गुरुवार, 23 दिसंबर 2010

बिहार के सीतामढ़ी जिले के 273 में से 138 गांवों के मुखिया तथा पंचायत सचिव के खिलाप गिरफ़्तारी का वारंट.....

सीतामढ़ी जिले का नक्सा(चित्र गूगल से साभार)

बिहार के सीतामढ़ी जिले के 273 में से 138 गांवों के मुखिया तथा पंचायत सचिव के खिलाप गिरफ़्तारी का वारंट.....कारण है गांवों को रोशनी देने के लिए सोलर लाइट को लगाने में हुआ घोटाला........निश्चय ही इसे बिहार में भ्रष्टाचार के खिलाप हो रहे सार्थक कार्यवाही कहा जा सकता है......शाबास नितीश जी.....अब इन सबको जेल भी भेजने की व्यवस्था कीजिये......

रविवार, 17 अक्तूबर 2010

U.P पुलिस का एक और शर्मनाक कारनामा....जबकि प्रदेश की मुख्यमंत्री महिला हैं और देश का राष्ट्रपति भी एक बृद्ध महिला.......

गाजीपुर के नंदगंज थाने के भीतर बिना अपराध जबरन बंधक बनाकर रखी गईं महिलाएं : लाल साड़ी में खड़ी श्री यशवंत सिंह की मां , पैर व कूल्हे में दिक्कत के कारण लेटी हुईं चाची, बैठी हुईं दो स्त्रियों में चचेरे भाई की पत्नी हैं. एक अन्य दूसरे आरोपी की मां हैं...


देश में महिलाओं के साथ खासकर बृद्ध महिलाओं के साथ पुलिस का व्यवहार कैसा शर्मनाक और कायरता पूर्ण है इस बात का अंदाजा आप U.P के गाजीपुर जिले के नंदगंज थाने के पुलिस के व्यवहार से लगा सकते है जहाँ एक बृद्ध महिला को उसके भतीजे के अपराधी होने के चलते 12 घंटे तक थाने में बंधक बनाकर रखा गया ...ये सिर्फ किसी एक मां की समस्या नहीं बल्कि उन करोड़ों माओं की समस्या है जो इस देश के गांवों में रहती है | 

निश्चय ही पुलिसिया इतिहास में इसे सबसे शर्मनाक घटना  कहा  जा  सकता  है खासकर तब  जब  प्रदेश की मुख्यमंत्री महिला हो और देश का राष्ट्रपति एक बृद्ध महिला |


पूरी घटनाक्रम के लिए निम्नलिखित लिंक पर जाकर पढ़ें और ऐसे पुलिसिया अत्याचार के खिलाप आवाज को तबतक बुलंद करें जब तक पुलिस बृद्ध महिला से लिखित में माफ़ी मांगे या ऐसे पुलिस वालों के खिलाप कार्यवाही ना हो जाय ...


http://www.bhadas4media.com/dukh-dard/6969-2010-10-16-11-26-00.html

http://www.bhadas4media.com/dukh-dard/6980-2010-10-17-09-05-00.html

http://www.bhadas4media.com/dukh-dard/6982-2010-10-17-09-56-04.html

शनिवार, 11 सितंबर 2010

प्रियंका और रणवीर से मिलने का मौका वो भी सिर्फ 30 रूपये में 30 दिन ,ऑफर 16 सितम्बर तक ....?

जब तक ऐसे लोगों के खिलाप जाँच को बेवजह लम्बा खीचकर भ्रष्टाचार को संरक्षित किया जाता रहेगा ,इस देश की जनता को हर तरफ खुलेआम लूटा जाता रहेगा | जरूरत है भ्रष्ट मंत्रियों के खिलाप जाँच को  हर-हाल में 180 दिनों के अन्दर पूरी कर दोषी मंत्रियों को सरे आम फांसी की सजा देने की |


संचार मंत्रालय के मंत्री और अधिकारी भ्रष्टाचार में लिप्त होकर अरबपति बन रहें हैं ,TRI की तो उपयोगिता ही ख़त्म हो चुकी है ये अब मोबाईल कंपनियों को जनता के हितो में काम करने के लिए निर्देश देने के वजाय जनता को लूटने का निर्देश दे रही है | तभी तो अब आप ग्राहक सेवा केंद्र में बात करने के लिए भी शुल्क चुकायेंगे और मोबाईल कंपनियों के इस प्रस्ताव को TRI ने भी हरी झंडी दिखा दिया है | जरा सोचिये कोई ग्राहक ,ग्राहकसेवा केंद्र में कब बात करता है ? तब-जब उसे कोई शिकायत या सेवा सम्बंधित जानकारी चाहिए होती है या वह दुखी होता है किसी मोबाईल कंपनी के ठगी रुपी सेवा से | ऐसे में उनसे इस बात के लिए तब पैसे उसूलना कितना जायज है जब मोबाईल कम्पनियाँ काल दर कम से कम करने में लगी हुयी है | सबसे अचम्भा TRI के मंजूरी देने के रवैये पे होता है जो मोबाईल कंपनियों द्वारा आये दिन ग्राहकों को बेबकूफ बनाकर लूटने और ठगने  को तो रोक नहीं पा रही है ,लेकिन इन मोबाईल कंपनियों द्वारा ग्राहकों के खिलाप लाये गये प्रस्ताव को मंजूरी तुरंत दे देती है | TRI के ऐसे ही रवैये से मोबाईल कंपनिया भ्रमित करने वाले विज्ञापन ग्राहकों को भेजकर सरेआम ठग रही है और ठगती रहेगी | 


एयरटेल के एक विज्ञापन को देखिये जिसमे वह प्रियंका और रणवीर से मिलने का मौका तीस रूपये में तीस दिन का ऑफर देकर लोगों को बेबकूफ बनाकर ठगने का प्रयास कर रही है | दरअसल अब मोबाईल कम्पनियाँ नहीं ठग रही है बल्कि संचार मंत्रालय और TRI के भ्रष्ट मंत्री और अधिकारी इनको ठगने के लिए प्रेरित कर रही है |



ये विज्ञापन मेरे मोबाईल नंबर -9810752301 से 123 नंबर डायल करने पर अपना बेलेंस चेक करने के जवाब में दिनांक-11/10/2010 17:55 पे SMS के रूप में आया है ....प्रस्तुत है उस SMS की पूरी फोटो कॉपी  आप लोगों की सेवा में ...

Balance-Rs 161.57,Validity-jul 05 2012,local A2Amin:0.00,Call Bal:Rs 0.00,Priyanka/Ranbir se milne ka mouka 16-Sep tak! Dial@ 51010(Rs 30/30Din)  17:55 11/10/2010 


TRI की उपयोगिता जनहित में कम और मोबाईल कंपनियों के हित में ज्यादा साबित हो रही है ,अतः इसे बंद कर दिया जाय और इसकी जगह पर उपभोक्ताओं के जरूरत और शिकायतों के सर्वे को आधार बनाकर मोबाईल कंपनियों को रेगुलेट किया जाय ...

अब आप लोग खुद अंदाजा लगाइये की  Priyanka/Ranbir se milne ka mouka 16-Sep tak! Dial@ 51010(Rs 30/30Din)  इसका क्या मतलब निकलता है | क्या ये खुलेआम ठगी और चार सौ बीसी नहीं है ....? सरकार और सरकार में बैठे भ्रष्ट लोगों का इस तरह का दलाली भरा रवैया शर्मनाक है इस देश और समाज के लिए पूरी की पूरी अर्थ व्यवस्था ठगी पे आधारित होती जा रही है |




बुधवार, 8 सितंबर 2010

सभी विवादों के बाबजूद श्री पी.जे.थोमस बने इस देश के मुख्य सतर्कता आयुक्त....



1973 बैच के केरला कैडर के  IAS अधिकारी तथा पूर्व संचार सचिव श्री पी.जे.थोमस सभी विवादों के बाबजूद इस देश के मुख्य सतर्कता आयुक्त बनाये गये |



बीजेपी के श्रीमती सुषमा स्वराज ने राष्ट्रपति भवन में हुए शपथ ग्रहण समारोह का यह कहकर विरोध किया की श्री थोमस का नाम केरला के आयल घोटाले तथा 2G स्पेक्ट्रम घोटाले से जुड़ा है इस लिए श्री थोमस की नियुक्ति CVC जैसे महत्वपूर्ण पद के लिए नहीं किया जाना चाहिए था |


वहीँ श्री मनमोहन  सिंह जी का कहना है की उन्होंने सबसे उपयुक्त व्यक्ति को चुना है CVC के पद के लिए | देश की जनता तो इतना ही कहेगी श्री थोमस से की उनका चुनाव चाहे जिन परिस्थितियों में हुआ हो लेकिन उनका पद और जिम्मेवारी बहुत ही महत्वपूर्ण है और देश की जनता उनसे यही आशा कर रही है की उनके द्वारा भ्रष्टाचार के खिलाप कुछ ऐसे ठोस कदम जनता के सुझाव और सहयोग से ईमानदारी से उठाये जायेंगे जिससे इस देश और समाज को भ्रष्टाचार जैसे कोढ़ के प्रभाव में आकर मरने से बचाया जा सके तथा इंसानियत को जिन्दा किया जा सके |




वैसे CVC आम लोगों से भ्रष्टाचार से निपटने के मुद्दे पे सलाह और सुझाव भी 20 सितम्बर तक आमंत्रित कर रहा है | आप लोगों से आग्रह है की आपलोग अपने बहुमूल्य सुझाव CVC के OSD श्री के सुब्रमण्यम जी को SUBRAMANIAM.K@NIC.IN के इ.मेल पते पर जरूर भेजें |

शुक्रवार, 3 सितंबर 2010

इस घटना से देश भर के IAS और IPS अधिकारियों को सबक लेना चाहिए ....

सत्यमेव जयते की रक्षा करने वाले भी कर्तव्यहीनता,अनुशासनहीनता तथा अराजकता की वजह से असुरक्षित हैं ,मनमोहन सिंह जी के भारत में भ्रष्टाचार और नैतिक पतन का विकाश दर आश्चर्यजनक है,सोनिया गाँधी के भारत में एक महिला IPS अधिकारी भी सुरक्षित नहीं है तो आम महिला की सुरक्षा का सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है  ...शर्मनाक है इस देश की व्यवस्था


यूपी के बरेली में एक महिला IPS पुलिस अधिकारी को उसके ही  विभाग के तीन पुलिसकर्मियों ने सड़क पर घसीट कर जान लेने की कोशिस की ,वैसे पुलिसकर्मियों द्वारा आम आदमी के साथ तो ऐसा वाकया हमेशा  और हर जगह होता है ,लेकिन  एक महिला IPS पुलिस अधिकारी के साथ हुआ ये वाकया ना सिर्फ शर्मनाक है बल्कि देश भर के IPS और IAS अधिकारियों के लिए सबक |


दरअसल इस समय देश गंभीर अनियंत्रित राजनितिक नेतृत्व ,अनुशासनहीनता,संवेदनहीनता तथा भ्रष्टाचार की चरम पराकाष्टा की चपेट में है | पुलिस या किसी विभाग में भी नियुक्ति चरित्र तथा योग्यता के आधार पर ना होकर भ्रष्ट चरित्र के राजनितिक दवाब तथा पैसों के आधार पर हो रहा है | SC/ST में भी अच्छे लोग हैं लेकिन हरामी व भ्रष्ट राजनेताओं की चमचागिरी नहीं करने की वजह से ऐसे लोग नियुक्ति तक नहीं पहुँच पाते हैं ,नियुक्ति उन लोगों की होती है जो नेताओं के चमचे,असामाजिक चरित्र और उनके भ्रष्टाचार के पोषक होते हैं | इस तरह की नियुक्ति में भ्रष्ट नेताओं के साथ-साथ भ्रष्ट अधिकारी भी खूब नोट छापते हैं और नतीजा कुव्यवस्था,अराजकता और अनुशासनहीनता के रूप में सामने आती है |


भ्रष्टाचार और लोभ-लालच की वजह से IAS और IPS अधिकार आम लोगों खासकर सामाजिक लोगों से लगातार दूर और भ्रष्टाचारियों और असामाजिक तत्वों के बेहद करीब होते जा रहे हैं ,क्योंकि सामाजिक लोग उनको कमाई का साधन मुहैया नहीं करा सकते जबकि असामाजिक तत्व समाज में लड़ाई,झगडा,हत्या,बलात्कार इत्यादि जैसे कुकर्मों को करने वाले को बचाने का धंधा ही चलाते हैं जिससे इन अधिकारियों को मोटी कमाई होती है लेकिन समाज कराहता है | इस कमाई के वजह से ज्यादातर अधिकारी अपने कर्तव्य से सबकुछ जानते हुए भी आँख मूंद लेते हैं और पीड़ित व्यक्ति को इन्साफ की जगह अन्याय और प्रतारना मिलता है | इन सारी कुव्यवस्था से पूरी की पूरी व्यवस्था सड़ चुकी है और भ्रष्ट राजनेताओं के लिए ऐसी व्यवस्था बरदान साबित हो रही है |


अतः हमारा आग्रह है देश के सभी IAS और IPS अधिकारियों से की थोड़ी सी इंसानियत को अपने आप में जिन्दा करें और भ्रष्ट राजनेताओं के दवाब में आये बिना अपने क्षेत्र के आम लोगों से मिले और तथ्यों को खुद जाँच परखकर सत्य और न्याय के आधार पर कार्यवाही करें तथा अपने विभाग के जूनियर अधिकारी और कर्मचारियों में अपने उच्च नैतिक चरित्र और कर्तव्य के प्रति सच्ची निष्ठां से भय पैदा करें | अगर ऐसा नहीं करेंगे तो ये भ्रष्ट  राजनेता तो अपने बाप के नहीं होते हैं तो आपका क्या होंगे | ये इंसान नहीं हैवान हैं इनके लिए पैसा सबकुछ है और पैसे के लिए ये किसी IAS और IPS की हत्या उसी के जूनियर अधिकारी से करवा सकते हैं | इसलिए अपनी सुरक्षा के लिए आम लोगों खासकर अपने क्षेत्र के सामाजिक लोगों से जुड़ें और सच्चे तथा अच्छे लोगों का हर-हाल में साथ दें | 


अंत में हम कल्पना सक्सेना जी पे हमला करने वाले पुलिस वालों को आजीवन कारावास या फांसी की सजा देने की अपील करते हैं ,क्योंकि शर्मनाक है इस तरह की अराजकता और अनुशासनहीनता इन अपराधी पुलिस वालों का जिन्दा रहना सभ्य समाज के लिए बेहद खतरनाक है खासकर आम नागरिकों के लिए ...   

सोमवार, 30 अगस्त 2010

क्या हम और हमारी अर्थव्यवस्था सत्ता के लोभी-लालची अंतराष्ट्रीय दलालों के कब्जे में है .....

गिलगिट (पाकिस्तान) में चाइना सड़क निर्माण विभाग द्वारा गिलगिट नदी पड़ बनाया गया एक मजबूत पुल ,ये पुल नहीं बल्कि अंतराष्ट्रीय सत्ता के दलालों द्वारा खेला जा रहा लोभ-लालच के खेल का पुल है | (चित्र गूगल से साभार )


आज जिस तरह से भारत सरकार एक लोकतान्त्रिक सरकार के बजाय पूंजीपतियों के दलाल के रूप में काम कर रही है और सरकार में बैठे ज्यादातर लोग व्यवस्था को सही ढंग से चलाने के वजाय अपना ज्यादातर या यों कहें क़ी अपना पूरा समय और जनता के टेक्स से संचालित साधन का उपयोग दलालों को फायदा पहुँचाने के लिए कर रहें हैं | ये सत्ता के दलाल अंतराष्ट्रीय स्तर पर अपना इतना प्रभाव बना चुके हैं क़ी भारत जैसे लोकतंत्र क़ी पूरी सरकार इनके इशारों पे नाच रही है |




चाहे कोई भी काम क्यों ना हो अगर उसमे इन दलालों का फायदा हो तो उसे ह़र हाल में किसी भी देश के सरकार से  अपने  फायदे के अनुसार नीतियाँ  बनवाकर लागू करवाना इनके लिए बायें हाथ का काम है | इनके रास्ते में जो सरकार आती है उसे ये बर्बाद करने से भी नहीं चूकतें  हैं और जो सरकार इनके इशारे पे इनके हितों के लिए पूरी समर्पण से काम कर रही होती है उसे बचाने के लिए ये अंतराष्ट्रीय दलाल किसी भी देश से प्रायोजित युद्ध कराकर उस देश के जनता का भावनात्मक समर्थन दिला देतें हैं |



भारत क़ी वर्तमान स्थिति कुछ ऐसी ही है और आने वाले तीन वर्षों में भारत में जनाक्रोश अपने चरम सीमा पे पहुँचने के पूरे आसार हैं जिससे इस देश क़ी पूरी रजनीतिक व्यवस्था में बदलाव क़ी मांग जोड़ पकड़  सकती है ,क्योंकि अभी भारत में सरकार,जनता के लिए नहीं बल्कि इन दलालों के लिए नीतियाँ बना रही है जिससे इन दलालों को तो ह़र साल सैकड़ों प्रतिसत का मुनाफा हो रहा है लेकिन आम जनता क़ी हालत बद से बदतर होती जा रही है ,सामाजिक ताना-बाना पूरी तरह बिखरता जा रहा है ,जिससे जनता में जनाक्रोश क़ी भावना प्रबल होती जा रही है और इस बात क़ी भनक इन दलालों को भी है |




इनको पता है क़ी अगर इनकी कठपुतली सरकार को इस देश क़ी जनता ने पूरी तरह दरकिनार कर दिया तो इनके लिए ये बहुत बड़ा झटका होगा | इसलिए इन्होने चीन पाकिस्तान में अपने प्रभाव का उपयोग कर ऐसी रणनीति बनानी शुरू कर दी है क़ी अगर भारत में जनाक्रोश क़ी वजह से इनकी कठपुतली सरकार को कोई खतरा पैदा हो तो तुरंत भारत को युद्ध क़ी आग में झोंक कर भारत क़ी जनता को अपने कठपुतली सरकार को भावनात्मक समर्थन देने के लिए मजबूर किया जा सके और अपने हितों क़ी रक्षा करने वाली सरकार क़ी रक्षा क़ी जा सके | इसके लिए इन सत्ता के दलालों ने पाकिस्तान और चीन में बैठे अपने संपर्क क़ी मदद से योजना बनाना शुरू कर दिया है और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के गिलगिट में चीनी सेना का भारी जमावारा शुरू कर दिया है तथा चीन इस क्षेत्र में अपने ह़र तरह के सामरिक संसाधनों का विकाश तेजी से करने में लगा है | विश्व में ज्यादातर मीडिया पे इन अंतराष्ट्रीय सत्ता के दलालों का कब्ज़ा है इसलिए ऐसी ख़बरों को प्राथमिकता और चर्चा का विषय नहीं बनाया जाता है जिससे ऐसी साजिशों का पता आम जनता को नहीं हो पाता है | इन सत्ता के दलालों के प्रभाव में भारत के विपक्ष के भी कुछ बेहद भ्रष्ट लोग हैं जिससे इनकी पकड़ इस देश क़ी व्यवस्था पड़ और मजबूत हो गयी है और भारत क़ी सरकार और व्यवस्था आम जनता से उतनी ही दूर हो चुकी है |




अतः इन सभी तथ्यों पे गौर करने पड़ इस नतीजे पे पहुंचा जा सकता है क़ी भारत में जनता क़ी हालत इन दलालों द्वारा सरकारी साधन का इस्तेमाल करने से ज्यों-ज्यों ख़राब होगी और जनाक्रोश बढ़ने लगेगी तो पाकिस्तान या चीन से युद्ध क़ी स्थिति बनने क़ी पूरी संभावना है | जिससे जनता तो परेशान होगी लेकिन इन दलालों के कठपुतली सरकार क़ी रक्षा हो सकेगी | हमारा आग्रह उन इमानदार और इंसान रुपी खुपिया अधिकारियों और कुछ गिने चुने इमानदार पत्रकारों से है क़ी वो इस अंतराष्ट्रीय साजिश को बेनकाब करने का प्रयास करें ...


गुरुवार, 19 अगस्त 2010

भारत क़ी शर्मनाक स्थिति और मनमोहन सिंह जी क़ी खुशहाल स्थिति को देखिये ...

विश्व क़ी प्रशिद्ध पत्रिका न्यूज़वीक ने मनमोहन सिंह को विश्व का सबसे इमानदार नेता बताया है ...पढ़िए इस लिंक पर ..
http://www.newsweek.com/2010/08/16/go-to-the-head-of-the-class.html

वहीँ भारत क़ी स्थिति भी देखिये जो बंगलादेश जैसे देश से भी पीछे है ...पढ़िए इस लिंक पर.....
http://www.newsweek.com/2010/08/15/interactive-infographic-of-the-worlds-best-countries.html


महान है हमारा भारत देश और इसके नेता जहाँ अपनी छवि को ठीक रखने के लिए देश और समाज क़ी सूरत बड़ी बेदर्दी से खराब कर दी जाती है .....?

मंगलवार, 10 अगस्त 2010

दिल्ली में विकाश के नाम पर खुलेआम लूट और जनता के पैसे क़ी बर्बादी के सबूत...क्या PMO और CVC दोषियों के खिलाप करेगा कार्यवाही ...

इस देश में विकाश के नाम पर ढोंग और जनता के पैसों की बर्बादी देखनी है तो दिल्ली में घुमते वक्त अपनी नजरें और दिमाग खुला रखिये ,हर तरफ आपको जनता के पैसों की बर्बादी और विकाश के नाम पर लूटने का धंधा चलता दिखेगा ,लेकिन ये लूट सरकार और सरकारी जाँच एजेंसियों को नहीं दिखती है | PMO और CVC को इसके लिए विशेष अभियान चलाने की जरूरत है अगर वह वाकई जनता के पैसों के लूट को रोकना चाहती है |

आइये हम दिखाते है आपको ....
ये दिल्ली के नरेला के उस सड़क का दृश्य है जिसे सिर्फ इसलिए बनाया गया जिससे कड़ोरो रुपया लूटा जा सके | सबसे पहले तो इस सड़क क़ी अभी कोई जरूरत नहीं थी इस सड़क से दिन भर में शायद ही कोई एक-आध मोटरसाइकिल वाला भी जाता हो | ये सड़क है है नरेला से सिंघु बोर्डर जाने वाली सड़क और नरेला औद्योगिक क्षेत्र से जी .टी करनाल रोड को बेवजह जोडती लिंक रोड | ऐसे कई लिंक रोड हैं जिनकी अभी दस साल कोई जरूरत नहीं थी लेकिन यह इसलिए बनाये गए क़ी इनका उपयोग तो होगा नहीं जिससे घटिया स्तर का बना कर कड़ोरों क़ी लूट खसोट क़ी जा सके ,इस सड़क का अगर प्रयोग होता तो दो महीने बाद इस सड़क का बुड़ा हाल होता | 

इस देश में स्कूल खोलने के लिए पैसे नहीं हैं , एक मकान जिसमे शौचालय भी हो को बनाकर गरीबों को मुफ्त में दिया जाय इसके लिए देश का खजाना खाली है ,लोगों को तरह-तरह के टेक्स क़ी मार को झेलने के लिए मजबूर किया जाता है ,हवाला दिया जाता है वित्तीय घाटे का | जब बिना वजह जनता के पैसों को इस तरह बिना जरूरत के सड़कों पे लगाकर लूटा जायेगा तो घाटा जनता का खून चूसने के बाद भी पूरा नहीं होगा | जरूरत है ऐसे फिजूल के निर्माण के लिए धन क़ी अनुशंसा करने वाले अधिकारी पे आपराधिक लापरवाही के कार्यवाही क़ी |

ऐसे कई लिंक रोड हैं जो बेवजह जनता के धन के बर्बादी क़ी दर्दनाक दास्ताँ कहतें है ,कोई भी जाँच अधिकारी अगर इन पर हुए फिजूल के खर्चों और घटिया निर्माण के पीछे के लूट क़ी कहानी क़ी जाँच करेगा तो कई सफेदपोश कुकर्मी इस जाँच में फंस सकते हैं और उनसे कड़ोरों के धन क़ी वापसी भी सरकार को हो सकती है ,लेकिन अगर कोई जनता के धन क़ी बर्बादी क़ी जाँच करना चाहे तब  ...?  यही नहीं यहाँ वर्षों से DDA ने सैकड़ों एकड़ जमीन को अधिग्रहण तो कर लिया है लेकिन उसका कोई उपयोग नहीं कर पा रही है क्योंकि दस साल पहले बने कई फ्लेटों का भी आवंटन ड्रा द्वारा अभी होना बांकी है ,शर्मनाक है DDA की कार्यप्रणाली ,जिससे कृषि योग्य जमीन का बिना वजह ही दुरूपयोग हो रहा है |

अब देखिये ये एक और शर्मनाक नजारा ,एक तरफ तो फिजूल क़ी सड़क और दूसरी तरफ ये है नरेला औद्योगिक क्षेत्र के मुख्य सड़क का हाल ,जिसमे सड़क में गड्ढा है या गड्ढे में सड़क इसका पता लगाना मुश्किल है ,जबकि इस सड़क पर हजारो मजदूर अपनी रोजी-रोटी के लिए रोज चलते हैं ,सैकड़ों गाड़ियाँ सामान के आदान प्रदान के लिए रोज दौडती है | जिन सड़कों के निर्माण और रखरखाव की सख्त जरूरत है उसकी कोई सुध लेने वाला नहीं है और जिन सड़कों की जरूरत नहीं थी उन पर सैकड़ों कड़ोर रुपया खर्च कर दिया गया | जनता परेशान लूटेरे मालामाल ..?

पूरे नरेला औद्योगिक क्षेत्र का इतना बुरा हाल है क़ी पूछिए मत | ये है विकाश  क़ी कहानी जहाँ जरूरत है वहाँ सड़क नहीं और जहाँ कोई जरूरत नहीं वहाँ लम्बी चौरी सड़कें विकाश को दर्शाती या विकाश के नाम पर लूट क़ी कहानी के सबूत देती है | पैसे की बर्बादी का तो ये नमूना है | सरकारी नीतियाँ ,जमीनी जरूरत के अनुसार विकाश के बीच ईमानदारी भरा संतुलन का अभाव और किसी निगरानी व्यवस्था का ना होना देश के विकाश को  ढोंग की ओर ले जा रही है ,जनता टेक्स दे-दे कर लुट रही है और देश के विकाश के नाम पर लूटेरे देश को लूट रहें हैं | देश की राजधानी का ये हाल है तो देश के दूर दराज का अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है |

मंगलवार, 3 अगस्त 2010

देश में जनसाधारण को इन्टरनेट के जरिये सरकार द्वारा ताजा जानकारी पहुँचाने का हाल ....

देश में जनसाधारण को इन्टरनेट के जरिये सरकार द्वारा ताजा जानकारी पहुँचाने का हाल क्या है इसका अंदाजा आप खुद लगायें ...
ये है श्रममंत्रालय जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालय के साईट का हाल जिसमे श्रममंत्री और श्रम राज्यमंत्री का इ.मेल आईडी का कोई अता-पता नहीं है ...देखें ..


वर्ष 2004 के बाद न्यूनतम मजदूरी के रिकार्ड का कहिं कोई अता-पता नहीं है और अपडेट नहीं हुआ है ..देखिये यह लिंक..-इसके लिए जिम्मेवार मंत्रालय है या nic ...?

http://labourbureau.nic.in/wagetab.htm

क्या इसे सूचना देना कहेंगे......? आज जरूरत है nic को अपने कार्य प्रणाली को सुधारने क़ी तथा ह़र सूचना को रोज अपडेट करने क़ी अन्यथा इस वेबसाइट और nic क़ी उपयोगिता पर प्रश्न चिन्ह लग सकता है | 

शनिवार, 31 जुलाई 2010

सच्चा कौन मनमोहन सिंह जी या देश के CVC का जाँच रिपोर्ट .....

देश कि व्यवस्था में पारदर्शिता तथा इस देश के गरीब जनता के टेक्स के पैसे जो की वह एक माचिस की खरीद पर भी अदा करता है की बर्बादी कि हालत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि मनमोहन सिंह जी जो देश के प्रधानमंत्री जैसे सम्माननीय पद पर बैठकर कॉमनवेल्थ गेम प्रोजेक्ट में सब कुछ ठीक होने कि बात कर रहें हैं और देश कि सबसे बड़ी जाँच एजेंसी जो जनता के लिए पारदर्शिता और भ्रष्टाचार को रोकने का काम करती है के जाँच रिपोर्ट में कॉमनवेल्थ गेम में  सैकड़ों कड़ोर के घोटाले तथा घटिया निर्माण के साथ-साथ वेवजह निर्माण का भी आरोप लगाया गया है ,पढ़ें इस लिंक पर- 


अब सवाल उठता है कि सच्चा कौन है और झूठा कौन ...? यहाँ एक बात महत्वपूर्ण है कि जमीनी स्तर पर अगर कोई भी इमानदार पत्रकार,समाजसेवक या आम नागरिक कॉमनवेल्थ गेम के प्रोजेक्ट कि निगरानी या निरिक्षण करे तो CVC की रिपोर्ट एकदम सच्ची प्रतीत होती है | ऐसे में क्या मनमोहनसिंह जी प्रधानमंत्री जैसे सम्माननीय पद के प्रतिष्ठा में ऐसे बयान देकर बट्टा लगाने के साथ-साथ देश कि जनता को धोखा दे रहें हैं ..? अगर ऐसा है तो यह बेहद खतरनाक है ....
आपलोग भी इस मुद्दे पर अपने विचारों के रूप में F.I.R यहाँ दर्ज जरूर करें ...

गुरुवार, 29 जुलाई 2010

क्या राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के पदों पर बैठा व्यक्ति अगर कानून के खिलाप आचरण कर रहा हो तो उसके खिलाप आवाज उठाना जुर्म है ....?


बड़ा अजीब सवाल है क़ी राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री का पद बड़ा या पदों पर बैठा व्यक्ति ...?

ये एक ऐसा सवाल है जो ह़र हिन्दुस्तानी को आज परेशान कर रहा है देश और समाज के दर्दनाक अवस्था को महसूस करने के बाद | ह़र कोई आज यह सोच रहा है क़ी क्या देश के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के पदों पर बैठे व्यक्ति के लिए कानूनसंगत आचरण करना जरूरी नहीं है ? क्या ऐसा नहीं करने वालों पर आपराधिक लापरवाही के साथ-साथ देश के संबैधानिक पदों क़ी गरिमा व सम्मान को ठेस पहुँचाने तथा अधिकार के दुरूपयोग का मामला नहीं चलाया जाना चाहिए ? 
अब सवाल उठता है क़ी जब संबिधान में यह व्यवस्था है क़ी कानून क़ी नजर में सब बराबर है तो देश के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के पदों पर बैठे व्यक्ति पर सीधे आरोप कोई नागरिक क्यों नहीं लगा सकता है ?
जब कलाम साहब राष्ट्रपति थे तो उन्होंने राष्ट्रपति के पद पर बैठे व्यक्ति को भी लोकपाल के दायरे में लाने क़ी बात कही थी जो एक सच्चे राष्ट्रपति के उतरदायित्व को दर्शाता है | क्योंकि जब राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ही अपने कार्यों क़ी जाँच का अधिकार किसी आम नागरिक को नहीं देना चाहेंगे तो देश में पारदर्शिता और कानून क़ी नजर में समानता का सिद्धांत को कैसे लागू किया जा सकता है |

आज सारा देश शरद पवार के बारे में क्या-क्या नहीं बोलता है रोज अख़बारों में इस भ्रष्ट मंत्री के कारनामों क़ी चर्चा होती है | सुप्रीमकोर्ट ने भी अनाज क़ी बर्बादी को गम्भीर अपराध माना | जिसके लिए कृषि मंत्री के नाते शरद पवार अपराधी हैं या शरद पवार जाँच कर उन अधिकारियों को तुरंत बर्खास्त कर आरोप पत्र दाखिल करें जिनकी लापरवाही से महंगाई बढ़ी है और अनाजों क़ी बर्बादी हुई है ,ऐसा करना शरद पवार क़ी जिम्मेवारी है  और इसी काम के लिए उनको तनख्वाह मिलती है | ह़र विभाग में सतर्कता विभाग के होते हुए भी गम्भीर घोटाले हो रहें है जिससे साबित होता है क़ी ऊपर से ही भ्रष्टाचार को संरक्षण और सुरक्षा प्रदान क़ी जा रही है | 

क्या मंत्री सिर्फ संसद के प्रति जिम्मेवार है ? जनता के लिए न्याय,ईमानदारी और कर्तव्यों के प्रति उनकी कोई बफादारी व जिम्मेवारी नहीं ? शरद पवार का बयान क़ी वे सुप्रीमकोर्ट नहीं बल्कि संसद के प्रति जवाबदेह हैं ,यह बयान अपने आप में अपराध है और देश के राष्ट्रपति प्रधानमंत्री इसे साबित नहीं करना चाहें तो न्याय अपने आप में सवाल है ?
देश के प्रधानमंत्री योजना आयोग के अध्यक्ष हैं लेकिन नरेगा,इंदिरा आवाश या किसान ऋण कोई भी योजना इस तरह से नहीं बनाई जा रही जो असल जरूरतमंद को फायदा पहुंचा सके | क्या हमारे योजना आयोग के नीती निर्माताओं में इतनी काबिलियत नहीं है क़ी वे ऐसी  योजना बना सके जिसमे भ्रष्टाचार को रोकने वाली कई स्तरीय सुरक्षा हो ? या हमारे प्रधानमंत्री भ्रष्टाचारियों और सत्ता के दलालों के आगे लाचार है ? पिछले दिनों नीरा राडिया कांड के बाद चर्चा जोड़ों पर थी क़ी "इस देश को संसद नहीं अब पैसा चलाएगा" ये बातें छोटी बातें नहीं हैं ,ये बातें प्रधानमंत्री के कार्यप्रणाली में आपराधिक लापरवाही के संकेत देते हैं ? क्या इसके लिए प्रधानमंत्री से देश क़ी जनता सिर्फ चुनाव में ही पूछ सकती है या किसी भी वक्त प्रधानमंत्री के ऊपर कर्तव्य निर्वाह और अधिकार के प्रयोग में गम्भीर लापरवाही के लिए अदालत में जनहित याचिका के जरिये देश के प्रधानमंत्री से पूछ सकती है ? कोई ऐसा कानून नहीं जो यह कहता हो क़ी प्रधानमंत्री किसी आरोपों का न्यायसंगत व तर्कसंगत जवाब नहीं देंगे |

देश के राष्ट्रपति पद पर बैठा व्यक्ति देश के सेना का सर्वोच्च सेनापति होता है ,न्याय क़ी मर्यादा क़ी रखवाली का भी सर्वोच्च जिम्मा देश के राष्ट्रपति पर ही है | क्या सेना में बढ़ते भ्रष्टाचार और न्याय व्यवस्था में अन्यायिक देरी के समाधान तथा न्याय पैसों के बल पर नहीं बल्कि सत्य और ईमानदारी के आधार पर मिले इसकी कोई ठोस व्यवस्था नहीं होने के लिए देश के राष्ट्रपति से जवाब नहीं माँगा जाना चाहिए ? देश के राष्ट्रपति को नैतिकता के नाते यह भी अधिकार है क़ी देश में कानून व्यवस्था क़ी हालात के जमीनी हकीकत क़ी समीक्षा कर उसके सुधार के लिए सुझाव देकर प्रधानमंत्री को आगाह करे ,आज देश में भय और अराजकता का इतना गम्भीर माहौल बना हुआ है क़ी लोग थाने में शिकायत लिखवाने तक जाने से डरतें हैं ,क्या ऐसे हालात के लिए देश के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को दोष नहीं दिया जाना चाहिए ?
निश्चय ही भ्रष्टाचार क़ी पहुँच और असर अब देश के इन दो सर्वोच्च पदों को भी प्रभावित कर रहा है | जनता को जागरूक होने क़ी जरूरत है और निडरता से पत्र और इ.मेल के जरिये इन दोनों पदों पर बैठे व्यक्ति को भी उनके कर्तव्यों और अधिकारों के समुचित प्रयोग के प्रति समय-समय पर आगाह करने क़ी जरूरत है और उनकी कमियों को भी उन्हें बताने क़ी जरूरत है |

कहते है क़ी अगर कोई कमी बताने वाला ना हो तो अच्छे से अच्छा व्यक्ति भी सुख-सुविधा के मद में अपने कर्तव्यों को भूल जाता है और अधिकारों का दुरूपयोग करने लगता है और इस वक्त देश क़ी स्थिति को देखकर यह कहा जा सकता है क़ी  हमारे देश के इन दोनों पदों पर बैठे व्यक्तियों को उनकी कमियों को बताने क़ी सख्त आवश्यकता है | 

जनहित और मानवहित में किसी भी व्यक्ति क़ी जाँच करने तथा किसी पर भी सच्चा आरोप लगाने से कोई भी कानून अगर रोकता है तो वह कानून संबिधान क़ी उस अबधारणा क़ी अवमानना है क़ी कानून क़ी नजर में ह़र कोई बराबर है तथा ह़र किसी को कानून क़ी एक सामान सुरक्षा मिलनी चाहिए | ये अलग बात है क़ी भ्रष्टाचार क़ी व्यापकता और दोषियों पर कार्यवाही क़ी व्यवस्था के मृतप्राय हो जाने से जमीनी हकीकत कुछ और है और इसके लिए भी हमसब ही जिम्मेवार हैं ...हम किसी से कुछ नहीं पूछते हैं और ना ही किसी को उसकी जिम्मेवारी के ईमानदारी से निर्वाह के लिए बाध्य करते है ,जबकि  प्रतिदिन के बिभिन्न प्रकार के टेक्स से हम सत्ता में बैठे ह़र व्यक्ति को तनख्वाह देते हैं ...चाहे वह प्रधानमंत्री हो या राष्ट्रपति ...

लेकिन क्या इस स्थिति को चुप-चाप देखने से सुधारा जा सकता है या जनहित में सत्य के लिए निड़र होकर जो भी दोषी या लापरवाह हो के खिलाप आवाज को बुलंद करने से ? फैसला आपको करना है .... सत्यमेव जयते 

नोट-चित्र जनहित क़ी उपयोगिता के चलते गूगल से साभार प्रकाशित है ,किसी के एतराज पर हटा दिया जायेगा ..

शनिवार, 17 जुलाई 2010

हमारे देश के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जी कितने इमानदार,देशभक्त व बहादुर है ,यह बात इस पत्र को पढ़कर साबित हो जाता है .....आप भी जरूर पढ़ें ....

किसी भी पद कि गरिमा उस पर बैठे सच्चे,अच्छे,देशभक्त व इमानदार लोगों से होती है ,क्या हमारे देश में प्रधानमंत्री व राष्ट्रपति पद पे पद कि गरिमा के अनुसार व्यक्ति विराजमान है ......? जवाब जरूर दीजिये इस असहाय मगर बहादुर माँ के पत्र को पढ़कर .....शहीद चंद्रशेखर और उनकी माँ को हमारा हार्दिक सलाम ...
शहीद चंद्रशेखर जिसने इस देश कि व्यवस्था के कोढ़ से लड़ते हुए अपनी आहुति दे दी ,जो काम इस देश के प्रधानमंत्री व राष्ट्रपति को करना चाहिए था वो काम इस बहादुर व निडर शहीद ने किया | ऐसे लोग इस देश व समाज में सत्य,न्याय,देशभक्ति व ईमानदारी के असल रक्षक है ना कि आज के हमारे देश के प्रधानमंत्री व राष्ट्रपति जो एक शहीद के हत्यारों को पकड़ कर फांसी तक नहीं दे सकते | लानत है ऐसे प्रधानमंत्री व राष्ट्रपति पर ....


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'' प्रधानमन्त्री महोदय , आपका पत्र और बैंक ड्राफ्ट मिला |  
आप शायद जानते हों कि चंद्रशेखर मेरी इकलौती संतान था | उसके सैनिक पिता जब शहीद हुए थे , वह बच्चा ही था | आप जानिये , उस समय मेरे पास मात्र १५० रूपये थे | तब भी मैंने किसी से कुछ नहीं माँगा था | अपनी मेहनत और इमानदारी की कमाही से मैंने उसे राजकुमारों की तरह पाला था | पाल पोस कर बड़ा किया था और बढियां से बढियां स्कूल में उसे पढ़ाया था | मेहनत और इमानदारी की वह कमाही अभी भी मेरे पास है | कहिये , कितने का चेक काट दूँ |
     लेकिन महोदय , आपको मेहनत और इमानदारी से क्या लेना देना ! आपको मेरे बेटे की 'दुखद मृत्यु' के बारे में जानकार गहरा दुःख हुआ है , आपका यह कहना तो हद है महोदय ! मेरे बेटे की मृत्यु नहीं हुई है | उसे आप ही के दल के गुंडे , माफिया डॊन सांसद शहाबुद्दीन ने - जो दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष बिहार के मुख्यमंत्री लालू प्रसाद का दुलरुआ भी है - खूब सोच-समझकर व योजना बनाकर मार डाला है | लगातार खुली धमकी देने के बाद , शहर के भीड़-भाड़ भरे चौराहे पर सभा करते हुए , गोलियों से छलनी कर देने के पीछे कोई ऊँची साजिश है | प्रधानमंत्री महोदय ! मेरा बेटा शहीद हुआ है वह दुर्घटना में नहीं मरा है |
    मेरा बेटा कहा करता था कि मेरी माँ बहादुर है | वह किसी से भी डरती नहीं , वह किसी भी लोभ-लालच में नहीं पड़ती | वह कहता था - मैं एक बहादुर माँ का बहादुर बेटा हूँ | शहाबुद्दीन ने लगातार मुझे कहलवाया था कि अपने बेटे को मना कर लो नहीं तो उठवा लूंगा | मैंने जब यह बात उसे बतलाई तब उसने यही कहा था | ३१ मार्च की शाम को जब मैं भागी भागी अस्पताल पहुँची वह इस दुनिया से जा चुका था | मैंने खूब गौर से उसका चेहरा देखा , उसपर कोई शिकन नहीं थी | डर या भय का कोई चिह्न नहीं था | एकदम से शांत चेहरा था उसका , प्रधानमंत्री महोदय लगता था वह अभी उठेगा और चल देगा | जबकि , प्रधानमंत्री महोदय ! उसके सर और सीने में एक-दो नहीं सात-सात गोलियां मारी गयी थीं | बहादुरी में उसने मुझे भी पीछे छोड़ दिया |
    मैंने कहा न कि वह मर कर भी अमर है | उस दिन से ही हज़ारों छात्र-नौजवान , जो उसके संगी-साथी हैं , जो हिन्दू भी हैं और मुसलमान भी , मुझसे मिलने आ रहे हैं | उन सबमें मुझे वह दिखाई देता है | हर तरफ , धरती और आकाश तक में , मुझे हज़ारों-हज़ार चंद्रशेखर दिखाई दे रहे हैं | वह मरा नहीं है प्रधानमंत्री महोदय !
    इसीलिये इस एवज में कोई भी राशि लेना मेरे लिए अपमानजनक है | आपके कारिंदे पहले भी आकर लौट चुके हैं | मैंने उनसे भी यही सब कहा था | मैंने उनसे कहा था कि तुम्हारे पास चारा घोटाला का , भूमि घोटाला का , अलकतरा घोटाला का जो पैसा है , उसे अपने पास ही रखो | यह उस बेटे की कीमत नहीं है जो मेरे लिए सोना था , रतन था , सोने व रतन से भी बढ़कर था | आज मुझे यह जानकार और भी दुःख हुआ कि इसकी सिफारिश आपके गृहमंत्री इन्द्रजीत गुप्त ने की थी | वे उस पार्टी के महासचिव रह चुके हैं जहां से मेरे बेटे ने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की थी | मुझ अनपढ़ -गंवार माँ के सामने आज यह बात और भी साफ़ हो गयी कि मेरे बेटे ने बहुत जल्दी ही उनकी पार्टी क्यों छोड़ दी थी | इस पत्र के माध्यम से मैं आपके साथ-साथ उनपर भी लानतें भेज रही हूँ जिन्होंने मेरी भावना के साथ घिनौना मजाक किया है और मेरे बेटे की जान की ऐसी कीमत लगवाई है | 
    एक माँ के लिए - जिसका इतना बड़ा और इकलौता बेटा मार दिया गया हो और , जो यह भी जानती हो कि उसका कातिल कौन है - एकमात्र काम जो हो सकता है , वह यह है कि कातिल को सजा मिले | मेरा मन तभी शांत होगा महोदय ! उसके पहले कभी नहीं , किसी भी कीमत पर नहीं | मेरी एक ही जरूरत है , मेरी एक ही मांग है - अपने दुलारे शहाबुद्दीन को 'किले' से बाहर करो , या तो उसे फांसी दो , या फिर लोगों को यह हक़ दो कि वे उसे गोली से उड़ा दें |
    मुझे पक्का विश्वास है प्रधानमंत्री महोदय ! आप मेरी मांग पूरी नहीं करेंगे | भरसक यही कोशिश करेंगे कि ऐसा न होने पाए | मुझे अच्छी तरह मालूम है कि आप किसके तरफदार हैं | मृतक के परिवार को तत्काल राहत पहुचाने हेतु स्वीकृत एक लाख रूपये का यह बैंक-ड्राफ्ट आपको ही मुबारक ! कोई भी माँ अपने बेटे के कातिलों से सुलह नहीं कर सकती | '' 
               पटना                                                                                    --- कौशल्या देवी 
       १८ अप्रैल १९९७                                                                        ( शहीद चंद्रशेखर की माँ )
                                                                                                           बिन्दुसार , सीवान 
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यह पत्र हमने अमरेन्द्र नाथ त्रिपाठी जी के ब्लॉग से साभार लिया है और इसे जनहित में हमने अपने ब्लॉग पर प्रकाशित किया है | हमारा सभी ब्लोगरों से आग्रह है कि आप भी अपने ब्लॉग पर इस दर्दनाक व प्रेरक पत्र को प्रकाशित जरूर करें  .... यही सार्थक ब्लोगिंग है ... त्रिपाठी जी का यह पोस्ट अत्यंत सराहनीय है जिसके लिए हम उनका हार्दिक धन्यवाद भी करते है ....

शुक्रवार, 4 जून 2010

मंगलौर विमान दुर्घटना से लगा IB के विशेष अधिकारियों के कार्यों पर सवालिया निशान----?


हलांकि IB (खूपिया ब्यूरो) में इमानदार और देश के लिए मर मिटने वाले अधिकारी अभी भी मौजूद हैं ,ये अलग बात है कि उनकी इस भ्रष्ट व्यवस्था में सुनी नहीं जाती है | हमारा आग्रह है IB के ऐसे इमानदार अधिकारियों से कि वे छोड़ दें ऐसे नौकरी को जिसमे उनके सत्य और ईमानदारी भरे कार्य कि कद्र नहीं होती हो और आ जाये सामाजिक आन्दोलन के जरिये देश और समाज कि सच्ची सेवा में |

मंगलौर के बाजपे इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर हुए विमान दुर्घटना में 22 लोगों के शवों कि पहचान  के लिए DNA टेस्ट का सहारा लेना परा जिस दरम्यान तथ्यों को खोजते वक्त ये भी सामने आया कि 10लोग नकली पासपोर्ट पर यात्रा कर रहे थे | हालाँकि अधिकारिक तौर पर यह घोषणा कर दी गयी है कि मृतकों को दिया जाने वाला मुआबजा उन यात्रियों को भी दिया जायेगा जो फर्जी पासपोर्ट पर यात्रा कर रहे थे |

लेकिन इससे एक बात तो साफ हो जाती है कि जब पासपोर्ट से सम्बंधित कागजात कि ही जाँच के लिए हर एअरपोर्ट पर IB के विशेष अधिकारी तैनात होते है तो ,10 यात्री का फर्जी पासपोर्ट पर सफ़र करना IB के अधिकारियों के कार्यों और देश के सुरक्षा के नाम पर इन एजेंसियों पर हो रहे भारी भरकम खर्च कि उपयोगिता पर  एक बहुत बरा प्रश्न चिन्ह लगाता है ? 

क्या IB के निगरानी के लिए भी एक दूसरी IB कि जरूरत है ?

क्या फर्जी पासपोर्ट का धंधा एक उद्योग का शक्ल ले चुका  है ,अगर ऐसा है तो पासपोर्ट अधिकारी,विदेश मंत्रालय व पासपोर्ट के नाम पर होने वाले विभिन्न जाँच कि क्या जरूरत है ?

क्या जाँच महज एक खाना पूर्ति भर रह गया है और असल खेल पैसा फेक तमासा देख के आधार पर हो रहा है अगर सचमुच ऐसा है तो वह दिन दूर नहीं जब कोई आतंकवादी आपके पड़ोस में नकली पासपोर्ट के पहचान के जरिये आलिशान बंगला खरीद कर रहने लगेगा और आपको पता भी नहीं चलेगा | 

सोमवार, 31 मई 2010

जरा बचके ,जरा हटके --चारों तरफ हैं ठग ही ठग ......ये है INDIA मेरी जान !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!

 

स्मार्ट आप नहीं स्मार्ट ये लोग हैं!संभलकर आज आपकी जेब कट जाएगी!


बहुत अफ़सोस कि बात है कि अब मार्केटिंग के लुटेरों के साथ मिलकर मीडिया हाउस भी लोगों कि जेबें काट रहे हैं।

आज एक राष्टीय हिंदी अखबार मैं यह विज्ञापन आया कि इंटेल वाले और हम कुछ 'स्मार्ट' परिवारों कि कहानी छापेंगे ,जिनके जीवन मैं कम्प्यूटर ने काफी योगदान किया हो.मेरी पत्नी ने दिए गए 'की वर्ड ' SMART को टाइप किया ,और दिए नंबर पर SMS कर दिया.विज्ञापन मैं कहा गया है कि आपके SMS को पढ़कर हम आपको कॉल करेंगे .मगर SMS करने पर ३ रूपए तो कट गए साथ मैं जवाब आया कि आपका की वर्ड ग़लत है.यानि वह ३ रुपये तो गए 'लुटेरों' कि जेब मैं .इसके baad खुद मैने अप्ने मोबाइल से एसेमेस किये ,लेकिन वही 3 रुपये हर बार गये ,और जवाब यय कि गलत की वर्ड है. इस तरह मैं आज सुबह ३ बार 'लुटा'. तो इंटेल के इस गुमराह करने वाले विज्ञापन से सावधान !
इसी तरह हाल ही मैं एक बड़े मीडिया हाउस ने,जो लोगों को सामन बेचने कि दूकान भी चलाता है,के लोगों ने मुझे कॉल किया कि आपको हम आपके बुक कराये सामान के साथ ३० हज़ार रूपए का केश चेक गिफ्ट मैं भेज रहे हैं.आप अगर १५-२० हज़ार कि कोई और चीज़ हामारे यहाँ से बुक कर लें तो वोह तो आपको फ्री पड़ेगी ही साथ मैं कुछ और भी रूपए मिल जायेंगे क्यूंकि हम आपको सामन के साथ आपका ईनाम मैं निकला ३० हज़ार रूपए का चेक भेज रहे हैं.मैंने २० हज़ार का सामा का पेमेंट अपने क्रेडिट कार्ड से तुरंत कर दिया .अगले दिन मुझे कुछ शक हुआ तो मैंने दिए गए नंबर पर अपने ३० हज़ार रुपये के केच चेक के आने के बारे मैं पता किया तो हुआ किउनके यहाँ ऐसी कोई गिफ्ट स्कीम नहीं है ,यह हमारी मार्केटिंग स्ट्रेटेजी थी.मैंने इसलिएभरोसा किया था कि जो कंपनी यह सामान बेचने का काम करती हैवह बहुत सम्माननीय मीडिया हाउस है.मैंने बहुत मेल इस बारे मैं उस कंपनी को किये .मुझे मेल से इन्होने रिफंड का वादा भी किया ,मगर मुझे रिफंड तो नहीं ,आईसीआईसीआई बैंक कि किश्तों के बिल ज़रूर मिलते हैं,जो में अब तक चुका रहा हूँ!
तो क्या इस बात से यह हिसाब लगाय जाये कि मार्केटिंग के 'लुटेरों' को पकड़ने वाला मीडिया भी अब उन्के साथ हो लिया है?

शुक्रवार, 28 मई 2010

शर्मनाक है ज्ञानेश्वरी एक्सप्रेस ट्रेन हादसा रेल और गृह मंत्रालय दोनों के लिए -----


एक बार फिर इस देश कि व्यवस्था और उसके कर्ता धर्ता के निकम्मेपन और गैर जिम्मेवाराना रवैये से और कोई ठोस नतीजे पर पहुंचकर किसी ठोस ईमानदारी भरे प्रयास के नहीं करने कि चाह कि वजह से दर्दनाक ट्रेन हादसा  आज  सुबह  लगभग 1:00 बजे  ज्ञानेश्वरी  एक्सप्रेस जो हावरा से कुर्ला जा रही थी के भयानक दुर्घटना के रूप में सामने आया है जिसमे कईयों के मरने कि खबर है तो 150 से ज्यादा लोगों के गंभीर रूप से घायल होने कि भी खबर है और उसके बाद भी इनका रवैया कम शर्मनाक नहीं है /

इन दोनों मंत्रालय के शर्मनाक रवैये कि कुछ बानगी इस प्रकार है ------ 

1-रेल मंत्रालय का और उसके तेज तर्रार मंत्री ममता जी का कहना है कि LAW AND ORDER का काम गृह मंत्रालय का है / यह दुर्घटना पटरी पर बम विस्फोट कि वजह से हुआ है /

2-गृह मंत्रालय का कहना है कि हमने खुपिया सूचना के आधार पर पहले जानकारी दी थी / यह दुर्घटना रेल लाइन के फ़ीस प्लेट के खुले होने कि वजह से हुई है /

3-ममता जी इस बात पर कुछ नहीं बोल पा रहीं हैं कि जब ट्रेन पटरी से उतरी थी और लोग मर रहे थे तो दूसरी मालगाड़ी ट्रेन कि टक्कर भी मरे हुए को मारने कैसे पहुंच गयी ,कहाँ गयी रेलवे कि सूचना और सुरक्षा व्यवस्था ?

4-रेलवे में अनुशासन हीनता और कार्यकुशलता का अभाव के लिए कौन जिम्मेवार है ?

5-अगर ये विस्फोट भी है तो गृह मंत्रालय ने ऐसे विस्फोट के आशंका के मद्दे नजर क्या-क्या सुरक्षा इंतजाम किये थे ,या यूँ ही अपनी खाल बचाने के लिए खुपिया सूचनाओं का हवाला दिया जा रहा है ?

दर असल ये हादसे सिर्फ और सिर्फ हमारे व्यवस्था में बैठे निकम्में और स्वार्थी लोगों के लापरवाही भरे रवैये के कारण होतें हैं ,देखना है कि इस हादसे के बाद भी इनका इंसानी जमीर कितना जगता है और ऐसे हादसों को रोकने के लिए इनके द्वारा क्या-क्या गंभीर और ठोस उपाय किये जाते हैं / फ़िलहाल तो मृतकों को हम अपनी श्रधांजलि  और घायलों के जल्द स्वस्थ होने कि कामना ही कर सकते हैं /

सोमवार, 17 मई 2010

सभी आम ब्लोगरों,कानून से जुड़े ब्लोगरों और पत्रकार ब्लोगरों से इंसानियत के नाते एक प्रार्थना --------

आदरणीय ब्लोगर बंधू
सादर आभार और बड़ों को नमस्कार ,

विषय - इंसानियत पर हैवानों द्वारा हमला कर जान से मारने के प्रयास के खिलाप आवाज और समुचित जाँच कर दोषियों को हर हाल में सजा दिलाने के सामूहिक प्रयास की अपील-----


13 /05 /2010 के रात लगभग 08:30 बजे रात्रि में श्री V.R.VAISH के शांति अपार्टमेन्ट के फ्लेट नंबर -117 में घुसकर कुछ अज्ञात बदमाशों ने उनके ऊपर जान लेवा हमला किया ,ये हमला उनकी जान लेने के उद्देश्य से ही की गयी ,लेकिन सौभाग्यवश, हमला घातक होने के बाबजूद ,जान ऊपर वाले की रहम से बच गयी / श्री VAISH में कुछ मानवीय कमजोरियां आम इन्सान की ही तरह हो सकती है, लेकिन मैं इतना पूरे दावे के साथ कह सकता हूँ की श्री VAISH चरित्रवान ,निडर और अन्याय के खिलाप आवाज उठाने में हमेशा आगे रहे है और जो कुछ गुंडा और हरामी टायप लोगों को पसंद नहीं है / इसी गुंडा और असामाजिक लोगों ने इनको जान से मारने का प्रयास किया है / श्री VAISH इस समय पीतमपुरा के मेक्स अस्पताल में भर्ती हैं / मेरा श्री VAISH से कोई सम्बन्ध नहीं है सिवाय एक इंसानियत के /

                                   
                          अतः हम  चाहते  हैं  की आप लोग अपने संपर्क के मिडिया या खुद श्री VAISH से मिलकर श्री VAISH को दर्दनाक मौत देने का प्रयास करने वालों को पकड़ने और उसे सजा देने के लिए DCP नोर्थ-वेस्ट दिल्ली, कमिश्नर दिल्ली पुलिस,सीबीआई और गृह मंत्रालय को आग्रह करें और दोषियों को सजा देने के लिए बाध्य करने का सामूहिक प्रयास करें / क्योकि ये हमला इंसानियत पे हमला है /
                                        
                            श्री VAISH का फोन नंबर है -09811163892 और 011 - 27787615 है ,इनका पता है फ्लेट नंबर -117 ,शांति अपार्टमेन्ट,सेक्टर-A -5 ,पॉकेट-13 ,नरेला ,दिल्ली-40 ,आप इनसे मिलने के लिए GT KARNAL रोड से नरेला सेक्टर A -5 ,आ सकते हैं ,बस अड्डा दिल्ली से DTC की 120 नंबर और 131 नंबर बस की बहुत ज्यादा सेवा है जो १:३० घंटे में नरेला सेक्टर A -5 ,पहुंचा देगी / हम चाहते है की आपलोग इनसे मिलकर तहकीकात करें और उसकी रिपोर्ट के साथ दिल्ली पुलिस और अन्य जाँच एजेंसियों को मानवता के आधार पर सख्त कार्यवाही के लिए जरूर लिखें /
                                          
                                               इंसानियत पे हमला शर्मनाक है और ऐसा करने वालों को सख्त सजा दिलाना हम सब का दायित्व और कर्तव्य है / आज कल बिना सामूहिक प्रयास के इस भ्रष्ट व्यवस्था में न्याय मिलना असंभव है और हमलोगों के ऐसा नहीं करने से ही अपराधियों और असामाजिक तत्वों के ताकत को बढ़ावा मिलता है तथा इंसानियत शर्मसार हो रही है /आशा है आप लोग अपने-अपने ढंग से श्री VAISH को न्याय और सुरक्षा दिलाने का प्रयास जरूर करेंगे / उनसे मिलने में अगर आपका कुछ कीमती वक्त और पैसा खर्च होता है तो उसे इंसानियत की रक्षा पे किया गया खर्च समझ ,इस खर्च को सार्थक समझें / आशा है इंसानियत की रक्षा के लिए आप लोग एकजुट होकर आगे जरूर आयेंगे /

मंगलवार, 4 मई 2010

दिल्ली के ये आतंकवादी Resident Welfare Association -------?


आज मैं  दिल्ली के मुख्यमंत्री,उपराज्यपाल और दिल्ली पुलिस के मुखिया का ध्यान दिल्ली के उस सामाजिक आतंकवाद  कि ओर दिलाने जा रहा हूँ , जो किसी आतंकवादी वारदात से भी ज्यादा आतंकित करता है, समाज को /

आप लोगों ने Resident Welfare Association का नाम तो सुना होगा / इसका अस्तित्व एक  गैरराजनीतिक संस्था के रूप में ,जिसका काम नागरिक अधिकारों कि रक्षा ,मूलभूत सुविधाओं को सरकार के सामने संगठित होकर रखने ,निवासियों के सामूहिक कल्याण ,सामाजिक न्याय के लिए सार्थक प्रयास जैसे और भी कई अच्छे उद्देश्यों के लिए हुआ था /

लेकिन हमने जब दील्ली के  इन Resident Welfare Association के कार्य और जमीनी हकीकत जानने का प्रयास किया तो ऐसे तथ्य सामने आये जो किसी भी सभ्य समाज के लिए बदनुमा दाग और देश को सामाजिक स्तर पर बेहद कमजोर करने तथा इमानदार और न्यायप्रिय नागरिकों को आतंकित करने वाला ही कहा जायेगा /

हमने अपने अभियान में पाया कि ये निवासियों के कल्याण के लिए बने Resident Welfare Association दरअसल निवासियों के लिए किसी आतंकवादी से कम नहीं /  

हमने पाया कि ज्यादातर इन Association के कर्ताधर्ता ऐसे लोग हैं, जिनका कानून तथा पारदर्शिता के प्रति ना तो कोई सम्मान है और ना ही ये ऐसा चाहते हैं / सुरक्षा व्यवस्था को पहले तो इनके द्वारा असुरक्षित और आतंकित बनाया जाता है फिर निवासियों से सुरक्षा के नाम पर ये लोग मोटी माशिक शुल्क उसूलते हैं / यही नहीं इन Association के पदों पर बैठे पदाधिकारी कई सालों से चुनाव के जरिये बदलने कि वयवस्था होते हुए भी जमे हुए हैं / जब हमने इसका कारण जानने के लिए निवासियों से पूछा तो ,उन्होंने बताया कि ये पाँच दस लोग मिलकर कोई भी फैसला ले लेते हैं और सारे  Resident को उसे मजबूरी में मानना परता है / अगर कोई इनके फैसले पे असहमति भी जताता है तो ये पाँच दस लोग उस व्यक्ति को सामाजिक बहिष्कार,सामाजिक मानसिक प्रतारणा जैसे उसके घर के सामने जमा होकर अनाप सनाप बोलना ,उसके घर के सामने अपनी गाड़ी  खरी कर देना ,उसके घर के सामने गाड़ी का होर्न जोर-जोर से बजाना ,गाड़ी के रिमोट से बार-बार आवाज निकालना इत्यादि तरीकों से उसे परेशान करने का काम करते है /  

ऐसे परेशानियों से बचने के लिए लोग इनकी ह़र जायज नाजायज मांग के सामने झुक कर ,उसे मान लेते हैं / यही नहीं इनकी जो सभा होती है उसमे 10 से 15 प्रतिशत लोग भी मौजूद नहीं रहते हैं, क्योंकि लोग इनकी सभा में आ भी जाएँ तो, ये लोग किसी से राय-मशविरा कर कोई निर्णय लेना जरूरी नहीं समझते हैं और अगर कोई जोरदार ढंग से अपनी बात रखना चाहता है तो ,उसकी उसी सभा में कुतर्क देकर बेइज्जत्ति कि जाती है / अगर कोई इसके खिलाप कानूनी कार्यवाही करता है तो ,ये निहायत ही गिरे हुए लोग उस व्यक्ति को बड़ी चालाकी के गैरकानूनी तरीकों से इतना परेशान करते हैं कि कहिं-कहिं Resident अपना दुखरा सुनाते हुए रो परे / 

यही नहीं इनकी किसी भी बात से असहमति रखने वाले Resident से अगर कोई बोलता भी है या उसके घर जाता है तो, ये आतंकवादी रूपी ,इंसान के रूप में हैवान लोग उस व्यक्ति को भी बिना किसी मुद्दे के गाली-गलौज कर अपमानित करने का कोई भी मौका नहीं छोरते / ये लोग वैसे निवासियों को ज्यादा परेशान करते हैं जो सत्य,न्यायप्रिय हैं और जिनका एक दो बड़ा लड़का नहीं है / जिनके एक दो बड़े लड़के हैं उनको ये कम परेशान करते हैं /

जो निवासी इनकी आतंक से परेशान होकर इनका सदस्य नहीं बना रहना चाहता है और इनको मासिक शुल्क देना बंद कर देता है उनको पहले तो ये लोग यह कह कर डराते हैं कि ,"कैसे नहीं देगा,उसूल लेंगे"और जो इनकी इस धमकी से डर कर भी नहीं देता है ,वैसे व्यक्ति का ये लोग जीना मुहाल कर देते हैं / 

यही नहीं हमने पाया कि ये लोग अवैध निर्माण,फर्जी अलाटमेंट,PWD ,DDA तथा और भी किसी प्रकार के सार्वजनिक निर्माण या व्यवस्था कि अनियमितताओं जैसे भर्ष्टाचार में पूरी तरह शामिल होकर उसमे से हिस्सा भी खाने का काम करते हैं / इनको निवासियों के हर सुख- दुःख से संपर्क जोड़ने का काम करना था ,उसकी जगह,  इनका संपर्क हर विभाग के भ्रष्ट अधिकारियों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है /  

 इन Resident Welfare Association के  ज्यादातर पदाधिकारी गैर कानूनी धंधों में शामिल हैं ,और अपनी कानूनी सुरक्षा के ढाल के रूप में Association के पद को इस्तेमाल करने के साथ-साथ निवासियों के पैसे से रखे गए निजी सुरक्षा गार्डों का भी इस्तेमाल करते हैं / दरअसल निवासियों को सुरक्षा देने के नाम पर ये अपराधी किस्म के लोग इन Association का इस्तेमाल अपनी सुरक्षा के लिए करते हैं और निवासियों पर बिना वजह मासिक शुल्क का भार पर जाता है / हमने यह भी पाया कि Association के पद के आर में ये ,बिजली भी चोरी का इस्तेमाल करते हैं और गेट पर खरे निजी सुरक्षा गार्ड को यह हिदायत दे कर रखते है कि ,कोई बिजली कि जाँच वाला आये तो ,उसे गेटे पर खड़ा कर पहले इनको सूचित करे, जिससे ये अपना चोरी कि डायरेक्ट कनेक्सन को हटा सके / 

कुल मिलाकर यह कहा जा जा सकता है कि इन Resident Welfare Association ने दिल्ली कि जनता के मौलिक अधिकारों,कानूनी मर्यादाओं ,सामाजिक सदभाव ,आपसी सहयोग और निवासियों कि व्यक्तिगत स्वतंत्रता को पूरी तरह बंधक बनाकर लोगों को इतना आतंकित कर दिया है कि कुछ लोगों ने तो इस स्थिति से अच्छा आत्महत्या कर लेने को बताया ? वहीँ कुछ लोगों ने आर-पार कि लड़ाई के उग्र रूप में जैसे मुंबई में गोली चलने और इन Association के सभा में मारपीट  तक हुई, वैसी ही दिल्ली में स्थिति बन रही है,ऐसा बताया /

लोगों से जब हमने इस स्थिति के समाधान के बारे में पूछा तो लोगो ने जो सुझाव दिए ,वह इस प्रकार है - लोगों का कहना था कि, ये Association अपने पदाधिकारियों का चुनाव कम से कम 70 % निवासियों के मतदान या आम सहमती के आधार पर करे , मासिक शुल्क कि पहले जरूरत के आधार पर रूपरेखा तैयार कर ,निवासियों के विचार और सुझाव लिए जाएँ ,उसके बाद 70% कि आम सहमती से उसे लागु किया जाय , दो पड़ोसियों के बिच उठे किसी भी विवाद को पहले Association के स्तर पर पंच परमेश्वर के आधार पर न्यायसंगत फैसले लिए जायें,खर्चों का मासिक व्योरा सूचना पट्ट पर लगाया जाय,Association के पद पर दुबारा पद के लिए कोई पदाधिकारी तभी नामांकन करे जब निवासियों में से सभी लोग लिखित में ये दे दे कि हम में से कोई नहीं बनना चाहता है ,अगर कोई निवासी मासिक शुल्क नहीं देता है तो ,उसके खिलाफ कानूनी कार्यवाही कि जाय ना कि अमानवीय प्रतारणा देकर या आतंकित कर उससे मासिक शुल्क उसूला जाय  ,Association निवासियों के हर लिखित शिकायत का जवाब एक महीने के भीतर लिखित में निवासियों को दे ,मासिक और सुरक्षा शुल्क का निर्धारण सुविधा के उपयोग के आधार पर हो ना कि एक कार वाले से जितना लिया जाता हो ,उतना चार कार वाले से भी लिया जाय ,ऐसा करना एक कार वाले के साथ अन्याय करने के बराबर है और सबसे महत्वपूर्ण सुझाव जो लोगों ने दिए वह था कि हर Association के लिए साल में एक बार हर निवासी से Association के अपने कार्यों का समीक्षात्मक रिपोर्ट लिखित में लेना और उसे सोसाइटी  रजिस्ट्रार  के पास जमा करवाना अनिवार्य कर दिया जाय ,जिससे इनके कार्यप्रणाली का पता चल सके और समीक्षा कि जा सके  / 

उपर्युक्त बातों को देखते हुए ,यह कहा जा सकता है कि दिल्ली में इन Resident Welfare Association ने आतंक का माहौल बना रखा है ,जिससे कभी भी सामाजिक विस्फोट कि स्थिति बन सकती है / अतः हमारा आग्रह है ---दिल्ली के कानून और दिल्ली के नागरिकों के मानवीय अधिकारों कि रक्षा के लिए जिम्मेवार ,दिल्ली के मुख्यमंत्री ,उपराज्यपाल और दिल्ली पुलिस के मुखिया से कि ,जल्द से जल्द इन Resident Welfare Association कि जाँच कर जमीनी हकीकत का निरिक्षण करें और आवश्यक मूलभूत सुधार के लिए जरूरी उपाय करें / साथ ही दिल्ली के हर थाने से रिपोर्ट मंगवाकर यह देखें कि अगर किसी निवासी को प्रतारित करने कि शिकायत है तो सम्बंधित Resident Welfare Association के पदाधिकारियों पर जाँच बैठाकर सख्त से सख्त कार्यवाही करें / मासिक शुल्क उसूलने के लिए लोगों को आतंकित करना और प्रतारणा देना जघन्य अपराध कि परिभाषा में आता है / 

आप ब्लोगरों से भी हमारा आग्रह है कि ,अगर आपने भी कहीं ऐसा महसूस किया या इस प्रकार कि परेशानियों को  झेला है तो ,कृपा कर इस ब्लॉग पर लिखें या हमसे संपर्क करें /   
    

सोमवार, 3 मई 2010

रोती शिक्षा,सोती सरकार और जागती बिल्डर माफिया ------?





वैसे तो पूरे दुनिया को बर्बाद करने और आम लोगों के जीवन को दुखों कि गहराइयों में भेजने का पुण्य काम  इस बिल्डर माफिया ने ही किया है ,लेकिन हमारे देश और हमारे देश कि शिक्षा व्यवस्था को इस बिल्डर माफिया ने किस तरह पूरी तरह बर्बाद कर लाखों छात्रों के भविष्य  को ही नहीं ,बल्कि भारत के भविष्य से भी गन्दा खेल खेलने का काम किया है , इसका सनसनीखेज खुलासा हमारे द्वारा कि कई  40 DEEMED UNIVERSITY के  मान्यता रद्द करने के कारणों और इन विश्वविद्यालयों के पीछे छुपी हकीकत को जानने के हमारे प्रयास से /

हमने खोज तो इस लिए शुरू किया था कि इन विश्वविद्यालयों के बंद होने से छात्रों पे क्या असर पड़ेगा / लेकिन जब हमारे लोगों ने इन विश्वविद्यालयों तक पहुंच कर वहाँ पढने वालों छात्रों से बात किया और प्रबंधन का जायजा लिया तो चौकाने वाले वो तथ्य सामने आये जो किसी भी देश के शिक्षा व्यवस्था को बर्बाद करने के लिए काफी है /

हमने पाया कि इस तरह के ज्यादातर विश्वविद्यालय या तो किसी बिल्डर माफिया का है या सांसदों और मंत्रियों के रिश्तेदारों का / इनको सारे नियम कायदे को ताक पड़ रखकर फोरेस्ट कि ज़मीन तक में ,अवैध निर्माण करने और विश्वविद्यालय चलाने कि अनुमति दी गयी / इनको ज़मीन मुहैया कराने से लेकर UGC से मान्यता तक के सफ़र में ,उस समय के  HRD मिनिस्ट्री से लेकर UGC और शिक्षा विभाग तक के भ्रष्ट अधिकारियों और मंत्रियों ने, इन माफिया टायप लोगों से मोटी रिश्वत का खेल खेला /

इन विश्वविद्यालयों में छात्रों से लाखों रूपये विभिन्न पाठ्यक्रम के लिए उसूलने के बाबजूद ना तो उसके लिए उचित शिक्षक और ना ही कोई बिशेषज्ञ कि समुचित व्यवस्था कि गयी / पढाई और क्लास कि अवस्था तो उचित शिक्षकों के नहीं होने से सहज ही लगाया जा सकता है / यही नहीं इन विश्वविद्यालयों के कई मालिक ,जो या तो खुद प्रिंसिपल हैं या उनका लड़का या उनका कोई नजदीकी रिश्तेदार, जिनके खुद कि डिग्रियां भी फर्जी बताये जाते या संदेह के घेरे में है / इन तथाकथित विश्वविद्यालय चलाने वाले फर्जी लोगों ने UGC के मान्यता के नाम पर ,साथ में कई-कई और विश्वविद्यालय भी खोल रखा है तथा छात्रों और अभिभावकों को प्रभावित कर ठगने के उद्देश्य से विभिन्न देशों में बैठे इनके खुद के ठगी के नेटवर्क रुपी संस्थाओं से भी मान्यता प्राप्त दिखा रखा है / इनके द्वारा चलाये जा रहे छात्रावासों कि व्यवस्था काफी दयनीय होने के बाबजूद इन्होने छात्रों से मोटी शुल्क उसूलने कि पुख्ता व्यवस्था कर रखी है / कुछ जगहों पर तो जानबूझकर पढाई के जगह मटरगस्ती का माहौल बनाया गया ,जिससे छात्रों का ध्यान दूसरी ओर आकर्षित किया जा सके /

इतना ही नहीं यहाँ फर्जी डिग्रियां बेचने और उसके एवज में लाखों रुपया उसूलने का संगठित रूप से पूरा-पूरा प्रबंध है / यहाँ ठगी के नाम पर कइयो ने प्रिंटिंग प्रेस तक लगा कर, विभिन्न विश्वविद्यालयों के फर्जी डिग्रियां और फर्जी किताबें छापने कि भी व्यवस्था कर रखा है / 

इन विश्वविद्यालयों के छात्रों से बातचीत में यह भी खुलासा हुआ कि ज्यादातर छात्र इन विश्वविद्यालयों में व्याप्त कुव्यवस्था से परेशान हैं और चाहते हैं कि ऐसे ठगी के संस्थान बंद ही हो जाय तो अच्छा होगा / पहचान बदलकर छात्रों और कुछ संचालकों से बातचीत में यह भी पता चला कि भ्रष्टाचार और रिश्वत कि ताकत से इन विश्वविद्यालयों कि मान्यता को रद्द होने से बचाने का उच्चस्तरीय खेल खेला जा रहा है / इस खेल में बिल्डर या यों कहें शिक्षा माफिया के जीतने कि उम्मीद भी पूरी लग रही है / सरकार को सारी स्थिति का पता होते हुए भी सरकार शिक्षा जैसे गंभीर मुद्दों पे भी सोती रही है / जिसकी जितनी निंदा कि जाय वो काम है / इस देश में शिक्षा व्यवस्था पर बिल्डर माफिया का पूरा कब्ज़ा हो गया है ,जो आने वाले समय में शिक्षा का भारी नुकसान कर पूरी सामाजिक परिवेश को दूषित कर सकता है /

ऐसे में कपिल सिब्बल जी अगर सही मायने में शिक्षा में सुधार चाहते हैं ,तो उनको इन विश्वविद्यालयों में पढने बाले छात्रों के बयान कि विडियो रेकॉर्डिंग कोर्ट में पेश कर इन विश्वविद्यालयों के मालिकों पर 420 और धोखाधड़ी का मुकदमा भी दर्ज कर इनको सजा दिलाना होगा  / क्योंकि शिक्षा जैसे पेशा को सिर्फ और सिर्फ तिकरम से पैसा बनाने का पेशा बनाने वालों के खिलाप कार्यवाही होनी ही चाहिए / अदालत फैसला करेगी सबूत जुटाकर देना सरकार कि जिम्मेवारी है /

ये हाल NCR में चल रहे DEEMED UNIVERSITY का है ,तो दूर दराज में चल रहे का क्या हाल होगा ? वैसे कुछ छात्रों ने इसके देश व्यापी अभियान कि शुरुआत कर ,इन विश्वविद्यालयों कि हकीकत और ठगी के गोरख धंधे  को लोगों के सामने लाने का अभियान शुरू भी कर दिया है / भगवान उनको इस नेक अभियान में सफलता दें /

आप लोगों से आग्रह है कि ऐसे विश्वविद्यालयों में अपने बच्चों का दाखिला कराते वक्त ,उसकी व्यवस्था और उसमे शिक्षकों व प्राचार्य कि भी पूरी जाँच कर लें , कहीं वो कोई माफिया तो नहीं , क्योंकि इनको एक बार आपने फीस दे दी, तो वापस लेना नामुमकिन ही है / वैसे कागजों में इन्होने सबकुछ ठीकठाक व्यवस्था दिखा रखा है ,लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयाँ कर रही है /

शनिवार, 1 मई 2010

न्यूनतम मजदूरी - सामाजिक सरोकार और भ्रष्टाचार ---?




                                

आज मजदूर दिवस है ,इसलिए मैंने मजदूर और मजदूरी से सम्बंधित विषय को इस पोस्ट के जरिये आप तक पहुँचाने का सोचा है /

मजदूर और मजदूरी से जुरी सबसे महत्व पूर्ण मुद्दा है ,-न्यूनतम मजदूरी / दिल्ली देश कि राजधानी है / लेकिन यहाँ भी ज्यादातर मजदूरों को न्यूनतम मजदूरी नहीं मिलती है , यहाँ तक कि सरकारी कार्यों में भी इस पर कोई निगरानी नहीं रखी जाती कि ,जो ठेकेदार सरकारी कार्यों को पूरा कर रहे हैं ,वो मजदूरों को न्यूनतम मजदूरी दे रहे हैं कि नहीं ?

सरकार सिर्फ आदेश निकालकर अपने कर्तव्यों कि इतिश्री  कर लेती है / वह आदेश लागू हो रहा है और नहीं हो रहा है तो समस्या क्या है और उसका समाधान क्या है ,इस पर ईमानदारी से विचार करना ,वो जरूरी नहीं मानती और ना ही कोई सार्थक प्रयास भी करती है /

अब यहाँ यह देखना होगा कि न्यूनतम मजदूरी क्या सिर्फ कानूनी जिम्मेवारी है ? तो इसका जवाब है नही / न्यूनतम मजदूरी कानूनी से ज्यादा हमारी सामाजिक जिम्मवारी भी है / 

अब अगर यह सामाजिक जिम्मेवारी भी है तो ,लोग इसका पालन क्यों नहीं करते / हमने जब इसके तह में जाने कि कोशिस कि तो पाया कि इसके पीछे भी भ्रष्टाचार का ही पूरी तरह हाथ है / श्रम निरीक्षक से लेकर ,श्रमायुक्त तक अपनी जेब भरने के लिए अच्छे व्यवसायियों को गलत राह पर चलने यानि मजदूरों को कम मजदूरी लेकिन उनकी जेबें भरने को मजबूर करते हैं / ज्यादातर व्यवसायी इसके लिए नीयत समय पर रिश्वत कि मंथली इन अधिकारियों तक पहुंचाते हैं / ऐसे में नहीं पहुचाने वालों को तरह-तरह से परेशान किया जाता है / आज अगर श्र्मायुक्तों कि खुफिया जाँच कि जाय तो केतन देसाई कि तरह ही इनके पास से भी ,कड़ोरों कि अवैध  सम्पति  मिलेगी / यही नहीं इमानदार व्यवसायियों  को दिल्ली तक में अपनी मूलभूत सुविधा पानी ,बिजली,सीवर ,औद्योगिक क्षेत्र में सड़के ,बैंकों से ऋण ,इत्यादि पाने में इतना रिश्वत देना परता है कि ,वह मजदूरों कि मजदूरी को काटकर उसकी भरपाई करता है / कहिं-कहिं यह भी देखा गया है कि कुछ मजदूर इतने बेईमान होते हैं कि ,वे ईमानदारी से काम ही नहीं करते ,जिससे भी मालिकों को दुखी होकर मजदूरों को कम मजदूरी देने का मन बनता है /

अब ऐसे में समाधान मजदूर और मालिक दोनों कि समस्याओं पर सार्थकता से विचार कर उसका समाधान ढूँढने से ही होगा / सरकारी ठेकेदारों का मंत्रियों और अभियंताओं द्वारा शोषण बंद कर हम मजदूरों को न्यूनतन मजदूरी ठेकेदारों से दिला सकते हैं / आज दिल्ली के लोक निर्माण विभाग के अभियंताओं का ये हाल है कि ,उनके द्वारा ठेकेदारों को घटिया काम करने और रिश्वत देने के लिए मजबूर किया जाता है और दिल्ली कि सरकार सब कुछ पता होते हुए भी ,कोई समुचित जाँच कर दोषियों को सजा देना तो दूर इस प्रकार का कोई प्रयास भी नहीं करती दिख रही है / इसलिए यह कहा जा सकता है कि आम जनता के दुखों कि तरह ही भ्रष्टाचार के ख़त्म होने से ही मजदूरों के दुखों का भी खात्मा होगा /

बस अंत में इतना ही आग्रह मालिकों से करना चाहूँगा कि मजदूरों को मानवता के वास्ते न्यूनतम मजदूरी जरूर देने का प्रयास करें / अगर मालिकों का या ठेकेदारों का शोषण किसी सरकारी अधिकारी के द्वारा किया जा रहा है तो उसके लिए अगर शिकायत करने में उनको कोई परेशानी हो तो हमें बताएं,हम करेंगे आपके समस्याओं कि शिकायत / साथ-साथ मैं मजदूरों से भी यह गुजारिस करूंगा कि न्यूनतम मजदूरी पाने के लिए निडरता से लड़ें  ,लेकिन अपने कार्य के समय में, खुद कि ईमानदारी के साथ काम करें / ऐसा करने से ही मजदूर और मालिक दोनों का भला होगा /

गुरुवार, 29 अप्रैल 2010

सभी ब्लोगर ध्यान दें ! शाबाश "अदा"---


                        
आज मैं एक पोस्ट के रूप में उस टिप्पणी को आप लोगों के सामने पेश कर रहा हूँ ,जिसे एक समझदार ब्लोगर ने देश हित में 100 शब्द कहने के आग्रह पर व्यक्त किया है / मेरे ख्याल में यह सोच उम्दा है / आप भी पढ़िए और अपनी प्रतिक्रिया रखिये /
'अदा' said...
मुझे इस बात की बहुत ज्यादा कोफ़्त होती है, जब बिना प्रयास किये हुए यह मान लिया जाता है कि यह काम तो हो ही नहीं सकता है.... आपका यह प्रश्न " क्या आप समझते हैं कि जनता को सरकार को संयुक्त हस्ताक्षर अभियान के जरिए,आदेश देने का अधिकार है?" बिलकुल हो सकता है और होना भी चाहिए....लोकतंत्र का अर्थ ही है जनता का, जनता के लिए और जनता द्वारा.....लेकिन जब जनता को ही अपनी शक्ति का भान नहीं है तो कोई क्या करे...मुट्ठी भर भ्रष्ट नेताओं की दुहाई देने वाले या तो डरपोक है या निकम्मे, जब समाज को बदलना है तो भिड़ जाना ही होगा, अगर हम सोच लें तो क्या यह संभव नहीं है....गाँधी जी सत्याग्रह के बल पर अंग्रेजी हुकूमत को घुटने पर ले आये थे और हम गाँधी के देश में अपने ही लोगों की गुंडागर्दी से डर कर बैठे हुए हैं...आज पोलिटिक्स मात्र गुंडों का खेल होकर रह गया है...और इसके लिए जिम्मेवार हमारा तथाकथित माध्यम वर्गीय समाज है.... हमने हमेशा समस्याओं से बचके निकलना सीखा है...और बाद में वही समस्याएं विकराल रूप ले लेतीं है...फिर हम आराम से कहते हैं कि अब कुछ नहीं हो सकता है....वही हाल राजनीति का रहा है....राजनीति में जाना बुरी बात है....राजनीति बुरे लोगों का काम है, भले लोग राजनीति में नहीं जाते हैं ....यही तो सुनते रहे हैं बचपन से, और हमेशा हैरानी होती रही है मुझे कि , देश के किये काम करना कैसे बुरा हो सकता है ? हमारे बड़े बुजुर्गों ने सिर्फ मुसीबतों से बचने के लिए गलत छवि बना दी और हमने यकीन कर लिया....और यही सबसे बड़ा कारण है कि आज पोलिटिक्स में गुंडों का आधिपत्य है, हमलोग ये क्यूँ नहीं सोचते राजनीति भी एक करियर है...बच्चों को उसमें भी जाना चाहिए....हर नौकरी कि तरह यह भी एक नौकरी है...इसके लिए भी पाठ्क्रम होने चाहिए....नयी पीढ़ी को ट्रेनिंग मिलनी चाहिए....कितनी अजीब बात है एक पार्क तो खूबसूरत बनाने की ट्रेनिंग है,, बिल्डिंग को सजाने की ट्रेनिंग है ....और अपने देश को व्यवस्थित करने की कोई ट्रेंनिग नहीं ....लानत है जी... हमारे अपने लोग कितनी बड़ी-बड़ी अन्तराष्ट्रीय कंपनियों में अपने बुद्धि-विवेक से अपना आधिपत्य साबित कर चुके हैं....क्या वो लोग अपने देश में इस काबिल नहीं थे....?? जब हम अपने देश के विदेश मंत्रालयों के प्रवक्ताओं के देखते हैं और सुनते हैं तो आत्महत्या कर लेने का दिल करता है...लगभग २ अरब आबादी वाले देश में एक ढंग का प्रवक्ता नहीं मिलता इनको जो अपने देश की गिरती साख को सम्हाल सके....जो ढंग से बात कर सके....जो भी आता है शिफारिशी जोकर होता है..... अब समय आ गया है कि जनता जागे और अपनी ताकत को पहचाने...उसका उपयोग करें, अगर इस तरह के हस्ताक्षर अभियान की शुरुआत हो जाए तो फिर देश को सुधरने से कोई नहीं रोक सकता है....संसद में बैठे हुए जो लोग हैं उन्हें हमने चुना है....उन्हें वही करना होगा जो, हम चाहेंगे.....और जनता हमेशा सही ही चाहेगी....लोग कहेंगे 'अदा' सपने देखती है....ये नहीं हो सकता....तो उनसे मैं कहूँगी कि जब उस दिशा में कोई काम किया ही नहीं तो उसकी सफलता पर पहले से संदेह क्यूँ करना....?? अरे दिल्ली जाना है तो दिल्ली की गाड़ी में बैठो.....घर में बैठ कर भगवान् से मानना कि हमें दिल्ली पहुंचा दो...बेवकूफी है...या फिर बिना गाड़ी में बैठने का प्रयास किये हुए मान लेना कि हम तो दिल्ली जा ही नहीं सकते गलत होगा..... संयुक्त हस्ताक्षर करके कोशिश तो कीजिये ....आपके आदेश का पालन होगा अवश्य ये मेरा विश्वास है.....
 
 
हमने देश हित में विचारों और सुझावों के लिए एक मुहीम चलाया हुआ है ,जिसमे उम्दा विचारों और सुझावों को सम्मानित करने क़ी भी व्यवस्था है /

आप सबसे आग्रह है क़ी आप अपना बहुमूल्य विचार पोस्ट में उठाये गए मुद्दे के पक्ष,बिपक्ष या उस उद्देश से जुड़े अन्य बिकल्पों पर सार्थक विवेचना के रूप में अपना 100 शब्द जरूर लिखें / नीचे लिखे लिंक पर क्लिक करने से,वह पोस्ट खुल जायेगा जिसके टिप्पणी बॉक्स में आपको टिप्पणी करनी है /पिछले हफ्ते अजित गुप्ता जी को उम्दा विचारों के लिए सम्मानित किया गया है /

मंगलवार, 27 अप्रैल 2010

नितीश जी ये आपके सुशासन पर बदनुमा दाग है ,इसे साफ करने क़ी कोशिस कीजिये ?

                                                              
बिहार में निश्चय ही बदलाव आया है / लेकिन आज भी आम लोगों के साथ जो व्यवहार वहाँ होता है और वह भी सरकारी बैंकों व संस्थाओं में ,वह नितीश जी के सुशासन पर बदनुमा दाग क़ी तरह है और नितीश जी जैसे मुख्यमंत्री के लिए इसे साफ करना जरूरी भी है /
 पिछले दिनों मैंने बिहार क़ी यात्रा क़ी और मैं जहाँ भी जाता हूँ,वहाँ क़ी व्यवस्था का निरिक्षण एक जागरूक नागरिक के अधिकार के तहत जरूर करता हूँ / मैं क्या इस प्रकार का काम ह़र नागरिक को करना चाहिए /  मैंने कई जिले के अपने निरिक्षण और लोगों क़ी शिकायत का उनके साथ जाकर जमीनी हकीकत का मुआयना किया तो पाया क़ी वहाँ के ज्यादातर सरकारी बैंकों में , बैंक के बाहर एक अदद बोर्ड तक लगा हुआ नहीं है ,जिसपे बैंक के खुलने और बंद होने का समय दर्ज हो /  जिसके वजह से बैंक के कर्मचारी अपने मन मुताबिक कभी 11 बजे तो कभी 09 बजे ही बैंक को खोल देते है और कभी 12 बजे  ही बैंक को बंद कर देते है तो कभी शाम के 06 बजे तक बैंक को खोले रखते है / लोग घंटों धूप में बैंक के खुलने और बैंक के मालिक बन बैठे कर्मचारियों का इंतजार करते रहते हैं / कमो बेस सभी बैंक का हाल ये है क़ी बिना पैरबी के आम आदमी के लिए सारे कागजात होते हुए भी ,एक बचत खाता खुलवाना मानो किला फतह करने के बराबर है / कई मामले में तो लोगों को खाते खुलवाने के लिए रिश्वत तक देना पड़ता है / बैंकों में किसान ऋण ,इंदिरा आवास ऋण ,ट्रेक्टर के लिए ऋण के लिए असल और सही आवेदक को ऋण मिलना और वह भी बिना मोटी रिश्वत के लगभग मुश्किल ही है /  बैंक के स्थानीय कर्मचारी (जिनका मूल निवास उसी गावं में या ब्लोक में है ) बैंक के किसी भी इमानदार मैनेजर को सही से काम नहीं करने देते हैं / यही नहीं किसान ऋण  और इन्द्रा आवास ऋण में तो फर्जी आवेदकों क़ी भरमार है / जिनसे 40% से 70% तक कमीशन लेकर ऋण जारी किया गया है / ऐसा नहीं क़ी लोग उच्च अधिकारियों तक इसकी शिकायत नहीं करते , शिकायत क़ी जाती है ,लेकिन समुचित कार्यवाही नहीं होने से शिकायत करने वालों  क़ी संख्या  लगातार  घटती  जा  रही है / यही नहीं कई मामलों में बिधवा पेंशन के लिए  औरतों के यौन उत्पिरण के प्रयास क़ी भी शिकायत  सुनने को मिली / कुछ एक जगह तो मैंने एरिया मैनेजर और जोनल मैनेजरों को अपने मोबाइल से वस्तु स्थिति क़ी जानकारी देकर समुचित कार्यवाही का आग्रह भी किया / कई मामले तो ऐसे भी देखने को मिले क़ी जिस खाता धारक ने शिकायत क़ी उसको बैंक में परेशान करने क़ी कोशिस करने के साथ-साथ गली-गलौज भी किया गया  /  दरअसल इसका सबसे बड़ा कारण है बैंकों में स्थानीय कर्मचारियों क़ी उपस्थिति / अगर कर्मचारियों को अपने क्षेत्र से कम से कम 50KM दूर पदस्थापित किया जाय और ह़र बैंक में बैंक के खुलने और बंद होने के समय को , पहले और अंतिम ग्राहक से शिकायक पुस्तिका में प्रतिदिन दर्ज कराना अनिवार्य कर दिया जाय और शिकायत पुस्तिका को बैंक कार्य अवधि के दरम्यान ऐसी जगह रखा जाय क़ी ह़र बैंक का खाता धारक उसका प्रयोग कर सके और उस में दर्ज शिकायतों पर तय समय में समुचित कार्यवाही हो ,तो स्थिति को कुछ हद तक सुधारा जा सकता है / यही नहीं महिलाओं से बैंक अपनी अच्छी या बुरी ग्राहक सेवा के लिए शिकायत पुस्तिका में टिप्पणियां जरूर अंकित कराये /  महिलाओं को किसी प्रकार का तकलीफ वो भी बैंक में बेहद शर्मनाक है /
                        अब बात प्रशासनिक अधिकारियों क़ी तो ब्लोक स्तर पर हाल ये है क़ी ज्यादातर BDO स्तर के या उससे नीचे के अधिकारी ऑफिस से नदारद मिले ,पूछने पर बताया गया दौरे पड़ हैं / जब यह सवाल किया गया क़ी कहाँ मिलेंगे तो गोल-मोल जवाब मिला / इस समस्या के समाधान के लिए लोगों का कहना था क़ी अगर ब्लोक ऑफिस के कर्मचारियों क़ी संख्या ,पद और नाम के साथ प्रतिदिन क़ी उपस्थिति,अनुपस्थिति या क्षेत्र निरिक्षण  के विवरण के साथ अगर कार्यालय के सूचना पट्ट पर प्रतिदिन लगाना अनिवार्य कर दिया जाय तो ,घर पर रहकर फर्जी हाजरी लगाने वालों क़ी संख्या में कमी आएगी और सुशासन में और तेजी आयेगी / 
अंत में मैं नितीश जी के सुशासन के सबसे खराब दाग पर नजर डालना चाहूँगा और वह है हमलोगों का ही नहीं बल्कि पूरे भारत के व्यवस्था को  सार्थकता से बदल डालने के कानून RTI कानून कि बदहाली का / बिहार में RTI कानून क़ी जमीनी हकीकत दयनीय अवस्था में है ,RTI कार्यकर्त्ता दहशत में है ,कईयों के ऊपर झूठे मुकदमे चल रहें हैं जिससे देश में पारदर्शिता कि  लड़ाई लड़ने वाले  को मानसिक यातना झेलनी पड़ रही है / दोषी सूचना अधिकारियों को सजा नही के बराबर है ,जिससे आवेदन का जवाब या सूचना मिलने  कि दर काफी कम  है / विभिन्न सरकारी कार्यालयों में सार्वजनिक सूचना पट्ट पे सूचना अधिकारी का नाम स्पष्ट रूप से अंकित नहीं है और है तो सूचना अधिकारी अनुपस्थित होता है /  ये कुछ ऐसे कारण है जिसे दूर करने क़ी सख्त आवश्यकता है / इसके लिए ह़र सरकारी कार्यालयों में समुचित और सही सूचना अधिकारियों क़ी नियुक्ति करने क़ी जरूरत है / ह़र कार्यालय में सूचना के अधिकार क़ी जानकारी देने वाला बोर्ड और उस पर स्पष्ट रूप में सूचना अधिकारी का नाम और बैठने क़ी जगह का उल्लेख होना जरूरी है और इसके साथ ही ब्लोक स्तर के थाने को मुख्यमंत्री कार्यालय से इस आशय का सख्त आदेश-पत्र जारी करने क़ी आवश्यकता है जिसमे सख्त लहजों में यह आदेश हो क़ी RTI कार्यकर्ताओं कि हर हाल में सुरक्षा कि जाय नहीं तो दोषी पुलिस वाले को सूचना में बाधा पहुँचाने के नियम के तहत सख्त कार्यवाही कि जाएगी / 
नितीश जी हमें आपसे आशा है क़ी आप उपर्युक्त कारणों क़ी अपने विश्वस्त खुफिया तन्त्र से ईमानदारी भरा जाँच करा कर,समुचित कार्यवाही जरूर करेंगे / हमलोग सामाजिक आंदोलनों से जुरे हैं लेकिन हमारे पास सरकार क़ी तरह साधन और संसाधन नहीं है / अगर होता तो जमीनी हकीकत भी बदलने और दोषियों को सजा दिलाने का काम जरूर कर देते /
                     अंत में बिहार को सुशासन क़ी ओर थोरा ही सही ,ले जाने के लिए धन्यवाद / साथ ही आशा है क़ी सुशासन के ऊपर इस तरह के बदनुमा दाग को आप अपनी ईमानदारी से जरूर धोयेंगे /