मंगलवार, 27 अप्रैल 2010

नितीश जी ये आपके सुशासन पर बदनुमा दाग है ,इसे साफ करने क़ी कोशिस कीजिये ?

                                                              
बिहार में निश्चय ही बदलाव आया है / लेकिन आज भी आम लोगों के साथ जो व्यवहार वहाँ होता है और वह भी सरकारी बैंकों व संस्थाओं में ,वह नितीश जी के सुशासन पर बदनुमा दाग क़ी तरह है और नितीश जी जैसे मुख्यमंत्री के लिए इसे साफ करना जरूरी भी है /
 पिछले दिनों मैंने बिहार क़ी यात्रा क़ी और मैं जहाँ भी जाता हूँ,वहाँ क़ी व्यवस्था का निरिक्षण एक जागरूक नागरिक के अधिकार के तहत जरूर करता हूँ / मैं क्या इस प्रकार का काम ह़र नागरिक को करना चाहिए /  मैंने कई जिले के अपने निरिक्षण और लोगों क़ी शिकायत का उनके साथ जाकर जमीनी हकीकत का मुआयना किया तो पाया क़ी वहाँ के ज्यादातर सरकारी बैंकों में , बैंक के बाहर एक अदद बोर्ड तक लगा हुआ नहीं है ,जिसपे बैंक के खुलने और बंद होने का समय दर्ज हो /  जिसके वजह से बैंक के कर्मचारी अपने मन मुताबिक कभी 11 बजे तो कभी 09 बजे ही बैंक को खोल देते है और कभी 12 बजे  ही बैंक को बंद कर देते है तो कभी शाम के 06 बजे तक बैंक को खोले रखते है / लोग घंटों धूप में बैंक के खुलने और बैंक के मालिक बन बैठे कर्मचारियों का इंतजार करते रहते हैं / कमो बेस सभी बैंक का हाल ये है क़ी बिना पैरबी के आम आदमी के लिए सारे कागजात होते हुए भी ,एक बचत खाता खुलवाना मानो किला फतह करने के बराबर है / कई मामले में तो लोगों को खाते खुलवाने के लिए रिश्वत तक देना पड़ता है / बैंकों में किसान ऋण ,इंदिरा आवास ऋण ,ट्रेक्टर के लिए ऋण के लिए असल और सही आवेदक को ऋण मिलना और वह भी बिना मोटी रिश्वत के लगभग मुश्किल ही है /  बैंक के स्थानीय कर्मचारी (जिनका मूल निवास उसी गावं में या ब्लोक में है ) बैंक के किसी भी इमानदार मैनेजर को सही से काम नहीं करने देते हैं / यही नहीं किसान ऋण  और इन्द्रा आवास ऋण में तो फर्जी आवेदकों क़ी भरमार है / जिनसे 40% से 70% तक कमीशन लेकर ऋण जारी किया गया है / ऐसा नहीं क़ी लोग उच्च अधिकारियों तक इसकी शिकायत नहीं करते , शिकायत क़ी जाती है ,लेकिन समुचित कार्यवाही नहीं होने से शिकायत करने वालों  क़ी संख्या  लगातार  घटती  जा  रही है / यही नहीं कई मामलों में बिधवा पेंशन के लिए  औरतों के यौन उत्पिरण के प्रयास क़ी भी शिकायत  सुनने को मिली / कुछ एक जगह तो मैंने एरिया मैनेजर और जोनल मैनेजरों को अपने मोबाइल से वस्तु स्थिति क़ी जानकारी देकर समुचित कार्यवाही का आग्रह भी किया / कई मामले तो ऐसे भी देखने को मिले क़ी जिस खाता धारक ने शिकायत क़ी उसको बैंक में परेशान करने क़ी कोशिस करने के साथ-साथ गली-गलौज भी किया गया  /  दरअसल इसका सबसे बड़ा कारण है बैंकों में स्थानीय कर्मचारियों क़ी उपस्थिति / अगर कर्मचारियों को अपने क्षेत्र से कम से कम 50KM दूर पदस्थापित किया जाय और ह़र बैंक में बैंक के खुलने और बंद होने के समय को , पहले और अंतिम ग्राहक से शिकायक पुस्तिका में प्रतिदिन दर्ज कराना अनिवार्य कर दिया जाय और शिकायत पुस्तिका को बैंक कार्य अवधि के दरम्यान ऐसी जगह रखा जाय क़ी ह़र बैंक का खाता धारक उसका प्रयोग कर सके और उस में दर्ज शिकायतों पर तय समय में समुचित कार्यवाही हो ,तो स्थिति को कुछ हद तक सुधारा जा सकता है / यही नहीं महिलाओं से बैंक अपनी अच्छी या बुरी ग्राहक सेवा के लिए शिकायत पुस्तिका में टिप्पणियां जरूर अंकित कराये /  महिलाओं को किसी प्रकार का तकलीफ वो भी बैंक में बेहद शर्मनाक है /
                        अब बात प्रशासनिक अधिकारियों क़ी तो ब्लोक स्तर पर हाल ये है क़ी ज्यादातर BDO स्तर के या उससे नीचे के अधिकारी ऑफिस से नदारद मिले ,पूछने पर बताया गया दौरे पड़ हैं / जब यह सवाल किया गया क़ी कहाँ मिलेंगे तो गोल-मोल जवाब मिला / इस समस्या के समाधान के लिए लोगों का कहना था क़ी अगर ब्लोक ऑफिस के कर्मचारियों क़ी संख्या ,पद और नाम के साथ प्रतिदिन क़ी उपस्थिति,अनुपस्थिति या क्षेत्र निरिक्षण  के विवरण के साथ अगर कार्यालय के सूचना पट्ट पर प्रतिदिन लगाना अनिवार्य कर दिया जाय तो ,घर पर रहकर फर्जी हाजरी लगाने वालों क़ी संख्या में कमी आएगी और सुशासन में और तेजी आयेगी / 
अंत में मैं नितीश जी के सुशासन के सबसे खराब दाग पर नजर डालना चाहूँगा और वह है हमलोगों का ही नहीं बल्कि पूरे भारत के व्यवस्था को  सार्थकता से बदल डालने के कानून RTI कानून कि बदहाली का / बिहार में RTI कानून क़ी जमीनी हकीकत दयनीय अवस्था में है ,RTI कार्यकर्त्ता दहशत में है ,कईयों के ऊपर झूठे मुकदमे चल रहें हैं जिससे देश में पारदर्शिता कि  लड़ाई लड़ने वाले  को मानसिक यातना झेलनी पड़ रही है / दोषी सूचना अधिकारियों को सजा नही के बराबर है ,जिससे आवेदन का जवाब या सूचना मिलने  कि दर काफी कम  है / विभिन्न सरकारी कार्यालयों में सार्वजनिक सूचना पट्ट पे सूचना अधिकारी का नाम स्पष्ट रूप से अंकित नहीं है और है तो सूचना अधिकारी अनुपस्थित होता है /  ये कुछ ऐसे कारण है जिसे दूर करने क़ी सख्त आवश्यकता है / इसके लिए ह़र सरकारी कार्यालयों में समुचित और सही सूचना अधिकारियों क़ी नियुक्ति करने क़ी जरूरत है / ह़र कार्यालय में सूचना के अधिकार क़ी जानकारी देने वाला बोर्ड और उस पर स्पष्ट रूप में सूचना अधिकारी का नाम और बैठने क़ी जगह का उल्लेख होना जरूरी है और इसके साथ ही ब्लोक स्तर के थाने को मुख्यमंत्री कार्यालय से इस आशय का सख्त आदेश-पत्र जारी करने क़ी आवश्यकता है जिसमे सख्त लहजों में यह आदेश हो क़ी RTI कार्यकर्ताओं कि हर हाल में सुरक्षा कि जाय नहीं तो दोषी पुलिस वाले को सूचना में बाधा पहुँचाने के नियम के तहत सख्त कार्यवाही कि जाएगी / 
नितीश जी हमें आपसे आशा है क़ी आप उपर्युक्त कारणों क़ी अपने विश्वस्त खुफिया तन्त्र से ईमानदारी भरा जाँच करा कर,समुचित कार्यवाही जरूर करेंगे / हमलोग सामाजिक आंदोलनों से जुरे हैं लेकिन हमारे पास सरकार क़ी तरह साधन और संसाधन नहीं है / अगर होता तो जमीनी हकीकत भी बदलने और दोषियों को सजा दिलाने का काम जरूर कर देते /
                     अंत में बिहार को सुशासन क़ी ओर थोरा ही सही ,ले जाने के लिए धन्यवाद / साथ ही आशा है क़ी सुशासन के ऊपर इस तरह के बदनुमा दाग को आप अपनी ईमानदारी से जरूर धोयेंगे / 

1 टिप्पणी:

  1. आप इस पोस्ट को नितीश के ब्लॉग पर कमेन्ट के रूप में डाल दें...
    .....
    मुख्य मंत्री नितीश का दूसरा पोस्ट हिन्दी में ..http://nitishspeaks.blogspot.com
    ...........

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