कहते हैं कि लोकतंत्र का दिल गावों में बसता है ,लेकिन भारत जैसे लोकतंत्र कि हालत गावों में इतनी ख़राब है कि लोगों का लगातार पलायन से महानगरों कि हालत भी दिनों-दिन इतनी बदतर होती जा रही है ,कि यही हालात रहें तो महानगरों में रहना गावों से भी ज्यादा कष्टकर हो जायेगा /
ऐसी अवस्था के लिए सिर्फ और सिर्फ गलत सरकारी नीतियाँ ही जिम्मेवार है जिसे ए .सी दफ्तर में बैठ कर कुछ लोगों के फायदे के हिसाब से तैयार किया जाता है ना कि आम जनता के फायदे के लिए ? मसलन शिक्षा कि नीतियाँ और स्कूलों से लेकर महाविद्यालयों को खोलने का चयन भूमाफिया के फायदे और प्रिंट व कागज के निर्माताओं को फायदा पहुँचाने के आधार पर तय किया जाता है ,तभी तो लोग पढने के लिए दिल्ली ,पूना,कोटा इत्यादि कि तरफ भेडचाल कि तरह चले आते हैं / अगर नीतियाँ देश के ह़र क्षेत्र के जनता के शिक्षा कि जरूरतों के आधार पर संतुलित कर बनाया जाता होता तो आज देश और देश में शिक्षा का हालात बहुत ही बेहतर होता / कमोबेश यही हाल ह़र क्षेत्र के सरकारी नीतियों का है /
अब सवाल उठता है कि गावों के लोगों को प्रधानमंत्री व अन्य मंत्रालयों से कैसे जोड़ा जाय ? इसका जवाब है इन्टरनेट और ब्लॉग / अगर देश का ह़र गावँ का ह़र एक घर इन्टरनेट से जुड़ा होगा तो वह किसी भी सामाजिक सरोकार के मुद्दे पर सरकार को तुरंत अपनी राय अपने ब्लॉग या इमेल से पहुंचा देगा / यही नहीं गावों में लोकतंत्र के गिरते कार्य प्रणाली और प्रतिनिधियों द्वारा सरकारी धन के दुरूपयोग और सदुपयोग कि सूचना भी आम जनता अपने लोकतंत्र के शिखर पड़ बैठे रखवालों तक ह़र दिन पहुंचा पाएंगे , जिससे सरकार को न चाहते हुए भी जनता के भावनाओं और जरूरतों को मानना ही होगा /
और इस काम में सरकार कि अगर कोई सबसे ज्यादा मदद कर सकता है तो वह है आज के ब्लोगर / ब्लोगरों का उपयोग सरकार गावँ के लोगों में जागरूकता फ़ैलाने और लोगों को इन्टरनेट का उपयोग कर सीधा देश के नीती निर्माण से कैसे जुड़ें ,यह समझाने और बताने के लिए कर सकती है /
जब देश का ह़र गाँव का ह़र घर इन्टरनेट से जुड़ेगा तो जाहिर तौर पड़ ब्लोगरों कि संख्या में भी अप्रत्याशित बृद्धि होगी और ज्यादा विचार और तर्कसंगत तथ्यों पर आधारित आलोचना सरकार को सुनने और पढने को मिलेगी जिससे सरकार में बैठे इमानदार लोगों कि दुविधा भी दूर होगी / इसके साथ-साथ चाहे वह केंद्र सरकार हो या राज्य सरकार दोनों को ह़र दिन गावँ तक के प्रशासनिक व्यवस्था तक कि रिपोर्ट मिल जाएगी /
निश्चय ही जब ह़र गावँ सरकार के नीती निर्माण में अपनी राय और सुझाव दे पायेगा तो देश का लोकतंत्र सही मायने में लोकतंत्र कि ओर अग्रसर होगा / निश्चय ही यह ब्लोगरों कि राय और सुझाव पड़ बनने वाले नीतियों पर आधारित लोकतंत्र कहलायेगा /
उपयोगी सुझाव ।
जवाब देंहटाएंसुझाव तो अच्छा है !!
जवाब देंहटाएंnice
जवाब देंहटाएंअच्छी राय
जवाब देंहटाएंकोइ सरकार सहमत नहीं होगी.
जवाब देंहटाएंKajal KUMAR JI
जवाब देंहटाएंLOKTANTR MAIN ASAL MAYNE MAIN SARKAR HUM,AAP AUR HAMARE AAPKE JAISE KARORON AAM JANTA HAI,NA KI PRDHANMANTRI YA RASHTRPATI.JAB HUM AAP MAAN JAYENGE TO SARKAR KAISE NAHI MANEGI.CHUNOUTI SIRF KISI DESH HIT KE MUDDE PAR DESH KE JANTA KO EKJUT KARNE KI HAI.
जय कुमार जी ,
जवाब देंहटाएंआपका सुझाव काबिले गौर है मगर एक सवा अरब की जनसंख्या वाले उस देश में जहां आज भी लगभग आधी जनसख्या निरक्षर है , उसमें ये उपाय बहुत ज्यादा प्रायोगिक नहीं है । हां मगर ब्लोग्गर्स की बढती संख्या को देखते हुए , किसी भी समस्या को जरूर उठाया जा सकता है कारगर तर
jab tak aam insan ke man m imaandari ka bhaav paida nahi hoga tab tak kuch nahi hogaa ..aam insan bhi apna zamiir bech chuka hai chand sikke dalo kutte ki tarah aapke piiche chal degaa ....jab vote dale jate h tab aasani se ye baten dekhne ko mil jati hai
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