शनिवार, 24 अप्रैल 2010

ब्लोगरों का ये रुख लोकतंत्र के लिए क्या संकेत देता है!!!!!!!!!!!!!!!!!!

हमारे ब्लॉगhttp://honestyprojectrealdemocracy.blogspot.com  के एक पोस्ट(इस लिंक पर क्लिक करने से यह पोस्ट खुल जायेगा ,जिसके टिप्पणी बॉक्स में,आपको अपने विचार और सुझाव लिखना है -- सभी ब्लोगरों से करबद्ध प्रार्थना है कि इस ब्लॉग को जरूर पढ़ें और अपना बहुमूल्य सुझाव देने का कष्ट करें----- देश के संसद और राज्य के विधानसभाओं के दोनों सदनों में आम जनता के द्वारा प्रश्न काल के लिए साल में दो महीने आरक्षित होना चाहिए --------------)में देश हित के गम्भीर मुद्दे पर विचार देने कि प्रार्थना कि गयी है / जिसे ह़र हफ्ते के आये उम्दा विचारों के आधार पर, दो केटेगरी में सम्मानित करने का भी हमने प्रावधान रखा  है / साथ ही उसे ब्लोगर के नाम से अपने ब्लॉग पर प्रकाशित करने का वादा भी किया है  / लेकिन  पूरे हप्ते में एक भी विचार और सुझाव का ना आना ,हमें यह सोचने पर विवश कर रहा है कि ,कहिं हम ब्लोगर देश हित के मुद्दे पर 100 शब्दों में भी अपनी सोच और विचार को व्यक्त करने से पीछे तो नहीं हट रहें हैं ?  ब्लोगरों का ये रुख लोकतंत्र के लिए क्या संकेत देता है  !!!!!
                    देश और समाज हित में अपने विचार और सुझाव रखना ना सिर्फ हमारा सम्वैधानिक कर्तव्य है, बल्कि लोकतंत्र के लिए यह बेहद जरूरी भी /
                             अतः आपलोगों से फिर एक बार आग्रह है कि आप अपने विचार ऊपर के पोस्ट लिंक पर क्लिक कर उस पोस्ट को पढ़कर उसी पोस्ट के टिप्पणी बॉक्स में जरूर दर्ज करें / कम से कम 100 शब्द देश हित में जरूर लिखें / आप देश हित में हमारे द्वारा उठाये गए सवाल के पक्ष और विपक्ष दोनों में तर्कसंगत विचार लिखने के लिए स्वतंत्र हैं / 

4 टिप्‍पणियां:

  1. साहब दो महीने ही क्यों पूरा समय क्यों नहीं. आखिर ये वहां गए किस काम के लिए है.

    संसद सदस्‍यों को लोक महत्‍व के मामलों पर सरकार के मंत्रियों से जानकारी प्राप्‍त करने के लिए पूछने का अधिकार होता है जानकारी प्राप्‍त करना प्रत्‍येक गैर-सरकारी सदस्‍य का संसदीय अधिकार है। संसद सदस्‍य के लिए लोगों के प्रतिनिधि के रूप में यह आवश्‍यक होता है कि उसे अपनी जिम्‍मेदारियों के पालन के लिए सरकार के क्रियाकलापों के बारे में जानकारी हो। प्रश्‍न पूछने का मूल उद्देश्‍य लोक महत्‍व के किसी मामले पर जानकारी प्राप्‍त करना और तथ्‍य जानना है।
    दोनों सदनों में प्रत्‍येक बैठक के प्रारंभ में एक घंटे तक प्रश्‍न किए जाते हैं। और उनके उत्तर दिए जाते हैं। इसे ‘प्रश्‍नकाल’ कहा जाता है।यह सभी बहुत अच्छी तरह जानते हैं कि संसद का प्रश्नकाल किसी भी लोकतंत्र के लिए सबसे अहम होता है। इसका महत्व सिर्फ इसी से समझा जाता है कि संसद में पहला घंटा प्रश्नकाल को ही समर्पित होता है। लेकिन हमारे सांसद यह सब जानते हुए भी संसद में नहीं पहुँचते । देश की सबसे बड़ी पंचायत में बैठनेवालों के गैरजिम्मेदाराना रवैये का इससे बड़ा सबूत और क्या हो सकता है। एक भी माननीय सांसद ऐसा नहीं दीखता जो देश हित छोड़िये अपने निर्वाचन क्षेत्र के हित में भी कोई प्रश्न पूछता हो . बस सब के सब जम्बुरे कि तरह से हो-हल्ला करने में ही लगे रहते है

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  2. सिर्फ दो महीने ही मिल जाएँ बहुत है, बाकी ये लोग गए हैं, वहाँ हंगामा करने और संसद को शर्मसार करने जो विश्व में देखा जाता है कि भारत का लोकतंत्र कितना सभ्य और सुसंस्कृत है. उसे देख हम घरों में शर्म से पानी पानी हो जाते हैं लेकिन ये वहाँ चुल्लू भार पानी में भी नहीं डूब पाते हैं.

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  3. माननीय सांसद???? क्या यह सच मै माननीय है???

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  4. ऐसो कभी नहीं हो पाओगे। काहे कि जब सबै नेता जनता ने चुण के भैजे है तो फिर जणता को काहै का मोका देंगे भाईजी। आप तो बस अपणे दिल के लिऐ बहस करवालो जी।

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