हलांकि IB (खूपिया ब्यूरो) में इमानदार और देश के लिए मर मिटने वाले अधिकारी अभी भी मौजूद हैं ,ये अलग बात है कि उनकी इस भ्रष्ट व्यवस्था में सुनी नहीं जाती है | हमारा आग्रह है IB के ऐसे इमानदार अधिकारियों से कि वे छोड़ दें ऐसे नौकरी को जिसमे उनके सत्य और ईमानदारी भरे कार्य कि कद्र नहीं होती हो और आ जाये सामाजिक आन्दोलन के जरिये देश और समाज कि सच्ची सेवा में |
मंगलौर के बाजपे इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर हुए विमान दुर्घटना में 22 लोगों के शवों कि पहचान के लिए DNA टेस्ट का सहारा लेना परा जिस दरम्यान तथ्यों को खोजते वक्त ये भी सामने आया कि 10लोग नकली पासपोर्ट पर यात्रा कर रहे थे | हालाँकि अधिकारिक तौर पर यह घोषणा कर दी गयी है कि मृतकों को दिया जाने वाला मुआबजा उन यात्रियों को भी दिया जायेगा जो फर्जी पासपोर्ट पर यात्रा कर रहे थे |
लेकिन इससे एक बात तो साफ हो जाती है कि जब पासपोर्ट से सम्बंधित कागजात कि ही जाँच के लिए हर एअरपोर्ट पर IB के विशेष अधिकारी तैनात होते है तो ,10 यात्री का फर्जी पासपोर्ट पर सफ़र करना IB के अधिकारियों के कार्यों और देश के सुरक्षा के नाम पर इन एजेंसियों पर हो रहे भारी भरकम खर्च कि उपयोगिता पर एक बहुत बरा प्रश्न चिन्ह लगाता है ?
क्या IB के निगरानी के लिए भी एक दूसरी IB कि जरूरत है ?
क्या फर्जी पासपोर्ट का धंधा एक उद्योग का शक्ल ले चुका है ,अगर ऐसा है तो पासपोर्ट अधिकारी,विदेश मंत्रालय व पासपोर्ट के नाम पर होने वाले विभिन्न जाँच कि क्या जरूरत है ?
क्या जाँच महज एक खाना पूर्ति भर रह गया है और असल खेल पैसा फेक तमासा देख के आधार पर हो रहा है अगर सचमुच ऐसा है तो वह दिन दूर नहीं जब कोई आतंकवादी आपके पड़ोस में नकली पासपोर्ट के पहचान के जरिये आलिशान बंगला खरीद कर रहने लगेगा और आपको पता भी नहीं चलेगा |
अगर सचमुच ऐसा है तो वह दिन दूर नहीं जब कोई आतंकवादी आपके पड़ोस में नकली पासपोर्ट के पहचान के जरिये आलिशान बंगला खरीद कर रहने लगेगा और आपको पता भी नहीं चलेगा |'
जवाब देंहटाएंक्या पता अभी भी ऐसा ही हो रहा हो नहीं तो आतंकवादी इतनी आसानी से अपना कार्य कैसे कर जाते हैं.
Behtreen Post Jha ji. Aise bhrashtachariyon ki vajah se hi hamare desh ka yeh haal hai.
जवाब देंहटाएंइस देश की सबसे बडी विडंबना यही तो है कि हर सही जगह पर हर गलत व्यक्ति बठा हुआ है । और जो सही है उसे उस जगह पर बैठने का मौका ही नहीं मिल पा रहा है । सभी सुरक्षा एजेंसिंयों की कर्मठता पर लगता प्रश्न चिन्ह ये भी दर्शा रहा है कि सरकार को आम जनता जो टैक्स दे रही है , जिसका उपयोग इनके वेतन पर किया जा रहा है वो असल में जा कहां रहा है । सामयिक आलेख।
जवाब देंहटाएंहलांकि IB (खूपिया ब्यूरो) में इमानदार और देश के लिए मर मिटने वाले अधिकारी अभी भी मौजूद हैं
जवाब देंहटाएंक्या सचमुच....
हलांकि IB (खूपिया ब्यूरो) में इमानदार और देश के लिए मर मिटने वाले अधिकारी अभी भी मौजूद हैं
जवाब देंहटाएंक्या सचमुच.... लेकिन यह कमीने नेता उसे टिक कर बेठने नही देते... बाकी नकली पास पोर्ट भी कॊइ बडी बात नही यह भी हो सकता है.... वेसे भी हम सब भगवान बहरोसे ही जिन्दा है, इस सरकार के भरोसे नही, आगे आप की बात से सहमत हुं जी
आपकी रिपोर्टिंग ग़ज़ब की रहती है.... पहली मुलाक़ात में आपसे झगडा किया.... था.... अब सोचता हूँ तो.... एक मुस्कराहट सी आ जाती है.... एक बात तो है.... आप में वो ताक़त है कि आप सामने वाले को अपना मुरीद बना लें.....
जवाब देंहटाएंफिल्म- देशप्रेमी
जवाब देंहटाएंगीत-महाकवि आनन्द बख्शी
संगीत- लक्ष्मीकांत- प्यारेलाल
नफरत की लाठी तोड़ो
लालच का खंजर फेंको
जिद के पीछे मत दौड़ो
तुम देश के पंछी हो देश प्रेमियों
आपस में प्रेम करो देश प्रेमियों
देखो ये धरती.... हम सबकी माता है
सोचो, आपस में क्या अपना नाता है
हम आपस में लड़ बैठे तो देश को कौन संभालेगा
कोई बाहर वाला अपने घर से हमें निकालेगा
दीवानों होश करो..... मेरे देश प्रेमियों आपस में प्रेम करो
मीठे पानी में ये जहर न तुम घोलो
जब भी बोलो, ये सोचके तुम बोलो
भर जाता है गहरा घाव, जो बनता है गोली से
पर वो घाव नहीं भरता, जो बना हो कड़वी बोली से
दो मीठे बोल कहो, मेरे देशप्रेमियों....
तोड़ो दीवारें ये चार दिशाओं की
रोको मत राहें, इन मस्त हवाओं की
पूरब-पश्चिम- उत्तर- दक्षिण का क्या मतलब है
इस माटी से पूछो, क्या भाषा क्या इसका मजहब है
फिर मुझसे बात करो
ब्लागप्रेमियों... आपस में प्रेम करो
इस मुद्दे पर जितना हंगामा मचना चाहिए था,नहीं मचा।(नोटःसंभवतः,इस ब्लॉग के नाम में "फिर" की जगह "फिक्र" शब्द होना चाहिए था। कृपया देखें)
जवाब देंहटाएंबात सच में चिंता वाली है। खैर अभी तो कह नहीं सकता पर जरुर सही मंच पर इसे उठाउंगा। ये वादा रहा। जहां तक खुफिया एजेंसियों का सवाल है, इनमें कई ईमानदार औऱ देशभक्त लोग काम कर रहे हैं तभी अब भी कुछ बचा है देश में। पर इनकी लिखी रिपोर्टं धुल खा रही होती हैं य़ा फिर लापरवाह लोग ध्यान नहीं देते। मुंबई हमले में भी ये साबित हो गया कि खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट पर अगर अमल किया जाता तो इतना नुकसान नहीं होता। जरुरत है ब्यूरोक्रेसी में बैठे लोगो की जिम्मेदारी को तय किया जाए। औऱ ढिलाई की सजा तत्काल दी जाए। रहा नेताओं का मसला तो इन्हें तो जनता ही निपट सकती है बशर्ते वो जागरुक हो।
जवाब देंहटाएंझा साहब , वाजिब मुदा उठाया है आपने , और मैं तो कहूँगा कि न सिर्फ फर्जी पासपोर्ट बल्कि पाकिस्तान में बैठे बड़े-बड़े आतंकवादी हिन्दुस्तान में अपने चेह्तो से मिलने खादी के देशों के माध्यम से पटा नहीं कितने चक्कर लागा जाते होंगे ! कोई संदेह नहीं होना चाहिए कि कल यह भी कोई खुलासा हो जाए कि ओसामा बिन लादेन भी हैदराबाद की हज यात्रा कर चुका, फर्जी पासपोर्ट पर !
जवाब देंहटाएंबड़ा अजीब सा चौंकाने वाला समाचार है फर्जी पासपोर्ट का.
जवाब देंहटाएंउत्तम आलेख झा जी। आँखें और कान खोल कर रहने और परस्पर जुड़ने के सिवाय कोई दूसरा रास्ता नहीं रहेगा अब।
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