एक बार फिर इस देश कि व्यवस्था और उसके कर्ता धर्ता के निकम्मेपन और गैर जिम्मेवाराना रवैये से और कोई ठोस नतीजे पर पहुंचकर किसी ठोस ईमानदारी भरे प्रयास के नहीं करने कि चाह कि वजह से दर्दनाक ट्रेन हादसा आज सुबह लगभग 1:00 बजे ज्ञानेश्वरी एक्सप्रेस जो हावरा से कुर्ला जा रही थी के भयानक दुर्घटना के रूप में सामने आया है जिसमे कईयों के मरने कि खबर है तो 150 से ज्यादा लोगों के गंभीर रूप से घायल होने कि भी खबर है और उसके बाद भी इनका रवैया कम शर्मनाक नहीं है /
इन दोनों मंत्रालय के शर्मनाक रवैये कि कुछ बानगी इस प्रकार है ------
1-रेल मंत्रालय का और उसके तेज तर्रार मंत्री ममता जी का कहना है कि LAW AND ORDER का काम गृह मंत्रालय का है / यह दुर्घटना पटरी पर बम विस्फोट कि वजह से हुआ है /
2-गृह मंत्रालय का कहना है कि हमने खुपिया सूचना के आधार पर पहले जानकारी दी थी / यह दुर्घटना रेल लाइन के फ़ीस प्लेट के खुले होने कि वजह से हुई है /
3-ममता जी इस बात पर कुछ नहीं बोल पा रहीं हैं कि जब ट्रेन पटरी से उतरी थी और लोग मर रहे थे तो दूसरी मालगाड़ी ट्रेन कि टक्कर भी मरे हुए को मारने कैसे पहुंच गयी ,कहाँ गयी रेलवे कि सूचना और सुरक्षा व्यवस्था ?
4-रेलवे में अनुशासन हीनता और कार्यकुशलता का अभाव के लिए कौन जिम्मेवार है ?
5-अगर ये विस्फोट भी है तो गृह मंत्रालय ने ऐसे विस्फोट के आशंका के मद्दे नजर क्या-क्या सुरक्षा इंतजाम किये थे ,या यूँ ही अपनी खाल बचाने के लिए खुपिया सूचनाओं का हवाला दिया जा रहा है ?
दर असल ये हादसे सिर्फ और सिर्फ हमारे व्यवस्था में बैठे निकम्में और स्वार्थी लोगों के लापरवाही भरे रवैये के कारण होतें हैं ,देखना है कि इस हादसे के बाद भी इनका इंसानी जमीर कितना जगता है और ऐसे हादसों को रोकने के लिए इनके द्वारा क्या-क्या गंभीर और ठोस उपाय किये जाते हैं / फ़िलहाल तो मृतकों को हम अपनी श्रधांजलि और घायलों के जल्द स्वस्थ होने कि कामना ही कर सकते हैं /
"मृतकों को हम अपनी श्रधांजलि और घायलों के जल्द स्वस्थ होने कि कामना ही कर सकते हैं"
जवाब देंहटाएंझा जी आज ऊँचे पदों पर बैठे लोगो के संवेदनाओं मर चुकी हैं. आज सामूहिक प्रयास से ही इन लोगो के ज़मीर को झकझोरा जा सकता है.
जवाब देंहटाएंभाई हमारी सरकार और उसके मंत्रालय हादसे के बाद अपने आफिस का ताला खोलते हैं
जवाब देंहटाएंआम आदमी मरता रहता है और मंत्रालयों के बीच आरोप प्रत्यारोप का दौर भी चलता रहता है। दिखावे के लिए जब कोई मंत्री त्यागपत्र की पेशकश भी करता है,तो प्रधानमंत्री उसे नामंजूर करने का पहले ही से मन बनाए रहते हैं। जाहिर है,यथास्थिति बनी रहेगी।
जवाब देंहटाएंयह माओवादी या नक्सली कृत्य नही बल्कि चुनाव के लिए खेली जा रही घृणित राजनीति है !
जवाब देंहटाएंAll are so insensitive !
जवाब देंहटाएंअभी हमारी सरकार इन मर्तको को लाख दो लाख सरकारी खजाने से दे देगी, उन्हे मिले या ना मिले, फ़िर जनता इन से सीट छोड्ने के लिये कहेगी, नये चुनाव.... यह सब गड बड है ओर फ़िर इन सब बातो मै लोग असली बात भुल जाते है.... सब से सही बात जिम्मे दार लोगो को पकड कर उन पर कार्य वाही की जाये, मत्री जी को अगर हटाना है तो नये चुनाव की जगह दुसरे को वो पद सोंप जाये, ओर मंत्री जी को दोषी पाने पर जेल मिले, यह काम महीनो ओर सालो मै नही सप्ताहो मै होना चाहिये, अगर एसी सख्ती हो तो हम भी देखे कोई हमे केसे बिछडा कहता है, कार्य वाही हो फ़टा फ़ट तब बात बनती है
जवाब देंहटाएंनहीं सहनावाज़ भाई और गोदियाल जी, ऐसे बात नहीं बनेगी|
जवाब देंहटाएंअब गांधीगिरी से नहीं बात बनने वाली, अब तो रंग दे बसंती की ज़रुरत है|
सोचने वाली बात है, के नक्सली, आतंकवादी हमेशा, आम जनता को ही क्यों टार्गेट करते हैं आज कल?
सोच कर देखिये, ये नेता आज हमारी आप की लाशों पर राजनीति करने को आमादा हैं|
पर ज़िम्मेदार हम खुद ही हैं, वोट तो हम आप अपनी जात/धर्म वाले को ही देते हैं न, तो ये सब तो होगा ही|
रही बात ब्लॉग पर लिखने की, सेल आधे MP's इन्टरनेट use करना भी नहीं जानते होंगे|
किसी ने कहा, इंसानी ज़मीर??? हेहे, क्या मजाक है, शक्ल के अलावा उनमे कुछ इंसानी है???
आप जानते हैं अफ़ज़ल गुरु को अब तक फासी क्यों नहीं हुयी है? नेता लोग उसके नाम पर राजनीति क्यों कर रहे हैं ?
कोई साला नेताओ की ज़मात का मारा नहीं था न, हम आप, हमारे सैनिक, पुलिस वाले, हम तो इसी तरह मरने के लिए पैदा हुए हैं, उसकी क्या चिंता करना|
नेता लोग, बयान देकर अपना काम ही तो कर रहे हैं, बेचारे वो और कर भी क्या सकते हैं ???
दर असल ये हादसे सिर्फ और सिर्फ हमारे व्यवस्था में बैठे निकम्में और स्वार्थी लोगों के लापरवाही भरे रवैये के कारण होतें हैं ,देखना है कि इस हादसे के बाद भी इनका इंसानी जमीर कितना जगता है और ऐसे हादसों को रोकने के लिए इनके द्वारा क्या-क्या गंभीर और ठोस उपाय किये जाते हैं / फ़िलहाल तो मृतकों को हम अपनी श्रधांजलि और घायलों के जल्द स्वस्थ होने कि कामना ही कर सकते हैं /
जवाब देंहटाएं...साथ ही कुछ प्रयास तेज करने होंगे.
लोगों की जान जाने में भी राजनीति नज़र आ रही है इन धृतराष्ट्रों को. पता नहीं कब तक यूं कबूतरों की तरह बिल्ली आती देख आंखें मूंदे बैठे रहने वाले हैं ये.
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