सोमवार, 31 मई 2010

जरा बचके ,जरा हटके --चारों तरफ हैं ठग ही ठग ......ये है INDIA मेरी जान !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!

 

स्मार्ट आप नहीं स्मार्ट ये लोग हैं!संभलकर आज आपकी जेब कट जाएगी!


बहुत अफ़सोस कि बात है कि अब मार्केटिंग के लुटेरों के साथ मिलकर मीडिया हाउस भी लोगों कि जेबें काट रहे हैं।

आज एक राष्टीय हिंदी अखबार मैं यह विज्ञापन आया कि इंटेल वाले और हम कुछ 'स्मार्ट' परिवारों कि कहानी छापेंगे ,जिनके जीवन मैं कम्प्यूटर ने काफी योगदान किया हो.मेरी पत्नी ने दिए गए 'की वर्ड ' SMART को टाइप किया ,और दिए नंबर पर SMS कर दिया.विज्ञापन मैं कहा गया है कि आपके SMS को पढ़कर हम आपको कॉल करेंगे .मगर SMS करने पर ३ रूपए तो कट गए साथ मैं जवाब आया कि आपका की वर्ड ग़लत है.यानि वह ३ रुपये तो गए 'लुटेरों' कि जेब मैं .इसके baad खुद मैने अप्ने मोबाइल से एसेमेस किये ,लेकिन वही 3 रुपये हर बार गये ,और जवाब यय कि गलत की वर्ड है. इस तरह मैं आज सुबह ३ बार 'लुटा'. तो इंटेल के इस गुमराह करने वाले विज्ञापन से सावधान !
इसी तरह हाल ही मैं एक बड़े मीडिया हाउस ने,जो लोगों को सामन बेचने कि दूकान भी चलाता है,के लोगों ने मुझे कॉल किया कि आपको हम आपके बुक कराये सामान के साथ ३० हज़ार रूपए का केश चेक गिफ्ट मैं भेज रहे हैं.आप अगर १५-२० हज़ार कि कोई और चीज़ हामारे यहाँ से बुक कर लें तो वोह तो आपको फ्री पड़ेगी ही साथ मैं कुछ और भी रूपए मिल जायेंगे क्यूंकि हम आपको सामन के साथ आपका ईनाम मैं निकला ३० हज़ार रूपए का चेक भेज रहे हैं.मैंने २० हज़ार का सामा का पेमेंट अपने क्रेडिट कार्ड से तुरंत कर दिया .अगले दिन मुझे कुछ शक हुआ तो मैंने दिए गए नंबर पर अपने ३० हज़ार रुपये के केच चेक के आने के बारे मैं पता किया तो हुआ किउनके यहाँ ऐसी कोई गिफ्ट स्कीम नहीं है ,यह हमारी मार्केटिंग स्ट्रेटेजी थी.मैंने इसलिएभरोसा किया था कि जो कंपनी यह सामान बेचने का काम करती हैवह बहुत सम्माननीय मीडिया हाउस है.मैंने बहुत मेल इस बारे मैं उस कंपनी को किये .मुझे मेल से इन्होने रिफंड का वादा भी किया ,मगर मुझे रिफंड तो नहीं ,आईसीआईसीआई बैंक कि किश्तों के बिल ज़रूर मिलते हैं,जो में अब तक चुका रहा हूँ!
तो क्या इस बात से यह हिसाब लगाय जाये कि मार्केटिंग के 'लुटेरों' को पकड़ने वाला मीडिया भी अब उन्के साथ हो लिया है?

शुक्रवार, 28 मई 2010

शर्मनाक है ज्ञानेश्वरी एक्सप्रेस ट्रेन हादसा रेल और गृह मंत्रालय दोनों के लिए -----


एक बार फिर इस देश कि व्यवस्था और उसके कर्ता धर्ता के निकम्मेपन और गैर जिम्मेवाराना रवैये से और कोई ठोस नतीजे पर पहुंचकर किसी ठोस ईमानदारी भरे प्रयास के नहीं करने कि चाह कि वजह से दर्दनाक ट्रेन हादसा  आज  सुबह  लगभग 1:00 बजे  ज्ञानेश्वरी  एक्सप्रेस जो हावरा से कुर्ला जा रही थी के भयानक दुर्घटना के रूप में सामने आया है जिसमे कईयों के मरने कि खबर है तो 150 से ज्यादा लोगों के गंभीर रूप से घायल होने कि भी खबर है और उसके बाद भी इनका रवैया कम शर्मनाक नहीं है /

इन दोनों मंत्रालय के शर्मनाक रवैये कि कुछ बानगी इस प्रकार है ------ 

1-रेल मंत्रालय का और उसके तेज तर्रार मंत्री ममता जी का कहना है कि LAW AND ORDER का काम गृह मंत्रालय का है / यह दुर्घटना पटरी पर बम विस्फोट कि वजह से हुआ है /

2-गृह मंत्रालय का कहना है कि हमने खुपिया सूचना के आधार पर पहले जानकारी दी थी / यह दुर्घटना रेल लाइन के फ़ीस प्लेट के खुले होने कि वजह से हुई है /

3-ममता जी इस बात पर कुछ नहीं बोल पा रहीं हैं कि जब ट्रेन पटरी से उतरी थी और लोग मर रहे थे तो दूसरी मालगाड़ी ट्रेन कि टक्कर भी मरे हुए को मारने कैसे पहुंच गयी ,कहाँ गयी रेलवे कि सूचना और सुरक्षा व्यवस्था ?

4-रेलवे में अनुशासन हीनता और कार्यकुशलता का अभाव के लिए कौन जिम्मेवार है ?

5-अगर ये विस्फोट भी है तो गृह मंत्रालय ने ऐसे विस्फोट के आशंका के मद्दे नजर क्या-क्या सुरक्षा इंतजाम किये थे ,या यूँ ही अपनी खाल बचाने के लिए खुपिया सूचनाओं का हवाला दिया जा रहा है ?

दर असल ये हादसे सिर्फ और सिर्फ हमारे व्यवस्था में बैठे निकम्में और स्वार्थी लोगों के लापरवाही भरे रवैये के कारण होतें हैं ,देखना है कि इस हादसे के बाद भी इनका इंसानी जमीर कितना जगता है और ऐसे हादसों को रोकने के लिए इनके द्वारा क्या-क्या गंभीर और ठोस उपाय किये जाते हैं / फ़िलहाल तो मृतकों को हम अपनी श्रधांजलि  और घायलों के जल्द स्वस्थ होने कि कामना ही कर सकते हैं /

सोमवार, 17 मई 2010

सभी आम ब्लोगरों,कानून से जुड़े ब्लोगरों और पत्रकार ब्लोगरों से इंसानियत के नाते एक प्रार्थना --------

आदरणीय ब्लोगर बंधू
सादर आभार और बड़ों को नमस्कार ,

विषय - इंसानियत पर हैवानों द्वारा हमला कर जान से मारने के प्रयास के खिलाप आवाज और समुचित जाँच कर दोषियों को हर हाल में सजा दिलाने के सामूहिक प्रयास की अपील-----


13 /05 /2010 के रात लगभग 08:30 बजे रात्रि में श्री V.R.VAISH के शांति अपार्टमेन्ट के फ्लेट नंबर -117 में घुसकर कुछ अज्ञात बदमाशों ने उनके ऊपर जान लेवा हमला किया ,ये हमला उनकी जान लेने के उद्देश्य से ही की गयी ,लेकिन सौभाग्यवश, हमला घातक होने के बाबजूद ,जान ऊपर वाले की रहम से बच गयी / श्री VAISH में कुछ मानवीय कमजोरियां आम इन्सान की ही तरह हो सकती है, लेकिन मैं इतना पूरे दावे के साथ कह सकता हूँ की श्री VAISH चरित्रवान ,निडर और अन्याय के खिलाप आवाज उठाने में हमेशा आगे रहे है और जो कुछ गुंडा और हरामी टायप लोगों को पसंद नहीं है / इसी गुंडा और असामाजिक लोगों ने इनको जान से मारने का प्रयास किया है / श्री VAISH इस समय पीतमपुरा के मेक्स अस्पताल में भर्ती हैं / मेरा श्री VAISH से कोई सम्बन्ध नहीं है सिवाय एक इंसानियत के /

                                   
                          अतः हम  चाहते  हैं  की आप लोग अपने संपर्क के मिडिया या खुद श्री VAISH से मिलकर श्री VAISH को दर्दनाक मौत देने का प्रयास करने वालों को पकड़ने और उसे सजा देने के लिए DCP नोर्थ-वेस्ट दिल्ली, कमिश्नर दिल्ली पुलिस,सीबीआई और गृह मंत्रालय को आग्रह करें और दोषियों को सजा देने के लिए बाध्य करने का सामूहिक प्रयास करें / क्योकि ये हमला इंसानियत पे हमला है /
                                        
                            श्री VAISH का फोन नंबर है -09811163892 और 011 - 27787615 है ,इनका पता है फ्लेट नंबर -117 ,शांति अपार्टमेन्ट,सेक्टर-A -5 ,पॉकेट-13 ,नरेला ,दिल्ली-40 ,आप इनसे मिलने के लिए GT KARNAL रोड से नरेला सेक्टर A -5 ,आ सकते हैं ,बस अड्डा दिल्ली से DTC की 120 नंबर और 131 नंबर बस की बहुत ज्यादा सेवा है जो १:३० घंटे में नरेला सेक्टर A -5 ,पहुंचा देगी / हम चाहते है की आपलोग इनसे मिलकर तहकीकात करें और उसकी रिपोर्ट के साथ दिल्ली पुलिस और अन्य जाँच एजेंसियों को मानवता के आधार पर सख्त कार्यवाही के लिए जरूर लिखें /
                                          
                                               इंसानियत पे हमला शर्मनाक है और ऐसा करने वालों को सख्त सजा दिलाना हम सब का दायित्व और कर्तव्य है / आज कल बिना सामूहिक प्रयास के इस भ्रष्ट व्यवस्था में न्याय मिलना असंभव है और हमलोगों के ऐसा नहीं करने से ही अपराधियों और असामाजिक तत्वों के ताकत को बढ़ावा मिलता है तथा इंसानियत शर्मसार हो रही है /आशा है आप लोग अपने-अपने ढंग से श्री VAISH को न्याय और सुरक्षा दिलाने का प्रयास जरूर करेंगे / उनसे मिलने में अगर आपका कुछ कीमती वक्त और पैसा खर्च होता है तो उसे इंसानियत की रक्षा पे किया गया खर्च समझ ,इस खर्च को सार्थक समझें / आशा है इंसानियत की रक्षा के लिए आप लोग एकजुट होकर आगे जरूर आयेंगे /

मंगलवार, 4 मई 2010

दिल्ली के ये आतंकवादी Resident Welfare Association -------?


आज मैं  दिल्ली के मुख्यमंत्री,उपराज्यपाल और दिल्ली पुलिस के मुखिया का ध्यान दिल्ली के उस सामाजिक आतंकवाद  कि ओर दिलाने जा रहा हूँ , जो किसी आतंकवादी वारदात से भी ज्यादा आतंकित करता है, समाज को /

आप लोगों ने Resident Welfare Association का नाम तो सुना होगा / इसका अस्तित्व एक  गैरराजनीतिक संस्था के रूप में ,जिसका काम नागरिक अधिकारों कि रक्षा ,मूलभूत सुविधाओं को सरकार के सामने संगठित होकर रखने ,निवासियों के सामूहिक कल्याण ,सामाजिक न्याय के लिए सार्थक प्रयास जैसे और भी कई अच्छे उद्देश्यों के लिए हुआ था /

लेकिन हमने जब दील्ली के  इन Resident Welfare Association के कार्य और जमीनी हकीकत जानने का प्रयास किया तो ऐसे तथ्य सामने आये जो किसी भी सभ्य समाज के लिए बदनुमा दाग और देश को सामाजिक स्तर पर बेहद कमजोर करने तथा इमानदार और न्यायप्रिय नागरिकों को आतंकित करने वाला ही कहा जायेगा /

हमने अपने अभियान में पाया कि ये निवासियों के कल्याण के लिए बने Resident Welfare Association दरअसल निवासियों के लिए किसी आतंकवादी से कम नहीं /  

हमने पाया कि ज्यादातर इन Association के कर्ताधर्ता ऐसे लोग हैं, जिनका कानून तथा पारदर्शिता के प्रति ना तो कोई सम्मान है और ना ही ये ऐसा चाहते हैं / सुरक्षा व्यवस्था को पहले तो इनके द्वारा असुरक्षित और आतंकित बनाया जाता है फिर निवासियों से सुरक्षा के नाम पर ये लोग मोटी माशिक शुल्क उसूलते हैं / यही नहीं इन Association के पदों पर बैठे पदाधिकारी कई सालों से चुनाव के जरिये बदलने कि वयवस्था होते हुए भी जमे हुए हैं / जब हमने इसका कारण जानने के लिए निवासियों से पूछा तो ,उन्होंने बताया कि ये पाँच दस लोग मिलकर कोई भी फैसला ले लेते हैं और सारे  Resident को उसे मजबूरी में मानना परता है / अगर कोई इनके फैसले पे असहमति भी जताता है तो ये पाँच दस लोग उस व्यक्ति को सामाजिक बहिष्कार,सामाजिक मानसिक प्रतारणा जैसे उसके घर के सामने जमा होकर अनाप सनाप बोलना ,उसके घर के सामने अपनी गाड़ी  खरी कर देना ,उसके घर के सामने गाड़ी का होर्न जोर-जोर से बजाना ,गाड़ी के रिमोट से बार-बार आवाज निकालना इत्यादि तरीकों से उसे परेशान करने का काम करते है /  

ऐसे परेशानियों से बचने के लिए लोग इनकी ह़र जायज नाजायज मांग के सामने झुक कर ,उसे मान लेते हैं / यही नहीं इनकी जो सभा होती है उसमे 10 से 15 प्रतिशत लोग भी मौजूद नहीं रहते हैं, क्योंकि लोग इनकी सभा में आ भी जाएँ तो, ये लोग किसी से राय-मशविरा कर कोई निर्णय लेना जरूरी नहीं समझते हैं और अगर कोई जोरदार ढंग से अपनी बात रखना चाहता है तो ,उसकी उसी सभा में कुतर्क देकर बेइज्जत्ति कि जाती है / अगर कोई इसके खिलाप कानूनी कार्यवाही करता है तो ,ये निहायत ही गिरे हुए लोग उस व्यक्ति को बड़ी चालाकी के गैरकानूनी तरीकों से इतना परेशान करते हैं कि कहिं-कहिं Resident अपना दुखरा सुनाते हुए रो परे / 

यही नहीं इनकी किसी भी बात से असहमति रखने वाले Resident से अगर कोई बोलता भी है या उसके घर जाता है तो, ये आतंकवादी रूपी ,इंसान के रूप में हैवान लोग उस व्यक्ति को भी बिना किसी मुद्दे के गाली-गलौज कर अपमानित करने का कोई भी मौका नहीं छोरते / ये लोग वैसे निवासियों को ज्यादा परेशान करते हैं जो सत्य,न्यायप्रिय हैं और जिनका एक दो बड़ा लड़का नहीं है / जिनके एक दो बड़े लड़के हैं उनको ये कम परेशान करते हैं /

जो निवासी इनकी आतंक से परेशान होकर इनका सदस्य नहीं बना रहना चाहता है और इनको मासिक शुल्क देना बंद कर देता है उनको पहले तो ये लोग यह कह कर डराते हैं कि ,"कैसे नहीं देगा,उसूल लेंगे"और जो इनकी इस धमकी से डर कर भी नहीं देता है ,वैसे व्यक्ति का ये लोग जीना मुहाल कर देते हैं / 

यही नहीं हमने पाया कि ये लोग अवैध निर्माण,फर्जी अलाटमेंट,PWD ,DDA तथा और भी किसी प्रकार के सार्वजनिक निर्माण या व्यवस्था कि अनियमितताओं जैसे भर्ष्टाचार में पूरी तरह शामिल होकर उसमे से हिस्सा भी खाने का काम करते हैं / इनको निवासियों के हर सुख- दुःख से संपर्क जोड़ने का काम करना था ,उसकी जगह,  इनका संपर्क हर विभाग के भ्रष्ट अधिकारियों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है /  

 इन Resident Welfare Association के  ज्यादातर पदाधिकारी गैर कानूनी धंधों में शामिल हैं ,और अपनी कानूनी सुरक्षा के ढाल के रूप में Association के पद को इस्तेमाल करने के साथ-साथ निवासियों के पैसे से रखे गए निजी सुरक्षा गार्डों का भी इस्तेमाल करते हैं / दरअसल निवासियों को सुरक्षा देने के नाम पर ये अपराधी किस्म के लोग इन Association का इस्तेमाल अपनी सुरक्षा के लिए करते हैं और निवासियों पर बिना वजह मासिक शुल्क का भार पर जाता है / हमने यह भी पाया कि Association के पद के आर में ये ,बिजली भी चोरी का इस्तेमाल करते हैं और गेट पर खरे निजी सुरक्षा गार्ड को यह हिदायत दे कर रखते है कि ,कोई बिजली कि जाँच वाला आये तो ,उसे गेटे पर खड़ा कर पहले इनको सूचित करे, जिससे ये अपना चोरी कि डायरेक्ट कनेक्सन को हटा सके / 

कुल मिलाकर यह कहा जा जा सकता है कि इन Resident Welfare Association ने दिल्ली कि जनता के मौलिक अधिकारों,कानूनी मर्यादाओं ,सामाजिक सदभाव ,आपसी सहयोग और निवासियों कि व्यक्तिगत स्वतंत्रता को पूरी तरह बंधक बनाकर लोगों को इतना आतंकित कर दिया है कि कुछ लोगों ने तो इस स्थिति से अच्छा आत्महत्या कर लेने को बताया ? वहीँ कुछ लोगों ने आर-पार कि लड़ाई के उग्र रूप में जैसे मुंबई में गोली चलने और इन Association के सभा में मारपीट  तक हुई, वैसी ही दिल्ली में स्थिति बन रही है,ऐसा बताया /

लोगों से जब हमने इस स्थिति के समाधान के बारे में पूछा तो लोगो ने जो सुझाव दिए ,वह इस प्रकार है - लोगों का कहना था कि, ये Association अपने पदाधिकारियों का चुनाव कम से कम 70 % निवासियों के मतदान या आम सहमती के आधार पर करे , मासिक शुल्क कि पहले जरूरत के आधार पर रूपरेखा तैयार कर ,निवासियों के विचार और सुझाव लिए जाएँ ,उसके बाद 70% कि आम सहमती से उसे लागु किया जाय , दो पड़ोसियों के बिच उठे किसी भी विवाद को पहले Association के स्तर पर पंच परमेश्वर के आधार पर न्यायसंगत फैसले लिए जायें,खर्चों का मासिक व्योरा सूचना पट्ट पर लगाया जाय,Association के पद पर दुबारा पद के लिए कोई पदाधिकारी तभी नामांकन करे जब निवासियों में से सभी लोग लिखित में ये दे दे कि हम में से कोई नहीं बनना चाहता है ,अगर कोई निवासी मासिक शुल्क नहीं देता है तो ,उसके खिलाफ कानूनी कार्यवाही कि जाय ना कि अमानवीय प्रतारणा देकर या आतंकित कर उससे मासिक शुल्क उसूला जाय  ,Association निवासियों के हर लिखित शिकायत का जवाब एक महीने के भीतर लिखित में निवासियों को दे ,मासिक और सुरक्षा शुल्क का निर्धारण सुविधा के उपयोग के आधार पर हो ना कि एक कार वाले से जितना लिया जाता हो ,उतना चार कार वाले से भी लिया जाय ,ऐसा करना एक कार वाले के साथ अन्याय करने के बराबर है और सबसे महत्वपूर्ण सुझाव जो लोगों ने दिए वह था कि हर Association के लिए साल में एक बार हर निवासी से Association के अपने कार्यों का समीक्षात्मक रिपोर्ट लिखित में लेना और उसे सोसाइटी  रजिस्ट्रार  के पास जमा करवाना अनिवार्य कर दिया जाय ,जिससे इनके कार्यप्रणाली का पता चल सके और समीक्षा कि जा सके  / 

उपर्युक्त बातों को देखते हुए ,यह कहा जा सकता है कि दिल्ली में इन Resident Welfare Association ने आतंक का माहौल बना रखा है ,जिससे कभी भी सामाजिक विस्फोट कि स्थिति बन सकती है / अतः हमारा आग्रह है ---दिल्ली के कानून और दिल्ली के नागरिकों के मानवीय अधिकारों कि रक्षा के लिए जिम्मेवार ,दिल्ली के मुख्यमंत्री ,उपराज्यपाल और दिल्ली पुलिस के मुखिया से कि ,जल्द से जल्द इन Resident Welfare Association कि जाँच कर जमीनी हकीकत का निरिक्षण करें और आवश्यक मूलभूत सुधार के लिए जरूरी उपाय करें / साथ ही दिल्ली के हर थाने से रिपोर्ट मंगवाकर यह देखें कि अगर किसी निवासी को प्रतारित करने कि शिकायत है तो सम्बंधित Resident Welfare Association के पदाधिकारियों पर जाँच बैठाकर सख्त से सख्त कार्यवाही करें / मासिक शुल्क उसूलने के लिए लोगों को आतंकित करना और प्रतारणा देना जघन्य अपराध कि परिभाषा में आता है / 

आप ब्लोगरों से भी हमारा आग्रह है कि ,अगर आपने भी कहीं ऐसा महसूस किया या इस प्रकार कि परेशानियों को  झेला है तो ,कृपा कर इस ब्लॉग पर लिखें या हमसे संपर्क करें /   
    

सोमवार, 3 मई 2010

रोती शिक्षा,सोती सरकार और जागती बिल्डर माफिया ------?





वैसे तो पूरे दुनिया को बर्बाद करने और आम लोगों के जीवन को दुखों कि गहराइयों में भेजने का पुण्य काम  इस बिल्डर माफिया ने ही किया है ,लेकिन हमारे देश और हमारे देश कि शिक्षा व्यवस्था को इस बिल्डर माफिया ने किस तरह पूरी तरह बर्बाद कर लाखों छात्रों के भविष्य  को ही नहीं ,बल्कि भारत के भविष्य से भी गन्दा खेल खेलने का काम किया है , इसका सनसनीखेज खुलासा हमारे द्वारा कि कई  40 DEEMED UNIVERSITY के  मान्यता रद्द करने के कारणों और इन विश्वविद्यालयों के पीछे छुपी हकीकत को जानने के हमारे प्रयास से /

हमने खोज तो इस लिए शुरू किया था कि इन विश्वविद्यालयों के बंद होने से छात्रों पे क्या असर पड़ेगा / लेकिन जब हमारे लोगों ने इन विश्वविद्यालयों तक पहुंच कर वहाँ पढने वालों छात्रों से बात किया और प्रबंधन का जायजा लिया तो चौकाने वाले वो तथ्य सामने आये जो किसी भी देश के शिक्षा व्यवस्था को बर्बाद करने के लिए काफी है /

हमने पाया कि इस तरह के ज्यादातर विश्वविद्यालय या तो किसी बिल्डर माफिया का है या सांसदों और मंत्रियों के रिश्तेदारों का / इनको सारे नियम कायदे को ताक पड़ रखकर फोरेस्ट कि ज़मीन तक में ,अवैध निर्माण करने और विश्वविद्यालय चलाने कि अनुमति दी गयी / इनको ज़मीन मुहैया कराने से लेकर UGC से मान्यता तक के सफ़र में ,उस समय के  HRD मिनिस्ट्री से लेकर UGC और शिक्षा विभाग तक के भ्रष्ट अधिकारियों और मंत्रियों ने, इन माफिया टायप लोगों से मोटी रिश्वत का खेल खेला /

इन विश्वविद्यालयों में छात्रों से लाखों रूपये विभिन्न पाठ्यक्रम के लिए उसूलने के बाबजूद ना तो उसके लिए उचित शिक्षक और ना ही कोई बिशेषज्ञ कि समुचित व्यवस्था कि गयी / पढाई और क्लास कि अवस्था तो उचित शिक्षकों के नहीं होने से सहज ही लगाया जा सकता है / यही नहीं इन विश्वविद्यालयों के कई मालिक ,जो या तो खुद प्रिंसिपल हैं या उनका लड़का या उनका कोई नजदीकी रिश्तेदार, जिनके खुद कि डिग्रियां भी फर्जी बताये जाते या संदेह के घेरे में है / इन तथाकथित विश्वविद्यालय चलाने वाले फर्जी लोगों ने UGC के मान्यता के नाम पर ,साथ में कई-कई और विश्वविद्यालय भी खोल रखा है तथा छात्रों और अभिभावकों को प्रभावित कर ठगने के उद्देश्य से विभिन्न देशों में बैठे इनके खुद के ठगी के नेटवर्क रुपी संस्थाओं से भी मान्यता प्राप्त दिखा रखा है / इनके द्वारा चलाये जा रहे छात्रावासों कि व्यवस्था काफी दयनीय होने के बाबजूद इन्होने छात्रों से मोटी शुल्क उसूलने कि पुख्ता व्यवस्था कर रखी है / कुछ जगहों पर तो जानबूझकर पढाई के जगह मटरगस्ती का माहौल बनाया गया ,जिससे छात्रों का ध्यान दूसरी ओर आकर्षित किया जा सके /

इतना ही नहीं यहाँ फर्जी डिग्रियां बेचने और उसके एवज में लाखों रुपया उसूलने का संगठित रूप से पूरा-पूरा प्रबंध है / यहाँ ठगी के नाम पर कइयो ने प्रिंटिंग प्रेस तक लगा कर, विभिन्न विश्वविद्यालयों के फर्जी डिग्रियां और फर्जी किताबें छापने कि भी व्यवस्था कर रखा है / 

इन विश्वविद्यालयों के छात्रों से बातचीत में यह भी खुलासा हुआ कि ज्यादातर छात्र इन विश्वविद्यालयों में व्याप्त कुव्यवस्था से परेशान हैं और चाहते हैं कि ऐसे ठगी के संस्थान बंद ही हो जाय तो अच्छा होगा / पहचान बदलकर छात्रों और कुछ संचालकों से बातचीत में यह भी पता चला कि भ्रष्टाचार और रिश्वत कि ताकत से इन विश्वविद्यालयों कि मान्यता को रद्द होने से बचाने का उच्चस्तरीय खेल खेला जा रहा है / इस खेल में बिल्डर या यों कहें शिक्षा माफिया के जीतने कि उम्मीद भी पूरी लग रही है / सरकार को सारी स्थिति का पता होते हुए भी सरकार शिक्षा जैसे गंभीर मुद्दों पे भी सोती रही है / जिसकी जितनी निंदा कि जाय वो काम है / इस देश में शिक्षा व्यवस्था पर बिल्डर माफिया का पूरा कब्ज़ा हो गया है ,जो आने वाले समय में शिक्षा का भारी नुकसान कर पूरी सामाजिक परिवेश को दूषित कर सकता है /

ऐसे में कपिल सिब्बल जी अगर सही मायने में शिक्षा में सुधार चाहते हैं ,तो उनको इन विश्वविद्यालयों में पढने बाले छात्रों के बयान कि विडियो रेकॉर्डिंग कोर्ट में पेश कर इन विश्वविद्यालयों के मालिकों पर 420 और धोखाधड़ी का मुकदमा भी दर्ज कर इनको सजा दिलाना होगा  / क्योंकि शिक्षा जैसे पेशा को सिर्फ और सिर्फ तिकरम से पैसा बनाने का पेशा बनाने वालों के खिलाप कार्यवाही होनी ही चाहिए / अदालत फैसला करेगी सबूत जुटाकर देना सरकार कि जिम्मेवारी है /

ये हाल NCR में चल रहे DEEMED UNIVERSITY का है ,तो दूर दराज में चल रहे का क्या हाल होगा ? वैसे कुछ छात्रों ने इसके देश व्यापी अभियान कि शुरुआत कर ,इन विश्वविद्यालयों कि हकीकत और ठगी के गोरख धंधे  को लोगों के सामने लाने का अभियान शुरू भी कर दिया है / भगवान उनको इस नेक अभियान में सफलता दें /

आप लोगों से आग्रह है कि ऐसे विश्वविद्यालयों में अपने बच्चों का दाखिला कराते वक्त ,उसकी व्यवस्था और उसमे शिक्षकों व प्राचार्य कि भी पूरी जाँच कर लें , कहीं वो कोई माफिया तो नहीं , क्योंकि इनको एक बार आपने फीस दे दी, तो वापस लेना नामुमकिन ही है / वैसे कागजों में इन्होने सबकुछ ठीकठाक व्यवस्था दिखा रखा है ,लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयाँ कर रही है /

शनिवार, 1 मई 2010

न्यूनतम मजदूरी - सामाजिक सरोकार और भ्रष्टाचार ---?




                                

आज मजदूर दिवस है ,इसलिए मैंने मजदूर और मजदूरी से सम्बंधित विषय को इस पोस्ट के जरिये आप तक पहुँचाने का सोचा है /

मजदूर और मजदूरी से जुरी सबसे महत्व पूर्ण मुद्दा है ,-न्यूनतम मजदूरी / दिल्ली देश कि राजधानी है / लेकिन यहाँ भी ज्यादातर मजदूरों को न्यूनतम मजदूरी नहीं मिलती है , यहाँ तक कि सरकारी कार्यों में भी इस पर कोई निगरानी नहीं रखी जाती कि ,जो ठेकेदार सरकारी कार्यों को पूरा कर रहे हैं ,वो मजदूरों को न्यूनतम मजदूरी दे रहे हैं कि नहीं ?

सरकार सिर्फ आदेश निकालकर अपने कर्तव्यों कि इतिश्री  कर लेती है / वह आदेश लागू हो रहा है और नहीं हो रहा है तो समस्या क्या है और उसका समाधान क्या है ,इस पर ईमानदारी से विचार करना ,वो जरूरी नहीं मानती और ना ही कोई सार्थक प्रयास भी करती है /

अब यहाँ यह देखना होगा कि न्यूनतम मजदूरी क्या सिर्फ कानूनी जिम्मेवारी है ? तो इसका जवाब है नही / न्यूनतम मजदूरी कानूनी से ज्यादा हमारी सामाजिक जिम्मवारी भी है / 

अब अगर यह सामाजिक जिम्मेवारी भी है तो ,लोग इसका पालन क्यों नहीं करते / हमने जब इसके तह में जाने कि कोशिस कि तो पाया कि इसके पीछे भी भ्रष्टाचार का ही पूरी तरह हाथ है / श्रम निरीक्षक से लेकर ,श्रमायुक्त तक अपनी जेब भरने के लिए अच्छे व्यवसायियों को गलत राह पर चलने यानि मजदूरों को कम मजदूरी लेकिन उनकी जेबें भरने को मजबूर करते हैं / ज्यादातर व्यवसायी इसके लिए नीयत समय पर रिश्वत कि मंथली इन अधिकारियों तक पहुंचाते हैं / ऐसे में नहीं पहुचाने वालों को तरह-तरह से परेशान किया जाता है / आज अगर श्र्मायुक्तों कि खुफिया जाँच कि जाय तो केतन देसाई कि तरह ही इनके पास से भी ,कड़ोरों कि अवैध  सम्पति  मिलेगी / यही नहीं इमानदार व्यवसायियों  को दिल्ली तक में अपनी मूलभूत सुविधा पानी ,बिजली,सीवर ,औद्योगिक क्षेत्र में सड़के ,बैंकों से ऋण ,इत्यादि पाने में इतना रिश्वत देना परता है कि ,वह मजदूरों कि मजदूरी को काटकर उसकी भरपाई करता है / कहिं-कहिं यह भी देखा गया है कि कुछ मजदूर इतने बेईमान होते हैं कि ,वे ईमानदारी से काम ही नहीं करते ,जिससे भी मालिकों को दुखी होकर मजदूरों को कम मजदूरी देने का मन बनता है /

अब ऐसे में समाधान मजदूर और मालिक दोनों कि समस्याओं पर सार्थकता से विचार कर उसका समाधान ढूँढने से ही होगा / सरकारी ठेकेदारों का मंत्रियों और अभियंताओं द्वारा शोषण बंद कर हम मजदूरों को न्यूनतन मजदूरी ठेकेदारों से दिला सकते हैं / आज दिल्ली के लोक निर्माण विभाग के अभियंताओं का ये हाल है कि ,उनके द्वारा ठेकेदारों को घटिया काम करने और रिश्वत देने के लिए मजबूर किया जाता है और दिल्ली कि सरकार सब कुछ पता होते हुए भी ,कोई समुचित जाँच कर दोषियों को सजा देना तो दूर इस प्रकार का कोई प्रयास भी नहीं करती दिख रही है / इसलिए यह कहा जा सकता है कि आम जनता के दुखों कि तरह ही भ्रष्टाचार के ख़त्म होने से ही मजदूरों के दुखों का भी खात्मा होगा /

बस अंत में इतना ही आग्रह मालिकों से करना चाहूँगा कि मजदूरों को मानवता के वास्ते न्यूनतम मजदूरी जरूर देने का प्रयास करें / अगर मालिकों का या ठेकेदारों का शोषण किसी सरकारी अधिकारी के द्वारा किया जा रहा है तो उसके लिए अगर शिकायत करने में उनको कोई परेशानी हो तो हमें बताएं,हम करेंगे आपके समस्याओं कि शिकायत / साथ-साथ मैं मजदूरों से भी यह गुजारिस करूंगा कि न्यूनतम मजदूरी पाने के लिए निडरता से लड़ें  ,लेकिन अपने कार्य के समय में, खुद कि ईमानदारी के साथ काम करें / ऐसा करने से ही मजदूर और मालिक दोनों का भला होगा /