शनिवार, 1 मई 2010

न्यूनतम मजदूरी - सामाजिक सरोकार और भ्रष्टाचार ---?




                                

आज मजदूर दिवस है ,इसलिए मैंने मजदूर और मजदूरी से सम्बंधित विषय को इस पोस्ट के जरिये आप तक पहुँचाने का सोचा है /

मजदूर और मजदूरी से जुरी सबसे महत्व पूर्ण मुद्दा है ,-न्यूनतम मजदूरी / दिल्ली देश कि राजधानी है / लेकिन यहाँ भी ज्यादातर मजदूरों को न्यूनतम मजदूरी नहीं मिलती है , यहाँ तक कि सरकारी कार्यों में भी इस पर कोई निगरानी नहीं रखी जाती कि ,जो ठेकेदार सरकारी कार्यों को पूरा कर रहे हैं ,वो मजदूरों को न्यूनतम मजदूरी दे रहे हैं कि नहीं ?

सरकार सिर्फ आदेश निकालकर अपने कर्तव्यों कि इतिश्री  कर लेती है / वह आदेश लागू हो रहा है और नहीं हो रहा है तो समस्या क्या है और उसका समाधान क्या है ,इस पर ईमानदारी से विचार करना ,वो जरूरी नहीं मानती और ना ही कोई सार्थक प्रयास भी करती है /

अब यहाँ यह देखना होगा कि न्यूनतम मजदूरी क्या सिर्फ कानूनी जिम्मेवारी है ? तो इसका जवाब है नही / न्यूनतम मजदूरी कानूनी से ज्यादा हमारी सामाजिक जिम्मवारी भी है / 

अब अगर यह सामाजिक जिम्मेवारी भी है तो ,लोग इसका पालन क्यों नहीं करते / हमने जब इसके तह में जाने कि कोशिस कि तो पाया कि इसके पीछे भी भ्रष्टाचार का ही पूरी तरह हाथ है / श्रम निरीक्षक से लेकर ,श्रमायुक्त तक अपनी जेब भरने के लिए अच्छे व्यवसायियों को गलत राह पर चलने यानि मजदूरों को कम मजदूरी लेकिन उनकी जेबें भरने को मजबूर करते हैं / ज्यादातर व्यवसायी इसके लिए नीयत समय पर रिश्वत कि मंथली इन अधिकारियों तक पहुंचाते हैं / ऐसे में नहीं पहुचाने वालों को तरह-तरह से परेशान किया जाता है / आज अगर श्र्मायुक्तों कि खुफिया जाँच कि जाय तो केतन देसाई कि तरह ही इनके पास से भी ,कड़ोरों कि अवैध  सम्पति  मिलेगी / यही नहीं इमानदार व्यवसायियों  को दिल्ली तक में अपनी मूलभूत सुविधा पानी ,बिजली,सीवर ,औद्योगिक क्षेत्र में सड़के ,बैंकों से ऋण ,इत्यादि पाने में इतना रिश्वत देना परता है कि ,वह मजदूरों कि मजदूरी को काटकर उसकी भरपाई करता है / कहिं-कहिं यह भी देखा गया है कि कुछ मजदूर इतने बेईमान होते हैं कि ,वे ईमानदारी से काम ही नहीं करते ,जिससे भी मालिकों को दुखी होकर मजदूरों को कम मजदूरी देने का मन बनता है /

अब ऐसे में समाधान मजदूर और मालिक दोनों कि समस्याओं पर सार्थकता से विचार कर उसका समाधान ढूँढने से ही होगा / सरकारी ठेकेदारों का मंत्रियों और अभियंताओं द्वारा शोषण बंद कर हम मजदूरों को न्यूनतन मजदूरी ठेकेदारों से दिला सकते हैं / आज दिल्ली के लोक निर्माण विभाग के अभियंताओं का ये हाल है कि ,उनके द्वारा ठेकेदारों को घटिया काम करने और रिश्वत देने के लिए मजबूर किया जाता है और दिल्ली कि सरकार सब कुछ पता होते हुए भी ,कोई समुचित जाँच कर दोषियों को सजा देना तो दूर इस प्रकार का कोई प्रयास भी नहीं करती दिख रही है / इसलिए यह कहा जा सकता है कि आम जनता के दुखों कि तरह ही भ्रष्टाचार के ख़त्म होने से ही मजदूरों के दुखों का भी खात्मा होगा /

बस अंत में इतना ही आग्रह मालिकों से करना चाहूँगा कि मजदूरों को मानवता के वास्ते न्यूनतम मजदूरी जरूर देने का प्रयास करें / अगर मालिकों का या ठेकेदारों का शोषण किसी सरकारी अधिकारी के द्वारा किया जा रहा है तो उसके लिए अगर शिकायत करने में उनको कोई परेशानी हो तो हमें बताएं,हम करेंगे आपके समस्याओं कि शिकायत / साथ-साथ मैं मजदूरों से भी यह गुजारिस करूंगा कि न्यूनतम मजदूरी पाने के लिए निडरता से लड़ें  ,लेकिन अपने कार्य के समय में, खुद कि ईमानदारी के साथ काम करें / ऐसा करने से ही मजदूर और मालिक दोनों का भला होगा /

2 टिप्‍पणियां:

  1. भारत मै एक मजदुर को उस के हक ही नही मालूम तो वो न्यूनतम मजदुरी के लिये कया लडेगा? होना तो चाहिये कि हर मजदुर को, हर कर्मचारी को उस के घंटो के हिसाब से मजदुरी मिलनी चाहिये, बिमारी ओर दुर्घटना मै उस कम्पनी की जिम्मेदारी बनती है उस का साथ देने कि.... लेकिन कोन देखता है यह सब भारत मै

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  2. sach to yah hai ki majdooron ko unke haq ke baare me bat laye koun? vo to bechaare unki majdoori kam hai ya jyada ,bahuto ko unka hisaab bhi nahi pata chalta. rahi apne haq ke liye imandaari se ladna to yah har vykti ka apna adhikar banta hai.
    poonam

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