में , बैंक के बाहर एक अदद बोर्ड तक लगा हुआ नहीं है ,जिसपे बैंक के खुलने और बंद होने का समय दर्ज हो /  जिसके वजह से बैंक के कर्मचारी अपने मन मुताबिक कभी 11 बजे तो कभी 09 बजे ही बैंक को खोल देते है और कभी 12 बजे  ही बैंक को बंद कर देते है तो कभी शाम के 06 बजे तक बैंक को खोले रखते है / लोग घंटों धूप में बैंक के खुलने और बैंक के मालिक बन बैठे कर्मचारियों का इंतजार करते रहते हैं / कमो बेस सभी बैंक का हाल ये है क़ी बिना पैरबी के आम आदमी के लिए सारे कागजात होते हुए भी ,एक बचत खाता खुलवाना मानो किला फतह करने के बराबर है / कई मामले में तो लोगों को खाते खुलवाने के लिए रिश्वत तक देना पड़ता है / बैंकों में किसान ऋण ,इंदिरा आवास ऋण ,ट्रेक्टर के लिए ऋण के लिए असल और सही आवेदक को ऋण मिलना और वह भी बिना मोटी रिश्वत के लगभग मुश्किल ही है /  बैंक के स्थानीय कर्मचारी (जिनका मूल निवास उसी गावं में या ब्लोक में है ) बैंक के किसी भी इमानदार मैनेजर को सही से काम नहीं करने देते हैं / यही नहीं किसान ऋण  और इन्द्रा आवास ऋण में तो फर्जी आवेदकों क़ी भरमार है / जिनसे 40% से 70% तक कमीशन लेकर ऋण जारी किया गया है / ऐसा नहीं क़ी लोग उच्च अधिकारियों तक इसकी शिकायत नहीं करते , शिकायत क़ी जाती है ,लेकिन समुचित कार्यवाही नहीं होने से शिकायत करने वालों  क़ी संख्या  लगातार  घटती  जा  रही है / यही नहीं कई मामलों में बिधवा पेंशन के लिए  औरतों के यौन उत्पिरण के प्रयास क़ी भी शिकायत  सुनने को मिली / कुछ एक जगह तो मैंने एरिया मैनेजर और जोनल मैनेजरों को अपने मोबाइल से वस्तु स्थिति क़ी जानकारी देकर समुचित कार्यवाही का आग्रह भी किया / कई मामले तो ऐसे भी देखने को मिले क़ी जिस खाता धारक ने शिकायत क़ी उसको बैंक में परेशान करने क़ी कोशिस करने के साथ-साथ गली-गलौज भी किया गया  /  दरअसल इसका सबसे बड़ा कारण है बैंकों में स्थानीय कर्मचारियों क़ी उपस्थिति / अगर कर्मचारियों को अपने क्षेत्र से कम से कम 50KM दूर पदस्थापित किया जाय और ह़र बैंक में बैंक के खुलने और बंद होने के समय को , पहले और अंतिम ग्राहक से शिकायक पुस्तिका में प्रतिदिन दर्ज कराना अनिवार्य कर दिया जाय और शिकायत पुस्तिका को बैंक कार्य अवधि के दरम्यान ऐसी जगह रखा जाय क़ी ह़र बैंक का खाता धारक उसका प्रयोग कर सके और उस में दर्ज शिकायतों पर तय समय में समुचित कार्यवाही हो ,तो स्थिति को कुछ हद तक सुधारा जा सकता है / यही नहीं महिलाओं से बैंक अपनी अच्छी या बुरी ग्राहक सेवा के लिए शिकायत पुस्तिका में टिप्पणियां जरूर अंकित कराये /  महिलाओं को किसी प्रकार का तकलीफ वो भी बैंक में बेहद शर्मनाक है /
                        अब बात प्रशासनिक अधिकारियों क़ी तो ब्लोक स्तर पर हाल ये है क़ी ज्यादातर BDO स्तर के या उससे नीचे के अधिकारी ऑफिस से नदारद मिले ,पूछने पर बताया गया दौरे पड़ हैं / जब यह सवाल किया गया क़ी कहाँ मिलेंगे तो गोल-मोल जवाब मिला / इस समस्या के समाधान के लिए लोगों का कहना था क़ी अगर ब्लोक ऑफिस के कर्मचारियों क़ी संख्या ,पद और नाम के साथ प्रतिदिन क़ी उपस्थिति,अनुपस्थिति या क्षेत्र निरिक्षण  के विवरण के साथ अगर कार्यालय के सूचना पट्ट पर प्रतिदिन लगाना अनिवार्य कर दिया जाय तो ,घर पर रहकर फर्जी हाजरी लगाने वालों क़ी संख्या में कमी आएगी और सुशासन में और तेजी आयेगी / 
अंत में मैं नितीश जी के सुशासन के सबसे खराब दाग पर नजर डालना चाहूँगा और वह है हमलोगों का ही नहीं बल्कि पूरे भारत के व्यवस्था को  सार्थकता से बदल डालने के कानून RTI कानून कि बदहाली का / बिहार में RTI कानून क़ी जमीनी हकीकत दयनीय अवस्था में है ,RTI कार्यकर्त्ता दहशत में है ,कईयों के ऊपर झूठे मुकदमे चल रहें हैं जिससे देश में पारदर्शिता कि  लड़ाई लड़ने वाले  को मानसिक यातना झेलनी पड़ रही है / दोषी सूचना अधिकारियों को सजा नही के बराबर है ,जिससे आवेदन का जवाब या सूचना मिलने  कि दर काफी कम  है / विभिन्न सरकारी कार्यालयों में सार्वजनिक सूचना पट्ट पे सूचना अधिकारी का नाम स्पष्ट रूप से अंकित नहीं है और है तो सूचना अधिकारी अनुपस्थित होता है /  ये कुछ ऐसे कारण है जिसे दूर करने क़ी सख्त आवश्यकता है / इसके लिए ह़र सरकारी कार्यालयों में समुचित और सही सूचना अधिकारियों क़ी नियुक्ति करने क़ी जरूरत है / ह़र कार्यालय में सूचना के अधिकार क़ी जानकारी देने वाला बोर्ड और उस पर स्पष्ट रूप में सूचना अधिकारी का नाम और बैठने क़ी जगह का उल्लेख होना जरूरी है और इसके साथ ही ब्लोक स्तर के थाने को मुख्यमंत्री कार्यालय से इस आशय का सख्त आदेश-पत्र जारी करने क़ी आवश्यकता है जिसमे सख्त लहजों में यह आदेश हो क़ी RTI कार्यकर्ताओं कि हर हाल में सुरक्षा कि जाय नहीं तो दोषी पुलिस वाले को सूचना में बाधा पहुँचाने के नियम के तहत सख्त कार्यवाही कि जाएगी / 
नितीश जी हमें आपसे आशा है क़ी आप उपर्युक्त कारणों क़ी अपने विश्वस्त खुफिया तन्त्र से ईमानदारी भरा जाँच करा कर,समुचित कार्यवाही जरूर करेंगे / हमलोग सामाजिक आंदोलनों से जुरे हैं लेकिन हमारे पास सरकार क़ी तरह साधन और संसाधन नहीं है / अगर होता तो जमीनी हकीकत भी बदलने और दोषियों को सजा दिलाने का काम जरूर कर देते /
                     अंत में बिहार को सुशासन क़ी ओर थोरा ही सही ,ले जाने के लिए धन्यवाद / साथ ही आशा है क़ी सुशासन के ऊपर इस तरह के बदनुमा दाग को आप अपनी ईमानदारी से जरूर धोयेंगे / 

सोमवार, 26 अप्रैल 2010

+923477596131 इस नंबर से सभी ब्लोगर सावधान --?

                          
हलांकि आज-कल ठगी का कारोबार सबसे पसंदीदा और सुरक्षित कारोबार में शुमार हो चला है और सबसे आसान भी है , जानते है क्यों ? क्योंकि सारी क़ी सारी व्यवस्था और मंत्री जब अपनी प्रेमकहानी और IPL के चक्कर में इस तरह लीन हो जायेंगे और प्रधान मंत्री ऐसे मंत्रियों के कारनामों का जवाब दे-दे कर थक हार कर उस मंत्री का इस्तीफा लेने के लिए मजबूर होंगे तो ऐसे हालात में ठगी का कारोबार परवान चढ़ेगा ही / कम से कम आज मेरे  साथ हुए वाकये को सुनकर तो आप भी ऐसा ही कहेंगे /
                              वाकया इस प्रकार है / आज 11:34:58 सुबह में मेरे कई साल पुराने AIRTEL नंबर-09810752301 पर पाकिस्तानी कोड वाले इस-  +923477596131  से एक MISSED काल आया / चूँकि मैं सामाजिक आंदोलनों से जुड़ा हुआ हूँ ,इसलिए विश्व के किसी भी कोने से आये फोन को RECEIVE करना  या MISSED कॉल पर कॉल बैक जरूर करता हूँ और इसके पीछे मेरा मकसद होता है कि इस जालिम दुनिया में पता नहीं किसको कहाँ इन्सान कि जरूरत हो ? 
                               मेरे कॉल करने पर पाकिस्तानी कोड वाले नंबर से 11:35:51 पे एक महिला द्वारा हेलो  कहकर काट दिया गया ,दूसरी वार 11:36:38 पे मुझे दस लाख का इनाम जितने कि सूचना देकर फोन काट दिया गया, मैं समझ गया कि कुछ न कुछ गड़बर है, मेरे  तीसरी बार 11:40:46 पे कॉल करने पर फिर रिसीव कर काट दिया गया और इस दरम्यान मेरे खाते से 30 रूपये  कट चुके थे / लेकिन मैं बचपन से ही गलत लोगों को उसके असल ठिकाने तक पहुँचाने में जेहादी रहा हूँ , इसलिए मैंने चौथी बार फिर इस ठगी के तह तक जाने के लिए 11:42:02 पर काल किया लेकिन इस बार एक मजेदार बात हुई INTERNATIONAL काल के ट्यून  कि जगह गाने बज रहे थे और इस बार काल को रिसीव नहीं किया गया /
                       कुछ समझ में आया ब्लोगर बंधू ,अगर नहीं तो मैं बता देता हूँ ,इस चार बार  के काल से एक बात तो साबित हो गयी कि इस ठगी के खेल में सिर्फ पाकिस्तानी नंबर का खेल नहीं बल्कि AIRTEL भी इस ठगी के खेल में कहीं न कहीं शामिल है ,नहीं तो तिन बार INTERNATIONAL काल ट्यून और चौथी वार गाने नहीं बजते ? इसकी पुष्टि AIRTEL के ग्राहक सेवा के नंबर 9810198101 पर बात करने से हो गयी / मैंने जब पूछा कि मेरे काल के कितने पैसे कटे है ? तो उधर से 11:44:08 पे रश्मि नाम के किसी महिला ने बताया कि यह नंबर फ्रोड है इस पर काल करने पड़ INTERNATIONAL काल चार्ज कट जायेगा / और सबसे मजेदार बात कि बिना MISSED कॉल कि घंटी बजे ही मेरे फोन पे इस नम्बर से आये MISSED  कॉल का एक समय 11:45:49 भी दर्ज हो गया /अब मैं सभी ब्लोगर बंधू और देश के सारी जाँच एजेंसियों के सामने कुछ सवाल रख रहा हूँ ----- 
सवाल नंबर 1-क्या ऐसे ठगी को रोकना मुश्किल काम है ?
2-अगर AIRTEL को पहले से पता है कि ये नंबर फ्रोड है तो उसने देश के सबसे बड़े जाँच एजेंसियों जैसे RAAW & IB को इस बाबत शिकायत देकर ऐसे नंबर को  ब्लोंक क्यों नहीं किया और अगर यह दूसरे देश से सम्बंधित भी है तो भी विश्व अपराध नियंत्रण कानून के तहत ,ऐसे वयक्ति पे सख्त कार्यवाही कि वयवस्था है,जिसके लिए फोन नंबर को जारी करने वाले देश के जाँच एजेंसियों से संपर्क कर ,उस व्यक्ति को ढूढ़ा जा सकता है ,जिसके नंबर से इस तरह के ठगी को अंजाम दिया जा रहा है /  अगर एक व्यक्ति को सजा मिलेगी तो ,कई ऐसे ठग अपना व्यवसाय  बदलने को मजबूर होंगे / क्योंकि ये सिर्फ ठगी का ही मामला नहीं है बल्कि ऐसे लोगों कि वजह से समाज में भय,आपसी असहयोग और असुरक्षा का संचार होता है,जो पूरी मानवता के लिए खतरनाक है  ? 
3-क्या मोबाइल कम्पनियां और उसके मालिक इतने कंगाल या इतने गिरे हुए लोभी-लालची हो गए हैं कि उनको ऐसे ठगी का सहारा लेना पर रहा है ?
4-क्या हमारे देश कि जाँच एजेंसियां इतनी निक्कमी हो गयी है कि किसी भी ठग को पकरना उसके बूते कि बात नहीं है ?
5-हमारे देश के जाँच एजेंसियों  और देश के प्रधान मंत्री के नाक के नीचे भी फ्रोड को अंजाम देना इतना आसन हो गया है ? पिछले दिनों भारत गैस के फर्जी एजेंसी के नाम पर अखवारों में विज्ञापन देकर और नोएडा में शानदार ऑफिस खोलकर खुलेआम सैकड़ों व्यक्ति से पाँच-पाँच लाख रूपये ठग लिए गए और हमारी सारी जाँच एजेंसिया और पुलिस व्यवस्था सोती रही ?         
6-सरकार अगर फ्रोड को रोकने में सक्षम नहीं है तो ये  जिम्मा वो आम लोगों के हवाले क्यों नहीं कर देती है,यह कह कर कि आम लोगों में से जो भी निर्धारित समय में जाँच को तर्कसंगत अंत तक पहुंचा सकता हो पहुंचाए ,उसे सरकारी संसाधन और आर्थिक मदद भी पहुचाई जानी चाहिए / ऐसा करने से सामाजिक जाँच को बढ़ाबा मिलेगा और बेहद काबिल और जिनको ठगा गया है वो भी जाँच में हाथ बँटा पायेंगें /
        अंत में ब्लोगर बंधू ठगी का व्यापार आज परवान पर है इसलिए अगर आपके साथ या आपके आस-परोस के लोगों के साथ भी अगर कोई ठगी हो तो उसके खिलाफ जागरूकता फ़ैलाने का काम जरूर करें / क्योंकि  अब  आम लोगों के जागरूकता और सतर्कता से ही इस देश को  बचाया जा सकता है / मैं तो कार्यवाही कि तैयारी कर रहा हूँ अगर आपके साथ भी किसी मोबाइल कंपनी ने फ्रोड किया हो तो उसे ब्लॉग पर पूरी तरह उतारकर कानूनी चेतावनी भी उस मोबाइल कम्पनी को जरूर भेजें / 

शनिवार, 24 अप्रैल 2010

ब्लोगरों का ये रुख लोकतंत्र के लिए क्या संकेत देता है!!!!!!!!!!!!!!!!!!

हमारे ब्लॉगhttp://honestyprojectrealdemocracy.blogspot.com  के एक पोस्ट(इस लिंक पर क्लिक करने से यह पोस्ट खुल जायेगा ,जिसके टिप्पणी बॉक्स में,आपको अपने विचार और सुझाव लिखना है -- सभी ब्लोगरों से करबद्ध प्रार्थना है कि इस ब्लॉग को जरूर पढ़ें और अपना बहुमूल्य सुझाव देने का कष्ट करें----- देश के संसद और राज्य के विधानसभाओं के दोनों सदनों में आम जनता के द्वारा प्रश्न काल के लिए साल में दो महीने आरक्षित होना चाहिए --------------)में देश हित के गम्भीर मुद्दे पर विचार देने कि प्रार्थना कि गयी है / जिसे ह़र हफ्ते के आये उम्दा विचारों के आधार पर, दो केटेगरी में सम्मानित करने का भी हमने प्रावधान रखा  है / साथ ही उसे ब्लोगर के नाम से अपने ब्लॉग पर प्रकाशित करने का वादा भी किया है  / लेकिन  पूरे हप्ते में एक भी विचार और सुझाव का ना आना ,हमें यह सोचने पर विवश कर रहा है कि ,कहिं हम ब्लोगर देश हित के मुद्दे पर 100 शब्दों में भी अपनी सोच और विचार को व्यक्त करने से पीछे तो नहीं हट रहें हैं ?  ब्लोगरों का ये रुख लोकतंत्र के लिए क्या संकेत देता है  !!!!!
                    देश और समाज हित में अपने विचार और सुझाव रखना ना सिर्फ हमारा सम्वैधानिक कर्तव्य है, बल्कि लोकतंत्र के लिए यह बेहद जरूरी भी /
                             अतः आपलोगों से फिर एक बार आग्रह है कि आप अपने विचार ऊपर के पोस्ट लिंक पर क्लिक कर उस पोस्ट को पढ़कर उसी पोस्ट के टिप्पणी बॉक्स में जरूर दर्ज करें / कम से कम 100 शब्द देश हित में जरूर लिखें / आप देश हित में हमारे द्वारा उठाये गए सवाल के पक्ष और विपक्ष दोनों में तर्कसंगत विचार लिखने के लिए स्वतंत्र हैं / 

गुरुवार, 22 अप्रैल 2010

इस सूचना क्रांति के युग में भी ,कहिं हमें सूचना के अंधेरे कि ओर तो नहीं धकेला जा रहा है --?

                 
जब पैसे से सब बेचा और खरीदा जा रहा हो तो यह सवाल अहम् हो जाता है कि , जो सूचना हमें दी जा रही है या हम तक सूचना के बिभिन्न माध्यमों से पहुंचाई जा रही है ,वह वास्तब में एक सूचना है या हमें किसी ओर ले जाकर ,किसी के स्वार्थ सिद्धि कि तैयारी है / आज RTI कानून के रहते हुए 100% आवेदनों में से सिर्फ 27% आवेदनों पर आवेदन कर्ता को सूचना प्राप्त होती है और उसमे से भी कई झूठि और आधी अधूरी होती है ,क्यों  ?
इस सवाल का जवाब है नीयत में खोट और कहिं न कहिं दाल में काला जो जनता से छुपाया जाता है / आज मीडिया कहती है कि बिना व्यवसायिक हित के लिए काम किये वगैर मीडिया को जिन्दा नहीं रखा जा सकता / यह बात इस मायने से तो ठीक है कि ह़र सामाजिक,पत्रकारिता या जनकल्याण के संस्था  को चलाने के लिए आर्थिक आधार कि जरूरत पड़ती है ,लेकिन उस जरूरत में अगर संस्थापक का लोभ-लालच और पैसों कि भूख मानवता पे भारी हो तो उसका असल मकसद ही बदल जाता है और ऐसी स्थिति में उसके द्वारा पहुंचाई जा रही सूचना ,जो आम जनता तक पहुँच रही है वह पूरी तरह संदेहों के घेरे में आ जाती है /  पत्रकारिता कभी निड़र और समाज,देश व मानवता के प्रति पूरी तरह समर्पित लोगों का काम हुआ करता था / लेकिन आज पेट भरने कि मजबूरी,संचालकों के आदेश कि जी हजुरी और पैसे बनाने कि भूख कि भरपाई से पत्रकारिता का दम घुटता जा रहा है / इस बात कि सत्यता के लिए किसी सच्चे पत्रकार से उसके दर्द के बारे में पूछ कर देखिये / आज जमीन बेचने के लिए , मसाला बेचने के लिए ,भ्रष्टाचारियों को तर्क के हेर-फेर से बचाने के लिए भी अखवार और चेनल खुल रहें हैं /
आज मीडिया किसी समाज और देश कि सोच कि उपज से पैदा नहीं हो रहें हैं / बल्कि बीस-बीस हजार करोड़ कि संपत्ति जो गलत तरीके से जमा कि गयी है ,को सुरक्षित करने कि सोच से पैदा हो रही है /  कभी ऐसा भी हो सकता है कि पैसे कि भूख कि वजह से ऐसे सूचना माध्यम को चला रहे लोग हमें किसी गलत सूचना को प्रचारित कर हमें बेबकूफ बनाकर अपना और अपने ग्रुप का फायदा कराने का षड्यंत्र रच इस सूचना क्रांति के युग में भी हमें सूचना के अंधेरे कि ओर धकेलने का काम करे / 
                   पैसे कि जरूरत जीने के लिए तो सबको है पर इसी पैसे कि भूख जब सारी हदें पार कर जाता है तो सच्चाई,ईमानदारी,देश भक्ति और मानवता के किसी भी काम को करने से पहले मुनाफा का गुना-भाग करता है / ऐसी ही स्थिति के वजह से सच्चे पत्रकार या तो अपने आप को बदल रहें हैं या घुट-घुट कर ह़र वक्त जी रहें हैं / क्योंकि परिस्थितियाँ लगातार प्रतिकूल होती जा रही है /
                 इसका सिर्फ और सिर्फ एक ही समाधान है कि अच्छे पत्रकार ऐसे चेनलों या अखवारों को छोड़कर पहले तो एकजुट हों फिर जनता से सीधा आर्थिक मदद मांगकर राष्ट्रिय स्तर पर एक स्वस्थ व सच्चा अखवार और चेनल स्थापित करें जिस पर जनता पूरी तरह विश्वास कर सके / 
      क्योंकि पत्रकारिता एक सबसे सशक्त माध्यम है ,सच्ची सूचना आम जनता तक पहुँचाने का और जिस दिन इस देश में खोजी पत्रकारिता फिर से जिन्दा होकर बिना बिके जनता तक सूचना पहुँचाने लगेगी उस दिन से इस देश में खुशहाली के नए सूरज का उदय होगा /  

सोमवार, 19 अप्रैल 2010

डेमोक्रेसी एक चुनौती -----?

        
ब्लोगर दोस्तों आपका राय बहुमूल्य है और देश हित के मुद्दे पड़ अतिआवश्यक भी इसलिए अभी सोचकर कम से कम 100 शब्दों और ज्यादा शब्दों कि कोई सीमा नहीं है के आधार पर नीचे लिखे पोस्ट के लिंक पर क्लिक कर उस पोस्ट के टिप्पणी बॉक्स में लिखकर दर्ज करें /   
        सभी ब्लोगरों से करबद्ध प्रार्थना है कि इस ब्लॉग को जरूर पढ़ें और अपना बहुमूल्य सुझाव देने का कष्ट करें----- देश के संसद और राज्य के विधानसभाओं के दोनों सदनों में आम जनता के द्वारा प्रश्न काल के लिए साल में दो महीने आरक्षित होना चाहिए --------------
                               सबसे उम्दा टिप्पणियों और सबसे ज्यादा सराहे गए टिप्पणियों पर आप को इनाम के रूप में सम्मानित करने कि भी व्यवस्था है जिसकी रुपरेखा जानने के लिए नीचे लिखे लिंक पर क्लिक कर सकतें हैं /

अब ब्लोगरों को अपने टिप्पणियों और सबसे ज्यादा सराहे गए टिप्पणियों पर ह़र हप्ते मिलेगा इनाम / इनाम कि राशी अकाउंट पेयी चेक द्वारा कुरिअर से उनके घरपर पहुँचाया जायेगा ---------

                        आपका राय व्यक्त करना ना सिर्फ देश  के हितों के मुद्दों पर बैचारिक क्रांति ला सकता है बल्कि ब्लोगिंग को एक सामानांतर मिडिया के रूप में स्थापित भी कर सकता है /अंत में एक बार फिर आपसे गुजारिस कि आपकी राय अमूल्य है , इसे जरूर व्यक्त कीजिये /

शनिवार, 17 अप्रैल 2010

ब्लोगरों के समर्थन और सुझाव से बनेंगी देश कि जन कल्याणकारी नीतियाँ --------- ?

         Blogvani.com        चिट्ठाजगत                    
कहते हैं कि लोकतंत्र का दिल गावों में बसता है ,लेकिन भारत जैसे लोकतंत्र कि हालत गावों में इतनी ख़राब है कि लोगों का लगातार पलायन से महानगरों कि हालत भी दिनों-दिन इतनी बदतर होती  जा रही है ,कि यही हालात रहें तो महानगरों में रहना गावों से भी ज्यादा कष्टकर हो जायेगा /
ऐसी अवस्था के लिए सिर्फ और सिर्फ गलत सरकारी नीतियाँ ही जिम्मेवार है जिसे ए .सी दफ्तर में बैठ कर कुछ लोगों के फायदे के हिसाब से तैयार किया जाता है ना कि आम जनता के फायदे के लिए ?  मसलन शिक्षा कि नीतियाँ और स्कूलों से लेकर महाविद्यालयों को खोलने का चयन भूमाफिया के फायदे और प्रिंट व कागज के निर्माताओं को फायदा पहुँचाने के आधार पर तय किया जाता है ,तभी तो लोग पढने के लिए दिल्ली ,पूना,कोटा इत्यादि कि तरफ भेडचाल कि तरह चले आते हैं /  अगर नीतियाँ  देश के ह़र क्षेत्र के जनता के शिक्षा कि जरूरतों के आधार पर संतुलित कर बनाया जाता होता तो आज देश और देश में शिक्षा का हालात बहुत ही बेहतर होता  /  कमोबेश यही हाल ह़र क्षेत्र के सरकारी नीतियों का है /
                              अब सवाल उठता है कि गावों के लोगों को प्रधानमंत्री  व अन्य मंत्रालयों से कैसे जोड़ा जाय ? इसका जवाब है इन्टरनेट और ब्लॉग /  अगर देश का ह़र गावँ का ह़र एक घर इन्टरनेट से जुड़ा होगा तो वह किसी भी सामाजिक सरोकार के मुद्दे पर सरकार को तुरंत अपनी राय अपने ब्लॉग या इमेल से पहुंचा देगा / यही नहीं गावों में लोकतंत्र के गिरते कार्य प्रणाली और प्रतिनिधियों द्वारा सरकारी धन के दुरूपयोग और सदुपयोग कि सूचना भी आम जनता अपने लोकतंत्र के शिखर पड़ बैठे रखवालों तक ह़र दिन पहुंचा पाएंगे , जिससे सरकार को न चाहते हुए भी जनता के भावनाओं और जरूरतों को मानना ही होगा / 
                    और इस काम में सरकार कि अगर कोई सबसे ज्यादा मदद कर सकता है तो वह है आज के ब्लोगर / ब्लोगरों का उपयोग सरकार गावँ के लोगों में जागरूकता फ़ैलाने और लोगों को इन्टरनेट का उपयोग कर सीधा देश के नीती निर्माण से कैसे जुड़ें ,यह समझाने और बताने के लिए कर सकती है /   
जब देश का ह़र गाँव का ह़र घर इन्टरनेट से जुड़ेगा तो जाहिर तौर पड़ ब्लोगरों कि संख्या में भी अप्रत्याशित बृद्धि होगी और ज्यादा विचार और तर्कसंगत तथ्यों पर आधारित आलोचना सरकार को सुनने और पढने को मिलेगी जिससे सरकार में बैठे इमानदार लोगों कि दुविधा  भी दूर होगी / इसके साथ-साथ चाहे वह केंद्र सरकार हो या राज्य सरकार  दोनों को ह़र दिन गावँ तक के प्रशासनिक व्यवस्था तक कि रिपोर्ट मिल जाएगी /
                            निश्चय ही जब ह़र गावँ सरकार के नीती निर्माण में अपनी राय और सुझाव दे पायेगा तो देश का  लोकतंत्र सही मायने में लोकतंत्र कि ओर अग्रसर होगा / निश्चय ही यह ब्लोगरों कि राय और सुझाव पड़ बनने वाले नीतियों पर आधारित लोकतंत्र कहलायेगा /

शुक्रवार, 16 अप्रैल 2010

शाबाश दिल्ली पुलिस ! ! ! ! ! दाग अच्छे हैं -------------?

                    
विगत दिनों दिल्ली पुलिस ने कुछ ऐसे काम कियें हैं जो निश्चय ही किसी लोकतंत्र के पुलिस व्यवस्था के लिए और पूरे देश के पुलिस व्यवस्था के लिए अनुकरणीय है / 
आप पूछेंगे कि दिल्ली पुलिस ने ऐसा क्या कर दिया जो मैं दिल्ली पुलिस का गुणगान कर रहा हूँ ? लीजिये मैं विस्तार से बता देता हूँ / विगत दिनों दिल्ली के सतर्कता विभाग और दिल्ली पुलिस ने अपने ही विभाग के कई अधिकारियों और कर्मचारियों को सस्पेंड किया है जिससे दिल्ली पुलिस का दामन दागदार तो हुआ है, लेकिन इस दाग को -दाग अच्छे हैं कहा जा सकता है -? इन सबमे सबसे चर्चित रहा है,नरेला थाने के SHO बख्शी राम का सस्पेंसन जिसे मिट्टी माफिया को अवैध तरीके से मिट्टी  खनन करने देने के बदले रिश्वत से सम्बंधित विभागीय स्टिंग ऑपरेशन के आधार पर चार सिपाहियों समेत सस्पेंड किया गया है और बवाना के पुलिस वालों के खिलाफ कार्यवाही के लिए दिल्ली के क्राईम ब्रांच के रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है / चूँकि हमलोग सामाजिक आन्दोलन से जुड़े हुए हैं इसलिए दिल्ली के हर क्षेत्र के इमानदार समाजसेवकों के साथ मिलकर  उस क्षेत्र के जनता से उनके क्षेत्र में चल रहे अवैध गतिबिधियों के खिलाप निडर होकर आवाज उठाने और पुलिस में शिकायत करने के लिए प्रेरित करने का काम करने के साथ-साथ शिकायत कर्ता को हरसंभव मदद और सहायता पहुँचाने का भी प्रयास करते हैं जिससे देश में सच्चाई और ईमानदारी को मजबूत किया जा सके /  इसके लिए हमलोग जनप्रतिनिधियों को भी जनता से उनकी असल जरूरत को पूछने और जनता के जरूरत के प्राथमिकता के आधार पर कार्य करने के लिए भी प्रेरित कर रहें / इसलिए हमलोग आपको नरेला के बारे में जिनको ना पता हो उनको बता दू कि नरेला दिल्ली का एक ऐसा क्षेत्र है जहाँ हर किस्म जैसे जमाखोरी माफिया ,भूमाफिया ,अवैध निर्माण माफिया और भ्रष्ट नेताओं के अवैध कार्य करने वाले प्रतिनिधि माफिया गिरोह पूरी तरह सक्रिय हैं / जिनके खिलाप कोइ भी जल्दी आवाज नहीं उठाना चाहता है और जिसके सामने पुलिस का SHO भी मजबूर हो जाता है लेकिन धीरे-धीरे परिस्थितियाँ बदल रही है / बहरहाल हमलोगों कि दिल्ली पुलिस से आग्रह है कि नरेला जैसे क्षेत्रों में दिल्ली पुलिस  के अतिरिक्त या संयुक्त आयुक्त स्तर के अधिकारी अगर हर महीने अखवार में विज्ञापन के द्वारा सूचना देकर क्षेत्र के जनता से सीधे संवाद के लिए मिले,  तो  इस क्षेत्र में निडरता और बढ़ेगी और माफियाओं के क्रिया कलाप पर लगाम लग सकेगा / वैसे दिल्ली के हर क्षेत्र में अपराध के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेवार भ्रष्ट नेताओं के अवैध कार्य करने वाले प्रतिनिधि हैं ,जिनके खिलाप दिल्ली पुलिस को हर महीने आमजनता से अपना नाम गुप्त कोड और पासवर्ड के साथ लिखकर शिकायत करने कि सलाह देकर या बिना नाम के लिखित शिकायत करने कि अपील करनी चाहिए / इससे लोग गैरकानूनी गतिविधियों को चलाने वालों के खिलाप शिकायत करने के लिए प्रेरित होंगे / अभी दिल्ली पुलिस  को बहुत सारे अच्छे और बहादुरी भरे काम करने हैं / जिसमे एक काम यह भी है कि वह अपने  SHO और उससे नीचे के कर्मचारियों को भ्रष्ट मंत्रियों और उनके प्रतिनिधियों के किसी भी गैर कानूनी काम के दवाब के आगे ना झुकने के लिए प्रेरित करने के साथ-साथ उनको समुचित सुरक्षा कि भी गारंटी सुनिश्चित करें / क्योंकि कई मामलों में पूरे देश के पुलिश में यह देखा गया है,कि पुलिस के छोटे अधिकारी या कर्मचारी ना चाहते हुए भी दवाब के आगे झुककर रिश्वत लेकर अपने कर्तव्यों से पीछे हटने का काम कर जाते हैं और ऐसा वे असुरक्षा कि भावना में भी आकर कर जाते हैं / ऐसी स्थिति को आम जनता और पुलिस को ज्यादा नजदीक लाकर दूर किया जा सकता है,जिसके लिए शोध करने कि जरूरत है / क्या पता नरेला के SHO भी ऐसी ही किसी भावना से ग्रस्त हो  ? लेकिन अपराध तो अपराध है चाहे वह किसी के दवाब में किया गया हो या खुद के विचारों के तहत,सजा तो मिलनी ही चाहिए !  लेकिन विवेचना कर मूल कारणों का भी पता जरूर लगाया जाना चाहिए / अंत में दिल्ली पुलिस  के इस अच्छे कार्य के लिए दिल्ली पुलिस के संयुक्त आयुक्त श्री दिलीप कुमार और दिल्ली पुलिस के मुखिया को ब्लोगरों कि और से हमारी ढेरों शुभकामनाये /